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आरोग्य सेतु ऐप से निजी कंपनियों के वेबसाइट लिंक करने के मामले पर सुनवाई टली

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Published : Jun 9, 2020, 7:47 PM IST

आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 जून तक सुनवाई को टाल दिया है.

Arogya Setu App
आरोग्य सेतु ऐप

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को टाल दिया गया है. इस मामले पर कल यानि 10 जून को सुनवाई होगी.



हलफनामे में अंतर

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता ने कहा कि नीति आयोग और स्वास्थ्य विभाग के हलफनामे में अंतर है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने हलफनामे में साफ साफ कहा है कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाईसेंस जारी नहीं किया गया है. उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से एएसजी मनिंदर आचार्य ने केंद्र की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की.

निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटाया गया

पिछले 29 मई को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि आरोग्य सेतु ऐप से निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटा दिया गया है. तब जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने मनिंदर आचार्य से पूछा था कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा रखी है, तब क्या केंद्र सरकार किसी ई-फार्मेसी कंपनी को वेबसाइट पर लिस्ट करने की अनुमति दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि लगता है कि केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि आरोग्य सेतु ऐप पर लिस्टिंग के लिए वैसी कंपनी को लिस्ट की जाती है जो दस हजार पिन कोड के इलाके को कवर करती हो.

लाईसेंस देने की अनुमति नहीं

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या किसी कंपनी को पूरे भारत में दवाईयों के डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाईसेंस जारी किया गया है. तब याचिकाकर्ता की ओर वकील सुधीर नंद्राजोग और अमित गुप्ता ने कहा था कि कानून पूरे भारत में दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाईसेंस देने की अनुमति नहीं देता है. किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को दवाईयों की बिक्री करने और उनका डिस्ट्रिब्युशन करने के लिए लाईसेंस नहीं है. उन्होंने कहा था कि दवाइयों की बिक्री, उनका प्रदर्शन या उनके डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाईसेंस केवल उसी परिसर के लिए दी जाती है जहां से वे आपरेट करते हैं. केवल उन्हीं फार्मासिस्ट को दवाईयों की होम डिलीवरी की छूट है जिनके पास नियमों के मुताबिक वैध लाईसेंस हो. सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को आपरेट करने की अनुमति नहीं दी है और आरोग्यसेतु ऐप पर इनके वेबसाइट को लिंक करना गैरकानूनी है.

सरकार कैसे कर सकती है प्रमोट

पिछले 14 मई को हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग, अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कोर्ट को नीति आयोग के सीईओ की ओर से इस संबंध में किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया था, जिसमें लाईसेंस धारकों द्वारा होम डिलीवरी की बात कही गई है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट ने ई-फार्मेसी कंपनियों को ऑनलाइन दवाइयां बेचने पर रोक लगाई है ऐसे में सरकार उन्हें कैसे प्रमोट कर सकती है.

ये निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा

याचिका साउथ केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्युटर्स एसोसिएशन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से http://www.aarogyasetumitr.in नामक वेबसाइट को लिंक किया गया है. ये बेवसाइट दवाइयों की बिक्री, उनका मार्केटिंग और प्रमोशन करती है. किसी सरकारी ऐप का इस्तेमाल किसी निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकता है.



वेबसाइट को बंद करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को निर्देश दे कि वो नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और नीति आयोग को निर्देश दे कि आरोग्य सेतु ऐप से मिले-जुले नामों का इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक हितों को पूरा करने के लिए नहीं हो. आरोग्य सेतु ऐप का होमपेज खुद ही इस वेबसाइट का लिंक देता है. याचिका में कहा गया है कि इस बेवसाइट को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जाए.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को टाल दिया गया है. इस मामले पर कल यानि 10 जून को सुनवाई होगी.



हलफनामे में अंतर

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता ने कहा कि नीति आयोग और स्वास्थ्य विभाग के हलफनामे में अंतर है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने हलफनामे में साफ साफ कहा है कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाईसेंस जारी नहीं किया गया है. उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से एएसजी मनिंदर आचार्य ने केंद्र की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की.

निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटाया गया

पिछले 29 मई को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि आरोग्य सेतु ऐप से निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटा दिया गया है. तब जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने मनिंदर आचार्य से पूछा था कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा रखी है, तब क्या केंद्र सरकार किसी ई-फार्मेसी कंपनी को वेबसाइट पर लिस्ट करने की अनुमति दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि लगता है कि केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि आरोग्य सेतु ऐप पर लिस्टिंग के लिए वैसी कंपनी को लिस्ट की जाती है जो दस हजार पिन कोड के इलाके को कवर करती हो.

लाईसेंस देने की अनुमति नहीं

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या किसी कंपनी को पूरे भारत में दवाईयों के डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाईसेंस जारी किया गया है. तब याचिकाकर्ता की ओर वकील सुधीर नंद्राजोग और अमित गुप्ता ने कहा था कि कानून पूरे भारत में दवाईयों की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाईसेंस देने की अनुमति नहीं देता है. किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को दवाईयों की बिक्री करने और उनका डिस्ट्रिब्युशन करने के लिए लाईसेंस नहीं है. उन्होंने कहा था कि दवाइयों की बिक्री, उनका प्रदर्शन या उनके डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाईसेंस केवल उसी परिसर के लिए दी जाती है जहां से वे आपरेट करते हैं. केवल उन्हीं फार्मासिस्ट को दवाईयों की होम डिलीवरी की छूट है जिनके पास नियमों के मुताबिक वैध लाईसेंस हो. सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को आपरेट करने की अनुमति नहीं दी है और आरोग्यसेतु ऐप पर इनके वेबसाइट को लिंक करना गैरकानूनी है.

सरकार कैसे कर सकती है प्रमोट

पिछले 14 मई को हाईकोर्ट ने आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग, अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कोर्ट को नीति आयोग के सीईओ की ओर से इस संबंध में किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया था, जिसमें लाईसेंस धारकों द्वारा होम डिलीवरी की बात कही गई है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट ने ई-फार्मेसी कंपनियों को ऑनलाइन दवाइयां बेचने पर रोक लगाई है ऐसे में सरकार उन्हें कैसे प्रमोट कर सकती है.

ये निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा

याचिका साउथ केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्युटर्स एसोसिएशन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से http://www.aarogyasetumitr.in नामक वेबसाइट को लिंक किया गया है. ये बेवसाइट दवाइयों की बिक्री, उनका मार्केटिंग और प्रमोशन करती है. किसी सरकारी ऐप का इस्तेमाल किसी निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकता है.



वेबसाइट को बंद करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को निर्देश दे कि वो नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और नीति आयोग को निर्देश दे कि आरोग्य सेतु ऐप से मिले-जुले नामों का इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक हितों को पूरा करने के लिए नहीं हो. आरोग्य सेतु ऐप का होमपेज खुद ही इस वेबसाइट का लिंक देता है. याचिका में कहा गया है कि इस बेवसाइट को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जाए.

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