नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान होने नहीं दिया जा सकता है. जस्टिस ज्योति सिंह ने याचिकाकर्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन को निर्देश दिया कि वे संबंधित कॉलेजों को भी पक्षकार बनाएं. मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी.
कोर्ट ने कहा कि संबंधित कॉलेजों का पक्ष सुनने के बाद ही कोई आदेश पारित किया जाएगा.कोर्ट ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी सभी कॉलेजों की अभिभावक है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी है कि वो स्थिति को नियंत्रण में रखें और समस्या को सुलझाएं.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट की एक दूसरी बेंच ने पिछले 23 अक्टूबर को दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन देने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दिया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में कॉलेजों को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए.
तब दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स युनियन की ओर से वकील जीवेश तिवारी ने कहा कि कॉलेजों को पक्षकार बनाने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए. उसके बाद कोर्ट ने 5 नवंबर को अगली सुनवाई का आदेश दिया.
दिल्ली सरकार के आदेश को चुनौती
याचिका दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि स्टूडेंट्स सोसायटी फंड का इस्तेमाल शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए नहीं किया जा सकता है.पिछले 16 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों और स्टाफ को स्टूडेंट्स सोसायटी फंड से वेतन दें. दिल्ली सरकार इन 12 कॉलेजों का सौ फीसदी वित्तपोषण करती है.
कौन-कौन हैं कॉलेज
दिल्ली सरकार की ओर से सौ फीसदी वित्तपोषित कॉलेजों में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स सायंस, शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज, शहीद राजगुरु कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, महर्षि वाल्मिकी कॉलेज ऑफ एजुकेशन और भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लायड सायंस शामिल हैं.
बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी और और दिल्ली सरकार के इन 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन के कॉलेजों को ग्रांट रिलीज करने को लेकर विवाद चल रहा है.इसे लेकर सितंबर महीने में भी एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी जो लंबित है.