नई दिल्ली: दिल्ली का राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान एमजे अकबर ने कहा था कि प्रिया रमानी की दलीलें कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं हैं.
21 जनवरी को एमजे एकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा था कि रमानी एमजे अकबर को मशहूर संपादक कहती थी, लेकिन उन्होंने अपने बयानों में इस बयान को झूठलाने की कोशिश की.
सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था-
प्रिया रमानी एमजे अकबर के ट्वीट्स 2010 तक सम्मानित संपादक के ट्वीट्स की तरह रीट्वीट करती थीं. वो एमजे अकबर के ट्वीट की प्रशंसा करती थीं, लेकिन प्रिया रमानी ने अपने ट्विटर हैंडल से सभी ट्वीट हटा दिए. लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी के लिए केवल एशियन एज में ही नौकरी करने का विकल्प नहीं था, बल्कि दूसरे पब्लिकेशन समूह भी मौजूद थे.
लूथरा ने कहा कि जो पत्रकार रिपोर्टिंग करते हैं, उन्हें कानून भी जानना होता है. वे ये नहीं कह सकते हैं कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं है. खुद प्रिया रमानी ने अपने बयान में ये कबूल किया है कि वे विशाखा के दिशा-निर्देशों के बारे में जानती थी. उसके बावजूद उसने अपनी शिकायत नहीं की.
गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के खिलाफ कहानी गढ़ी. अगर प्रिया रमानी के आरोपों में सच्चाई होती, तो वो पहले से उलपब्ध उपायों का इस्तेमाल करती. 2012 में विशाखा दिशा-निर्देश आए, 2013 में कानून भी बना. उसके बाद पत्रकार तरुण तेजपाल का केस भी आया, लेकिन रमानी ने कहीं शिकायत नहीं की.
2018 में दर्ज कराया था केस
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर कराया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया.
18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी.