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अतिथि शिक्षकों को उनके स्कूल से भेजे जा रहे धमकी भरे ई-मेल !

दिल्ली के सरकारी स्कूल में कार्यरत अतिथि शिक्षक लगातार 7 दिन से शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं गुरुवार को अतिथि शिक्षकों का रुख उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास की तरफ हो गया.

'शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे'
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Published : Mar 8, 2019, 1:52 AM IST

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री द्वारा कैबिनेट में पारित किया गया अतिथि शिक्षकों की 60 साल की पॉलिसी का बिल मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया था. इसीलिए सभी अतिथि शिक्षक गुरुवार को उपराज्यपाल के आवास पर उपस्थित रहे जिससे बिल साइन करवा कर पॉलिसी सुनिश्चित कर सकें. इसी बीच शिक्षा निदेशालय द्वारा लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं.

अतिथि शिक्षकों की सूची मांगी गई
शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस से उन अतिथि शिक्षकों की सूची मांगी गई है जो बिना कारण बताए और अनुमति लिए बिना स्कूल से अनुपस्थित रहे हो. साथ ही एक और नोटिस जारी किया गया जिसमें यह लिखा गया कि सभी सरकारी स्कूलों के एच ओ एस को यह अधिकार है कि यदि अतिथि शिक्षक 8 मार्च को स्कूल में हाजिरी नहीं लगाते हैं तो ऐसे गेस्ट टीचर की फाइल डिस्मिस करके नए पैनल के गेस्ट टीचर की भर्तियां निकाल दी जाए.

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अतिथि शिक्षकों को धमकी भरे ई-मेल
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों के बाद कई अतिथि शिक्षकों को उनके स्कूल से धमकी भरे ई-मेल आने की भी शिकायत सामने आई है. वही शिक्षकों का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूल व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है इसीलिए शिक्षकों की एकता तोड़ने और प्रदर्शन खत्म करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा यह चाल चली जा रही है.

शिक्षा निदेशालय का सर्कुलर जारी
वहीं लगातार एचओएस अतिथि शिक्षकों के पास शिक्षा निदेशालय का एक सर्कुलर भेज रहे हैं जिसमें यह लिखा गया है कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 29 मार्च तक बढ़ा दी गई है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों ने कहा है कि शिक्षा विभाग केवल अपना काम निकलवाने के लिए ऐसा कर रहा है ताकि मार्च में होने वाली सभी परीक्षाएं सुचारू रूप से आयोजित हो सके और सालाना रिजल्ट भी तैयार किया जा सके.

'सैलरी की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं'
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि किसी भी निर्देश में ना ही उनकी सैलरी का जिक्र आया है और ना ही एक्सटेंशन का, बस स्कूल आने को कह दिया है. यहां तक कि एचओएस भी शिक्षकों की सैलरी की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं. इस निर्देश में यह बात भी स्पष्ट रूप से कही गई है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल प्लेन पेपर पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी. इस पर आपत्ति जताते हुए अतिथि शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय के आदेश मानने से इंकार कर दिया और कोई भी शिक्षक स्कूल नहीं जा रहा है.

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'वापस सड़क पर ही आना है'
प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि हम स्कूल चले भी जाते हैं तो भी 29 मार्च के बाद हमें वापस सड़क पर ही आना है क्योंकि कोई भी हमें जॉब सिक्योरिटी नहीं दे रहा. साथ ही कुछ अन्य अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह सब दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों में फूट डालने और उन्हें बरगलाने के लिए दी जाने वाली कोरी धमकियां है और अब कोई भी अतिथि शिक्षक इन धमकियों से डरने वाला नहीं क्योंकि आजीविका ही ना रहने पर उसके परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल हो जाएगा.

'शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे'
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के पदाधिकारी शोहेब राणा का कहना है कि अब यह लड़ाई आर-पार की हो गई है. पार्टियां राजनीति खेलने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अब शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे. साथ ही कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए सर्कुलर में यदि शिक्षकों को स्कूलों में रखने का इरादा है तो उन्हें बायोमैट्रिक अटेंडेंस करने से क्यों मना किया जा रहा है.

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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री द्वारा कैबिनेट में पारित किया गया अतिथि शिक्षकों की 60 साल की पॉलिसी का बिल मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया था. इसीलिए सभी अतिथि शिक्षक गुरुवार को उपराज्यपाल के आवास पर उपस्थित रहे जिससे बिल साइन करवा कर पॉलिसी सुनिश्चित कर सकें. इसी बीच शिक्षा निदेशालय द्वारा लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं.

अतिथि शिक्षकों की सूची मांगी गई
शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस से उन अतिथि शिक्षकों की सूची मांगी गई है जो बिना कारण बताए और अनुमति लिए बिना स्कूल से अनुपस्थित रहे हो. साथ ही एक और नोटिस जारी किया गया जिसमें यह लिखा गया कि सभी सरकारी स्कूलों के एच ओ एस को यह अधिकार है कि यदि अतिथि शिक्षक 8 मार्च को स्कूल में हाजिरी नहीं लगाते हैं तो ऐसे गेस्ट टीचर की फाइल डिस्मिस करके नए पैनल के गेस्ट टीचर की भर्तियां निकाल दी जाए.

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अतिथि शिक्षकों को धमकी भरे ई-मेल
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों के बाद कई अतिथि शिक्षकों को उनके स्कूल से धमकी भरे ई-मेल आने की भी शिकायत सामने आई है. वही शिक्षकों का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूल व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है इसीलिए शिक्षकों की एकता तोड़ने और प्रदर्शन खत्म करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा यह चाल चली जा रही है.

शिक्षा निदेशालय का सर्कुलर जारी
वहीं लगातार एचओएस अतिथि शिक्षकों के पास शिक्षा निदेशालय का एक सर्कुलर भेज रहे हैं जिसमें यह लिखा गया है कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 29 मार्च तक बढ़ा दी गई है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों ने कहा है कि शिक्षा विभाग केवल अपना काम निकलवाने के लिए ऐसा कर रहा है ताकि मार्च में होने वाली सभी परीक्षाएं सुचारू रूप से आयोजित हो सके और सालाना रिजल्ट भी तैयार किया जा सके.

'सैलरी की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं'
अतिथि शिक्षकों का कहना है कि किसी भी निर्देश में ना ही उनकी सैलरी का जिक्र आया है और ना ही एक्सटेंशन का, बस स्कूल आने को कह दिया है. यहां तक कि एचओएस भी शिक्षकों की सैलरी की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं. इस निर्देश में यह बात भी स्पष्ट रूप से कही गई है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल प्लेन पेपर पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी. इस पर आपत्ति जताते हुए अतिथि शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय के आदेश मानने से इंकार कर दिया और कोई भी शिक्षक स्कूल नहीं जा रहा है.

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'वापस सड़क पर ही आना है'
प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि हम स्कूल चले भी जाते हैं तो भी 29 मार्च के बाद हमें वापस सड़क पर ही आना है क्योंकि कोई भी हमें जॉब सिक्योरिटी नहीं दे रहा. साथ ही कुछ अन्य अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह सब दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों में फूट डालने और उन्हें बरगलाने के लिए दी जाने वाली कोरी धमकियां है और अब कोई भी अतिथि शिक्षक इन धमकियों से डरने वाला नहीं क्योंकि आजीविका ही ना रहने पर उसके परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल हो जाएगा.

'शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे'
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के पदाधिकारी शोहेब राणा का कहना है कि अब यह लड़ाई आर-पार की हो गई है. पार्टियां राजनीति खेलने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अब शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे. साथ ही कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए सर्कुलर में यदि शिक्षकों को स्कूलों में रखने का इरादा है तो उन्हें बायोमैट्रिक अटेंडेंस करने से क्यों मना किया जा रहा है.

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Intro:दिल्ली के सरकारी स्कूल में कार्यरत अतिथि शिक्षक लगातार 7 दिन से शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं गुरुवार को अतिथि शिक्षकों का रुख उपराज्यपाल अनिल बैजल के आवास की तरफ हो गया. बता दें कि शिक्षा मंत्री द्वारा कैबिनेट में पारित किया गया अतिथि शिक्षकों की 60 साल की पॉलिसी का बिल मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया था. इसीलिए सभी अतिथि शिक्षक गुरुवार को उपराज्यपाल के आवास पर उपस्थित रहे जिससे बिल साइन करवा कर पॉलिसी सुनिश्चित कर सकें. इसी बीच शिक्षा निदेशालय द्वारा लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार सभी सरकारी स्कूलों के एचओएस से उन अतिथि शिक्षकों की सूची मांगी गई है जो बिना कारण बताए और अनुमति लिए बिना स्कूल से अनुपस्थित रहे हो. साथ ही एक और नोटिस जारी किया गया जिसमें यह लिखा गया कि सभी सरकारी स्कूलों के एच ओ एस को यह अधिकार है कि यदि अतिथि शिक्षक 8 मार्च को स्कूल में हाजिरी नहीं लगाते हैं तो ऐसे गेस्ट टीचर की फाइल डिस्मिस करके नए पैनल के गेस्ट टीचर की भर्तियां निकाल दी जाए.




Body:शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए इन निर्देशों के बाद कई अतिथि शिक्षकों को उनके स्कूल से धमकी भरे ई-मेल आने की भी शिकायत सामने आई है. वही शिक्षकों का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की अनुपस्थिति में स्कूल व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है इसीलिए शिक्षकों की एकता तोड़ने और प्रदर्शन खत्म करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा यह चाल चली जा रही है.

वहीं लगातार एचओएस अतिथि शिक्षकों के पास शिक्षा निदेशालय का एक सर्कुलर भेज रहे हैं जिसमें यह लिखा गया है कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 29 मार्च तक बढ़ा दी गई है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों ने कहा है कि शिक्षा विभाग केवल अपना काम निकलवाने के लिए ऐसा कर रहा है ताकि मार्च में होने वाली सभी परीक्षाएं सुचारू रूप से आयोजित हो सके और सालाना रिजल्ट भी तैयार किया जा सके. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि किसी भी निर्देश में ना ही उनकी सैलरी का जिक्र आया है और ना ही एक्सटेंशन का, बस स्कूल आने को कह दिया है. यहां तक कि एचओएस भी शिक्षकों की सैलरी की जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं. इस निर्देश में यह बात भी स्पष्ट रूप से कही गई है कि कोई भी अतिथि शिक्षक बायोमैट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाएगा, केवल प्लेन पेपर पर उनकी हाजरी लगाई जाएगी. इस पर आपत्ति जताते हुए अतिथि शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय के आदेश मानने से इंकार कर दिया और कोई भी शिक्षक स्कूल नहीं जा रहा है.

प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि हम स्कूल चले भी जाते हैं तो भी 29 मार्च के बाद हमें वापस सड़क पर ही आना है क्योंकि कोई भी हमें जॉब सिक्योरिटी नहीं दे रहा. साथ ही कुछ अन्य अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह सब दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों में फूट डालने और उन्हें बरगलाने के लिए दी जाने वाली कोरी धमकियां है और अब कोई भी अतिथि शिक्षक इन धमकियों से डरने वाला नहीं क्योंकि आजीविका ही ना रहने पर उसके परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल हो जाएगा. ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के पदाधिकारी शोहेब राणा का कहना है कि अब यह लड़ाई आर-पार की हो गई है. पार्टियां राजनीति खेलने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अब शिक्षक राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे. साथ ही कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए सर्कुलर में यदि शिक्षकों को स्कूलों में रखने का इरादा है तो उन्हें बायोमैट्रिक अटेंडेंस करने से क्यों मना किया जा रहा है.

अतिथि शिक्षकों के हित में पारित हुआ बिल अब राजनीति का मुद्दा बनता जा रहा है. अतिथि शिक्षक शोहेब राणा का कहना है कि 60 साल की पॉलिसी का बिल पारित करने के बाद शिक्षा मंत्री ने स्वयं उसे उप राज्यपाल को सौंपने की बात कही थी. साथ ही यह भी कहा था कि उपराज्यपाल से बिल पारित कराने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा तो मैं तुम्हारे साथ खड़ा रहूंगा. ऐसे में जब सभी अतिथि शिक्षक आज उपराज्यपाल के आवास पर पहुंचे उस समय मनीष सिसोदिया बाहर क्यों नहीं आए. उन्होंने शिक्षकों का साथ क्यों नहीं दिया. साथ ही अब इस बात पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या सचमुच कोई पॉलिसी उपराज्यपाल को दी भी गई है या नही.


Conclusion:बता दें कि कुछ ही दिनों में आचार संहिता लगने वाली है ऐसे में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रहे राजनीतिक दंगल का अतिथि शिक्षक शिकार बन रहे हैं प्रदर्शन करें शिक्षकों का कहना है कि आज 22,000 शिक्षक सड़क पर हैं लेकिन कोई भी उनकी सुध लेने वाला नहीं है
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