नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट आज पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से कहा गया था कि प्रिया रमानी ने काल्पनिक कहानी गढ़ी. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय सुनवाई करेंगे.
'काल्पनिक कहानी गढ़ी गई'
पिछले 14 जनवरी को एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने अपने बचाव में बेतुके और भ्रमपूर्ण दलीलें रखी हैं. गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी की ओर से काल्पनिक कहानी कही गई है. उन्होंने कहा था कि रमानी ने अकबर को मीडिया का सबसे बड़ा शिकारी कहा, लेकिन इस बयान के पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं दिया. प्रिया रमानी 25-30 सालों में कोर्ट क्यों नहीं गई.
'प्रिया रमानी निर्दोष नहीं हो सकती'
पिछले 12 जनवरी को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर की ओर से कहा गया था कि जब यौन प्रताड़ना से जुड़ा कानून नहीं था, उस समय भी विशाखा दिशानिर्देश जैसे निवारक कानून थे. गीता लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने जिस समय के यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं उस समय भी भारतीय दंड संहिता और राष्ट्रीय महिला आयोग थी. लूथरा ने एमजे अकबर की ओर से पेश गवाहों के क्रास-एग्जामिनेशन को पढ़ते हुए कहा था कि प्रिया रमानी को अपने को निर्दोष साबित करना है न कि एमजे अकबर को. एमजे अकबर पर आरोप लगा देने से प्रिया रमानी निर्दोष नहीं हो सकती हैं. उन्होंने कहा था कि प्रिया रमानी की ओर से वोग मैगजीन में लिखे आलेख केवल आरोप थे, उन्हें प्रमाणित नहीं किया गया. लूथरा ने कहा कि पूरा आलेख एमजे अकबर पर था.
2018 में दायर किया था मामला
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.