नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy scam) में गिरफ्तार हैदराबाद के व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली की जमानत याचिका (Hearing on bail plea of Abhishek Boinpally) का सीबीआई ने विरोध किया है. जांच एजेंसी ने कहा कि अगर बोइनपल्ली को रिहा किया जाता है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. सीबीआई ने राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) एम के नागपाल के समक्ष बोइनपल्ली की जमानत याचिका पर यह जवाब दाखिल कर तर्क दिया.
सीबीआई ने अदालत को बताया कि जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है. बोइनपल्ली एक प्रभावशाली व्यक्ति है. जमानत मिलने पर वह गवाहों को धमका सकता है या फिर न्याय से भाग सकता है. वहीं, सीबीआई के तर्कों को बेबुनियाद बताते हुए बचाव पक्ष ने कहा कि मामले की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और आरोपित से आगे पूछताछ की जरूरत नहीं है. ऐसे में उनके मुवक्किल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाए. दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 9 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
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बता दें 17 अगस्त को सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने FIR दर्ज की थी. इस एफ आई आर में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आबकारी आयुक्त अर्व गोपी कृष्ण, आबकारी उपायुक्त आनंद तिवारी, सहायक आयुक्त पंकज भटनागर, विजय नईर (पूर्व सीईओ, मेसर्स ओनली मच लाउडर), मनोज राय (पूर्व कर्मचारी), अमनदीप ढल (निदेशक, मैसर्स ब्रिंडको सेल्स प्रा. लिमिटेड), समीर महेंद्रू (प्रबंध निदेशक, इंडोस्पिरिट ग्रुप), अमित अरोड़ा (निदेशक, मैसर्स बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड), बुद्धि रिटेल प्रा. लि., दिनेश अरोड़ा, महादेव लिकर, सनी मारवाह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और अर्जुन पांडेय को नामजद किया गया है.
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