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Hanuman Janmotsav 2023: बजरंगबली के प्रसन्न होने से दूर होंगे कष्ट, जानें व्रत का महत्व-पूजा और विधि-मुहूर्त - Shiv Shankar Astrology Research Center

इस बार हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. कई लोग इसे हनुमान जयंती भी कहते हैं. हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहना ठीक नहीं होगा. भगवान हनुमान दीर्घजीवी हैं. भगवान हनुमान को चिरंजीवी माना गया है. इसलिए उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है.

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Published : Apr 5, 2023, 6:33 PM IST

हनुमान जन्मोत्सव के बारे में विस्तार से बताते आचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्लीः देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. हनुमान जन्मोत्सव पर भंडारे, शोभायात्रा आदि का भी आयोजन होता है. हनुमान जन्मोत्सव बजरंगबली के जन्मदिन के उपलक्ष्य के रूप में मनाया जाता है. इस बार हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. शिव शंकर ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष आचार्य शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि कई लोग इसे हनुमान जयंती भी कहते हैं. हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहना ठीक नहीं होगा. भगवान हनुमान दीर्घजीवी हैं. भगवान हनुमान को चिरंजीवी माना गया है. इसलिए उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन भक्त बजरंगबली का व्रत करते हैं.

आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक चैत्र मास की पूर्णिमा को हर साल हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा की उदय तिथि 6 अप्रैल को है. 6 अप्रैल सुबह 10:03 तक पूर्णिमा है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान हनुमान का जन्म त्रेता युग में हुआ था. उस दिन तिथि चैत्र पूर्णिमा थी. मां अंजनी के गर्भ से जन्म में भगवान हनुमान को वायु का अवतार का हो जाता है.

० पूजा विधि: हनुमान जयंती का व्रत रखने से पहले एक रात जमीन पर सोए. सोने से पहले भगवान राम और मां सीता के साथ भगवान हनुमान का स्मरण करें. व्रत के दिन सुबह प्रातकाल उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. मंदिर में चौकी स्थापित करें और चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति रखें. पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजित करें. भगवान हनुमान को चूरमा बेहद प्रिय है. रोटी को बूरा और शक्कर मिलाकर चूरमा बनाया जाता है. श्रद्धा अनुसार लोग एक पाव से लेकर सवा मन तक चूरमा तैयार करते हैं. चूरमा के साथ बूंदी का भी भोग लगा सकते हैं. भगवान हनुमान को लाल सिंदूर बेहद प्रिय है. सिंदूर से भगवान हनुमान का श्रृंगार किया जाता है.

० लाल सिंदूर है प्रिय: कहा जाता है कि भगवान हनुमान भगवान राम के भक्त थे और और माता सीता को माता के रूप में देखते थे. एक बार की बात है जब माता सीता सिंदूर लगा रही थी. तब भगवान हनुमान के मन में इच्छा जगी और पूछा की माते आप सिंदूर क्यों लगा रही हैं. तब मां सीता ने जवाब दिया कि भगवान राम इससे बहुत प्रसन्न होते हैं इसलिए मैं सिंदूर लगा रही हूं. जिसके बाद भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए हनुमान ने अपने पूरे शरीर को सिंदूर लगा लिया.

० शुभ मुहुर्त:
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 06:06 AM से 07:40 AM तक.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 12:24 PM से 01:58 PM तक.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 05:07 PM से 08:07 PM तक.

० पूजा का विशेष महत्व:
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति मिलती है. जीवन में सभी कष्टों का नाश होता है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं.

(नोटः खबर सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधी विशेषज्ञ से सलाह लें.)

हनुमान जन्मोत्सव के बारे में विस्तार से बताते आचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्लीः देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. हनुमान जन्मोत्सव पर भंडारे, शोभायात्रा आदि का भी आयोजन होता है. हनुमान जन्मोत्सव बजरंगबली के जन्मदिन के उपलक्ष्य के रूप में मनाया जाता है. इस बार हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. शिव शंकर ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष आचार्य शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि कई लोग इसे हनुमान जयंती भी कहते हैं. हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहना ठीक नहीं होगा. भगवान हनुमान दीर्घजीवी हैं. भगवान हनुमान को चिरंजीवी माना गया है. इसलिए उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन भक्त बजरंगबली का व्रत करते हैं.

आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक चैत्र मास की पूर्णिमा को हर साल हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा की उदय तिथि 6 अप्रैल को है. 6 अप्रैल सुबह 10:03 तक पूर्णिमा है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान हनुमान का जन्म त्रेता युग में हुआ था. उस दिन तिथि चैत्र पूर्णिमा थी. मां अंजनी के गर्भ से जन्म में भगवान हनुमान को वायु का अवतार का हो जाता है.

० पूजा विधि: हनुमान जयंती का व्रत रखने से पहले एक रात जमीन पर सोए. सोने से पहले भगवान राम और मां सीता के साथ भगवान हनुमान का स्मरण करें. व्रत के दिन सुबह प्रातकाल उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. मंदिर में चौकी स्थापित करें और चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति रखें. पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजित करें. भगवान हनुमान को चूरमा बेहद प्रिय है. रोटी को बूरा और शक्कर मिलाकर चूरमा बनाया जाता है. श्रद्धा अनुसार लोग एक पाव से लेकर सवा मन तक चूरमा तैयार करते हैं. चूरमा के साथ बूंदी का भी भोग लगा सकते हैं. भगवान हनुमान को लाल सिंदूर बेहद प्रिय है. सिंदूर से भगवान हनुमान का श्रृंगार किया जाता है.

० लाल सिंदूर है प्रिय: कहा जाता है कि भगवान हनुमान भगवान राम के भक्त थे और और माता सीता को माता के रूप में देखते थे. एक बार की बात है जब माता सीता सिंदूर लगा रही थी. तब भगवान हनुमान के मन में इच्छा जगी और पूछा की माते आप सिंदूर क्यों लगा रही हैं. तब मां सीता ने जवाब दिया कि भगवान राम इससे बहुत प्रसन्न होते हैं इसलिए मैं सिंदूर लगा रही हूं. जिसके बाद भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए हनुमान ने अपने पूरे शरीर को सिंदूर लगा लिया.

० शुभ मुहुर्त:
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 06:06 AM से 07:40 AM तक.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 12:24 PM से 01:58 PM तक.
गुरुवार, 6 अप्रैल, 05:07 PM से 08:07 PM तक.

० पूजा का विशेष महत्व:
हनुमान जन्मोत्सव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति मिलती है. जीवन में सभी कष्टों का नाश होता है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंग बाण का पाठ करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं.

(नोटः खबर सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत किसी भी मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधी विशेषज्ञ से सलाह लें.)

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