नई दिल्ली: रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो संक्रमित जानवर के काटने से फैल सकती है. दुनिया के कई हिस्सों में यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है. हाल के दिनों में कुत्ते के काटने से संबंधित घटनाओं में वृद्धि हुई है. खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों में. कई युवा छात्र किसी आवारा या अपरिचित कुत्ते से सामना होने की स्थिति में पालन किए जाने वाले उचित प्रोटोकॉल से अनजान हैं. कुत्तों के साथ जुड़े संभावित जोखिमों को देखते हुए स्कूली बच्चों को कुत्ते के काटने के प्रोटोकॉल के बारे में शिक्षित करना अनिवार्य है.
शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन (स्कूल) डॉ. अनीता वत्स ने एक ऑर्डर जारी करते हुए कहा कि इस संबंध में जैसा कि संयुक्त निदेशक एवं प्रमुख, सेंटर फॉर वन हेल्थ, एनसीडीसी राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम, सरकार के सभी विभागाध्यक्षों द्वारा सुझाया गया है. सहायता प्राप्त एवं गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे स्कूल असेंबली के दौरान कुत्ते के काटने के प्रोटोकॉल के बारे में सभी स्कूली बच्चों के बीच जागरूकता पैदा करें और विश्व रेबीज दिवस पर प्रमुख स्थानों पर आईईसी सामग्री प्रदर्शित करें, जो हर साल 28 सितंबर को मनाया जाता है.
इन जागरूकता सत्रों में निम्नलिखित मुख्य बिंदु शामिल होने चाहिए:
- अपरिचित कुत्तों से कैसे संपर्क करें और उनके साथ कैसे व्यवहार करें.
- अगर कोई कुत्ता आक्रामक तरीके से उनके पास आ जाए तो क्या करें.
- कुत्ते द्वारा काटे जाने या धमकी दिए जाने पर की जाने वाली उचित कार्रवाई.
- अपने पड़ोस में आवारा या संभावित खतरनाक कुत्तों की पहचान और रिपोर्ट कैसे करें.
इस महत्वपूर्ण विषय को स्कूल असेंबली में शामिल करके, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी छात्रों को, उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, इस महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच हो. इससे न केवल उनकी सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि जानवरों के आसपास जिम्मेदार व्यवहार को भी बढ़ावा मिलेगा.
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