नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली दंगों के पीड़ितों की ओर से मुआवजे के लिए दायर आवेदनों पर जल्द कार्रवाई करें. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो पीड़ितों के आवेदनों को स्वीकार करते समय एफआईआर की प्रति दिखाने पर जोर नहीं दें.
याचिका दिल्ली हिंसा की पीड़िता नेहा फरहीन ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजशेखर राव ने कहा था कि पिछले फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान उसे काफी नुकसान हुआ था. दंगों की वजह से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था. फरवरी में घर छोड़ने के बाद वे मार्च में अपने घर लौट पाए थे.
एफआईआर दर्ज नहीं करने का आरोप
याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने करावल नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की. लेकिन उनकी शिकायत को केवल डायरी में ही दर्ज किया गया और कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई. उसके बाद याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार से मुआवजे के लिए आवेदन दाखिल किया, लेकिन वह आवेदन स्वीकार नहीं किया गया.
मुआवजे के आवेदनों पर जल्द विचार करें
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर जांच चल रही है और उसके संदर्भ में करावल नगर थाना में एफआईआर दर्ज की गई है. दिल्ली सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता मुआवजे के लिए दिल्ली सरकार के 5 मार्च के आदेश के मुताबिक आवेदन दे सकता है. उस आवेदन पर कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो मुआवजे के लिए आवेदन बिना किसी एफआईआर मांगे स्वीकार करें. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो सभी हिंसा पीड़ितों की मुआवजे के लिए दायर आवेदन पर जल्द विचार करें.