नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव करीब आने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी और आम आदमी पार्टी की सक्रियता देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी तरफ दिल्ली कांग्रेस में सक्रियता न होने की वजह से कई जमीनी स्तर के नेता पार्टी का दामन छोड़ इन दिनों दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं.
इस बाबत आगामी विधानसभा चुनाव में जहां पार्टी अभी तक कहीं भी खड़ी होती नहीं दिख रही तो वहीं नेताओं के पार्टी का दामन छोड़ने से कांग्रेस को काफी नुकसान हो सकता है.
कई नेताओं का छूटा साथ!
आपको बता दें कि शीला दीक्षित के निधन के बाद जहां अभी तक डीपीसीसी का अध्यक्ष पद नियुक्त नहीं हो पाया है. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले रण मजबूत करने वाले नेताओं में यह डर है कि विधानसभा चुनाव में सक्रियता न होने से उनका करियर कहीं डूब न जाए. इस बाबत करीब दर्जनभर नेताओ ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है, और वह लगातार आप को ज्वॉइन कर रहे हैं.
आप को मिलेगा फायदा
सबसे अहम बात यह है कि आम आदमी पार्टी को आम जनता से जुड़ने वाली पार्टी कहा जाता है, तो वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में 'आप' ऐसे नेताओं को अपनी ओर खींच रही है, जो जमीन से जुड़कर सीधे जनता से कनेक्ट होते हैं. साथ ही उनकी छवि साफ हो. ऐसे में कांग्रेस के कई नेताओं को इन दिनों पार्टी अपनी ओर खींच रही है. जिससे वो विधानसभा चुनाव में बेहतर तरह से मैदान में उतरकर काम करें. साथ ही पार्टी को फायदा दिला सकें.
फिलहाल दिल्ली कांग्रेस कमेटी की सक्रियता न होने के वजह से दर्जनभर जमीनी नेताओ ने साथ छोड़ दिया है. देखना होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए डीपीसीसी की सक्रियता कब दिखनी शुरू होती है और जो नेता पार्टी का साथ छोड़ कर अन्य पार्टियों में शामिल हो रहे हैं, उससे कांग्रेस को कितना नुकसान होता है.