नई दिल्ली: आपराधिक न्याय प्रणाली में मामलों के विशाल बैकलॉग को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकारी वकीलों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए AAP सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है. अदालत ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में मामलों के विशाल बैकलॉग को तभी ठीक किया जा सकता है जब इन रिक्तियों को भरा जाए.
प्रधान न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से एक स्थिति रिपोर्ट मांगी है. पीठ ने कहा कि यदि इसे दायर नहीं किया जाता है और रिक्तियों पर उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है, तो यह कानून सचिव और अन्य अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश देगी, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं.
रिक्तियों जल्द से जल्द भरेंः कोर्ट ने कहा, आपराधिक न्याय प्रणाली पहले से ही मामलों के एक विशाल बैकलॉग से त्रस्त है, जिसे केवल तभी ठीक किया जा सकता है जब लोक अभियोजकों की रिक्तियों को जल्द से जल्द भर दिया जाए. GNCTD एकमात्र प्राधिकरण है, जो इन रिक्तियों को भर सकता है. अंतिम अनुग्रह के रूप में जीएनसीटीडी को लोक अभियोजकों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है.
अदालत ने कहा कि यदि स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती है और उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया जाता है कि रिक्तियों को क्यों नहीं भरा गया है, तो यह अदालत देरी के लिए जिम्मेदार कानून सचिव और अन्य अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित होंगे, जो 14 फरवरी, 2023 के लिए निर्धारित है.
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इस मामले में दिल्ली सरकार ने कहा कि लोक अभियोजकों के रिक्त 108 पदों को भरने के लिए यूपीएससी को एक नया अनुरोध भेजा गया है. अदालत द्वारा इसकी सहायता के लिए नियुक्त किए गए एमिकस क्यूरी ने कहा कि दिल्ली में सरकारी वकीलों की कमी के कारण 108 अदालतें काम नहीं कर रही हैं. दिल्ली प्रॉसीक्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वकील ने कहा कि स्थिति ऐसी है कि एक सरकारी वकील लगभग तीन से चार अदालतों को संभाल रहा है, जिसने पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली को ठप कर दिया है.
(इनपुटः PTI)
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