नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस दौरान लॉकडाउन की अवधि भी बढ़ा दी गई है जोकि अब 17 मई तक जारी रहेगा. सभी शैक्षणिक संस्थान और कार्यस्थल बंद हैं, लेकिन इसी बीच दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से 5 मई को एक सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि गेस्ट शिक्षकों को 8 मई तक ही सैलरी मिलेगी.
अतिथि शिक्षकों ने जताया विरोध
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी किए गए सर्कुलर के विरोध में ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन ने उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को एक पत्र लिखा है. इस पत्र को लेकर एजीटीए के सदस्य शोएब राणा ने कहा कि जब तक हालात सामान्य ना हो जाए, तब तक अतिथि शिक्षकों का वेतन जारी रखा जाए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से शिक्षकों का घर चलाना मुश्किल हो जाएगा.
राणा ने कहा कि कई ऐसे शिक्षक हैं जो कि परिवार के एकमात्र सदस्य नौकरी पेशे में हैं और उसी से उनका घर चलता है लेकिन सरकार के इस फैसले से अब उनके सामने महामारी के दौर में जीवन यापन करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. वहीं राणा ने कहा कि महामारी के दौरान शिक्षकों को पूरा वेतन दिया जाना चाहिए, जिससे उन्हें अपने परिवार को चलाने में किसी भी तरह की परेशानी ना आए.
दोहरी नीति अपना रही है सरकार
वहीं शिक्षा निदेशालय के फैसले पर सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कोई कह रहा है कि एक तरफ तो सरकार निजी कंपनियों को कहती है कि महामारी के दौर में किसी भी कर्मचारी की तनख्वाह न रोकी जाए. उन्हें काम पर से न निकाला जाए. लेकिन दूसरी ओर वह अपने विभाग के कर्मचारियों को खुद ही तनख्वाह नहीं देने की बात कर रहे हैं.