नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आज उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों को बकाया सैलरी देने की मांग पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि किसी भी शिक्षक या कर्मचारी की दीवाली खराब न हो इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए.
दिल्ली सरकार ने दिए 98 करोड़ 35 लाख रुपये
पिछले 29 सितंबर को सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कोर्ट को बताया था कि उसने सितंबर महीने की शुरुआत में ही शिक्षकों की जून महीने की सैलरी जारी कर दी थी. उसके बाद कोर्ट ने बाकी महीने की सैलरी भी जारी करने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया था कि उसने सितंबर और अक्टूबर की शिक्षकों की सैलरी देने के लिए पिछले 3 सितंबर को ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 98 करोड़ 35 लाख रुपये जारी कर दिए थे. उसके बाद कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
नगर निगम को लगाई थी फटकार
पिछले 1 सितंबर को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शिक्षकों की सैलरी को लेकर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाई थी. पिछले 5 अगस्त को हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया था कि वे शिक्षकों की सैलरी दिल्ली सरकार से मिले अनुदान से दें. पिछले 21 जुलाई को हाईकोर्ट ने कहा था कि वह शिक्षकों की सैलरी के पैसे को दूसरे कर्मचारियों में डायवर्ट कर रही है.
'शिक्षकों को दी जाने वाली सैलरी सफाईकर्मियों को दी'
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने सफाईकर्मियों को दी जानेवाली सैलरी के मद में कोई राशि जारी नहीं की जिसकी वजह से शिक्षकों की सैलरी सफाईकर्मियो को देनी पड़ी. निगम ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से सफाईकर्मियों और हेल्थवर्कर्स को सैलरी देनी पड़ी. निगम ने कहा था कि डॉक्टरों को अप्रैल, मई और जून की सैलरी की राशि दिल्ली सरकार ने जुलाई के पहले सप्ताह में जारी किया.
'भुगतान के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है'
याचिका अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ ने दायर किया है. कोर्ट ने कहा था की शिक्षकों को केवल अपनी सैलरी के भुगतान के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उसके पास फंड की कमी है.