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दिल्ली हिंसा मामले में अमित गुप्ता को सरकारी गवाह बनाने की मांग पर सुनवाई टली

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सह-आरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 27 अक्टूबर को सुनवाई का आदेश दिया.

Karkardooma Court
कड़कड़डूमा कोर्ट
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Published : Aug 10, 2021, 2:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सह-आरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 27 अक्टूबर को सुनवाई का आदेश दिया.

पिछले 28 जनवरी को सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की ओर से वकील रिजवान ने कहा था कि ताहिर हुसैन के खिलाफ मीडिया में अपमानजनक खबरें चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के पहले ही मीडिया ऐसी खबरें चला रहा है जैसे ताहिर हुसैन दोषी हों. उन्होंने कहा था कि ताहिर हुसैन विचाराधीन कैदी है, दोषी नहीं. उन्होंने कहा था कि चार्जशीट में जो आरोप लगाए गए हैं, वे महज आरोप हैं, प्रमाणित तथ्य नहीं. मीडिया की ओर से ऐसा करने से उसके निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन होता है. रिजवान ने कोर्ट से मीडिया संगठनों को ताहिर हुसैन के खिलाफ ट्रायल चलाने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी.

ये भी पढ़ें: भाजपा सांसद को जान से मारने की धमकी, मांगी 5 करोड़ रुपये रंगदारी

ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को आरोपी बनाया है. 16 अक्टूबर 2020 को ईडी के असिस्टेंड डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने चार्जशीट दाखिल किया था. ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत धारा 3 के तहत आरोपी बनाया है. चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप लगाया है. ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रूपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई. ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग किया. दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया.

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सह-आरोपी अमित गुप्ता की खुद को सरकारी गवाह बनाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 27 अक्टूबर को सुनवाई का आदेश दिया.

पिछले 28 जनवरी को सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की ओर से वकील रिजवान ने कहा था कि ताहिर हुसैन के खिलाफ मीडिया में अपमानजनक खबरें चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश के पहले ही मीडिया ऐसी खबरें चला रहा है जैसे ताहिर हुसैन दोषी हों. उन्होंने कहा था कि ताहिर हुसैन विचाराधीन कैदी है, दोषी नहीं. उन्होंने कहा था कि चार्जशीट में जो आरोप लगाए गए हैं, वे महज आरोप हैं, प्रमाणित तथ्य नहीं. मीडिया की ओर से ऐसा करने से उसके निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन होता है. रिजवान ने कोर्ट से मीडिया संगठनों को ताहिर हुसैन के खिलाफ ट्रायल चलाने से रोकने का आदेश देने की मांग की थी.

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ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को आरोपी बनाया है. 16 अक्टूबर 2020 को ईडी के असिस्टेंड डायरेक्टर पंकज कुमार खत्री ने चार्जशीट दाखिल किया था. ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत धारा 3 के तहत आरोपी बनाया है. चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप लगाया है. ईडी ने कहा है कि करीब सवा करोड़ रूपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई. ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग किया. दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया.

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