नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया है कि वो कैदियों को जमानत देने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर की जांच करें. जस्टिस संजीव सचदेवा की बेंच ने क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि जमानत लेने के लिए कितने कैदियों की ओर से एनसी अस्पताल द्वारका में कार्यरत डॉक्टर गजिंदर कुमार नय्यर की ओर से जारी फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब हाईकोर्ट हत्या की कोशिश और आर्म्स एक्ट के आरोपी अब्दुल रहमान ऊर्फ नवाली की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. रहमान ने अपनी पत्नी का आपरेशन कराने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी.
इसके लिए रहमान ने एनसी अस्पताल के डॉक्टर गजिंदर कुमार नय्यर का मेडिकल सर्टिफिकेट लगाया था. मेडिकल सर्टिफिकेट में कहा गया था कि रहमान की पत्नी को ओवेरियन सिस्ट है. जिसके तुरंत आपरेशन की जरुरत है. मेडिकल सर्टिफिकेट में कहा गया था कि रहमान की पत्नी 12 और 14 मार्च को इलाज के लिए अस्पताल पहुंची थी.
डॉक्टर नय्यर एनसी अस्पताल में नहीं मिले
कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया. स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया था कि जब जामिया नगर थाने के एसआई रोहित चहर ने एनसी अस्पताल पहुंचे. पाया कि अस्पताल तीन बेड का है. वहां डॉक्टर गजिंदर कुमार नय्यर उपबल्ध नहीं थे.
वहां एक रिसेप्शनिस्ट थी जो ओपीडी मरीजों का रजिस्टर संभालती हैं. जब रिसेप्शनिस्ट से पूछा गया कि 12 और 14 अप्रैल को रहमान की पत्नी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंची थी, तो उसने इनकार कर दिया.
रिसेप्शनिस्ट ने बताया कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड और सिस्टेक्टोमी सर्जरी की सुविधा नहीं है. रहमान की पत्नी के प्रेसक्रिप्शन पर कोई ओपीडी नंबर दर्ज नहीं था. इसका मतलब ये है कि रहमान की पत्नी कभी अस्पताल गई ही नहीं.
अस्पताल में भी नहीं मिले डॉक्टर नय्यर
एसआई रोहित चहर नोएडा के केएस अस्पताल भी गए जहां डॉक्टर गजिंदर कुमार नय्यर काम करते हैं. वहां भी डॉक्टर नय्यर नहीं मिले. जब एसआई ने डॉक्टर नय्यर से फोन पर बात की और अस्पताल आकर अपनी सफाई देने को कहा तो उन्होंने जांच के लिए आने से मना कर दिया.
पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि दिल्ली की निचली अदालतों में ऐसे 5 मामले लंबित हैं. जिनमें डॉक्टर नय्यर के मेडिकल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करते हुए जमानत की मांग की गई है. स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर नय्यर को नोटिस जारी किया.
दिल्ली मेडिकल काउंसिल लगा चुकी है बैन
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील राहुल मेहरा ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल का वो आदेश भी सौंपा था. जिसमें डॉक्टर नय्यर के मेडिकल प्रैक्टिस पर 6 महीने की रोक लगाई गयी थी. दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने 30 अक्टूबर 2019 को डॉक्टर नय्यर के रजिस्ट्रेशन को भी एक साल के लिए निरस्त कर दिया था. उसके बावजूद वो कैदियों की जमानत के लिए मेडिकल प्रिसक्रिप्शन बनाता रहा. यहां तक कि वो बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस भी करता रहा.
कोर्ट ने दिया जांच का आदेश
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया कि वो डॉक्टर नय्यर की ओर से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने की जांच करे. कोर्ट ने क्राइम ब्रांच को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि जमानत लेने के लिए कितने कैदियों ने डॉक्टर नय्यर की ओर से जारी फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया है.