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हाईकोर्ट ने एम्स को दिया कैंसर पीड़िता का इलाज करने का आदेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया है कि वो एक कैंसर पीड़िता का इलाज करें. कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. सुनवाई की अगली तारीख तक अगर पीड़िता एम्स में जाती है, तो उसके सभी चेकअप और इलाज किए जाएं. मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी.

HC orders AIIMS cancer patient petition
कैंसर पीड़िता का इलाज करने का आदेश
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Published : Dec 25, 2019, 3:18 PM IST

नई दिल्ली: एक कैंसर पीड़िता का इलाज करने से मना करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया है कि वो पीड़िता का इलाज करे. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक अगर पीड़िता एम्स में जाती है, तो उसके सभी चेकअप और इलाज किए जाएं. मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी.

पहले बत्रा अस्पताल पहुंची
कैंसर पीड़िता शशि बाला के वकील ललित नागर और आशीष नेगी ने कोर्ट को बताया कि पिछले 11 अप्रैल महीने में वो गले की बीमारी का इलाज कराने बत्रा अस्पताल गई थी. बत्रा अस्पताल ने उसका चेकअप करने के बाद पाया कि उसे कैंसर है. बत्रा अस्पताल के डॉक्टरों ने 18 अप्रैल को उसकी सर्जरी की.

बीस बार कीमोथेरेपी की गई
सर्जरी के बाद बत्रा अस्पताल में ही एक महीने के अंदर पीड़िता का बीस बार कीमोथेरेपी की गई. कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता की स्थिति बिगड़ने लगी. बत्रा अस्पताल ने 7 और कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी. लेकिन स्थिति बिगड़ने की वजह से पीड़िता और कीमोथेरेपी कराने के लिए तैयार नहीं थी.

स्थिति बिगड़ने पर राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया
स्थिति और बिगड़ने पर जून महीने में पीड़िता को रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया. राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का नए सिरे से चेकअप किया. चेकअप के बाद राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का चार बार कीमोथेरेपी किया. पांचवें कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता काफी कमजोर हो गई. 2 हफ्ते के अंदर उसके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो गई और शरीर में आंतरिक रक्तस्राव होने लगा.

एम्स जाने का फैसला किया
बत्रा अस्पताल और राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता के परिजनों ने इलाज पर काफी खर्च किया. इससे उनकी माली हालत भी खराब हो गई. तब पीड़िता के परिजनों ने राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों से सलाह कर एम्स अस्पताल में इलाज कराने का फैसला किया.

एम्स ने इलाज से मना कर दिया
पीड़िता का पुत्र पीड़िता के इलाज से संबंधित सभी रिपोर्ट लेकर एम्स अस्पताल गया. लेकिन एम्स अस्पताल ने इस आधार पर इलाज करने से मना कर दिया कि वो बाहर के रोगियों का इलाज नहीं करेगा. एम्स की ओर से इलाज करने पर मना करने के फैसले के खिलाफ पीड़िता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली: एक कैंसर पीड़िता का इलाज करने से मना करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया है कि वो पीड़िता का इलाज करे. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक अगर पीड़िता एम्स में जाती है, तो उसके सभी चेकअप और इलाज किए जाएं. मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी.

पहले बत्रा अस्पताल पहुंची
कैंसर पीड़िता शशि बाला के वकील ललित नागर और आशीष नेगी ने कोर्ट को बताया कि पिछले 11 अप्रैल महीने में वो गले की बीमारी का इलाज कराने बत्रा अस्पताल गई थी. बत्रा अस्पताल ने उसका चेकअप करने के बाद पाया कि उसे कैंसर है. बत्रा अस्पताल के डॉक्टरों ने 18 अप्रैल को उसकी सर्जरी की.

बीस बार कीमोथेरेपी की गई
सर्जरी के बाद बत्रा अस्पताल में ही एक महीने के अंदर पीड़िता का बीस बार कीमोथेरेपी की गई. कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता की स्थिति बिगड़ने लगी. बत्रा अस्पताल ने 7 और कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी. लेकिन स्थिति बिगड़ने की वजह से पीड़िता और कीमोथेरेपी कराने के लिए तैयार नहीं थी.

स्थिति बिगड़ने पर राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया
स्थिति और बिगड़ने पर जून महीने में पीड़िता को रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया. राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का नए सिरे से चेकअप किया. चेकअप के बाद राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का चार बार कीमोथेरेपी किया. पांचवें कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता काफी कमजोर हो गई. 2 हफ्ते के अंदर उसके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो गई और शरीर में आंतरिक रक्तस्राव होने लगा.

एम्स जाने का फैसला किया
बत्रा अस्पताल और राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता के परिजनों ने इलाज पर काफी खर्च किया. इससे उनकी माली हालत भी खराब हो गई. तब पीड़िता के परिजनों ने राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों से सलाह कर एम्स अस्पताल में इलाज कराने का फैसला किया.

एम्स ने इलाज से मना कर दिया
पीड़िता का पुत्र पीड़िता के इलाज से संबंधित सभी रिपोर्ट लेकर एम्स अस्पताल गया. लेकिन एम्स अस्पताल ने इस आधार पर इलाज करने से मना कर दिया कि वो बाहर के रोगियों का इलाज नहीं करेगा. एम्स की ओर से इलाज करने पर मना करने के फैसले के खिलाफ पीड़िता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

Intro:नई दिल्ली। एक कैंसर पीड़िता का इलाज करने से मना करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया है कि वो पीड़िता का इलाज करे। जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तिथि तक अगर पीड़िता एम्स में जाती है तो उसके सभी चेकअप और इलाज किए जाएं। मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।




Body:पहले बत्रा अस्पताल पहुंची
कैंसर पीड़िता शशि बाला के वकील ललित नागर और आशीष नेगी ने कोर्ट को बताया कि पिछले 11 अप्रैल महीने में वो गले की बीमारी का इलाज कराने बत्रा अस्पताल गई थी। बत्रा अस्पताल ने उसका चेकअप करने के बाद पाया कि उसे कैंसर है। बत्रा अस्पताल के डॉक्टरों ने 18 अप्रैल को उसकी सर्जरी की। 

बीस बार कीमोथेरेपी की गई 
सर्जरी के बाद बत्रा अस्पताल में ही एक महीने के अंदर पीड़िता का बीस बार कीमोथेरेपी किया गया। कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता की स्थिति बिगड़ने लगी। बत्रा अस्पताल ने सात और कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी। लेकिन स्थिति बिगड़ने की वजह से पीड़िता और कीमोथेरेपी कराने के लिए तैयार नहीं थी। 

स्थिति बिगड़ने पर राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया
 स्थिति और बिगड़ने पर जून महीने में पीड़िता को रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया। राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का ने सिरे से चेकअप किया। चेकअप के बाद राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ने पीड़िता का चार बार कीमोथेरेपी किया। पांचवें कीमोथेरेपी के बाद पीड़िता काफी कमजोर हो गई। दो हफ्ते के अंदर उसके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो गई और शरीर में आंतरिक रक्तस्राव होने लगा।

एम्स जाने का फैसला किया
बत्रा अस्पताल और राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता के परिजनों ने इलाज पर काफी खर्च किया। इससे उनकी माली हालत भी खराब हो गई। तब पीड़िता के परिजनों ने राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के डॉक्टरों से सलाह कर एम्स अस्पताल में इलाज कराने का फैसला किया।




Conclusion:एम्स ने इलाज से मना कर दिया
 पीड़िता का पुत्र पीड़िता के इलाज से संबंधित सभी रिपोर्ट लेकर एम्स अस्पताल गया। लेकिन एम्स अस्पताल ने इस आधार पर इलाज करने से मना कर दिया कि वो बाहर के रोगियों का इलाज नहीं करेगा। एम्स की ओर से इलाज करने पर मना करने के फैसले के खिलाफ पीड़िता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।



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