नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के बाद 2015 में पाकिस्तान से भारत लौटी गीता को अभी तक उसका बिछड़ा हुआ परिवार नहीं मिला है. उसके परिवार को ढूंढने के प्रयास किए जा रहे हैं. पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं, जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था. तेलंगाना में बासर तहसील में पहुंचकर गीता के साथ गए अधिकारी स्थानीय अधिकारियों से बात कर रहे हैं और गीता के परिवार को खोजने के प्रयास कर रहे हैं.
दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है. संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए 13 दिसंबर से शुरू हुई यात्रा में इस मूक-बधिर युवती के साथ हैं. गीता के परिवार की खोज महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में की गई है और सात दिनों तक हम मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है.
2015 में सुषमा स्वराज की बदौलत गीता पहुंची स्वदेश
गीता बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विशेष प्रयासों के कारण 2015 में पाकिस्तान से भारतीय मातृभूमि पर लौटने के बाद उसकी आंखें अपने परिवार को लगातार तलाश रही हैं जो उससे लगभग 20 साल पहले बिछड़ गया था. बहुचर्चित घटनाक्रम में स्वदेश वापसी के पांच साल गुजर जाने के बाद भी मूक-बधिर गीता ने उम्मीद नहीं छोड़ी और महाराष्ट्र और इससे सटे तेलंगाना में अपने बिछड़े परिवार को खोजने निकल पड़ी है.
इंदौर में रहती है गीता
दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है. संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए रविवार से शुरू हुई यात्रा में इस मूक-बधिर युवती के साथ हैं. उन्होंने बताया, फिलहाल हम महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में हैं. अगले सात दिनों तक हम मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे. पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.
महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही मदद
महाराष्ट्र पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया, 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'
मराठवाड़ा या तेलंगाना हो सकता है गीता का मूल निवास
पुरोहित के मुताबिक इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़ कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.
महेश बाबू की जबर्दस्त प्रशंसक है गीता
अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है. वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबर्दस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे. बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.
20 परिवार गीता को बता चुके हैं अपनी लापता बेटी
गीता की देखरेख करने वाली संस्था के अधिकारियों के मुताबिक गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. उस समय उसकी उम्र आठ साल के आस-पास रही होगी. मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था.
कैसे सामने आया गीता का मामला?
- भारत में गीता के वकील मोमिन मलिक के मुताबिक 18 फरवरी 2007 को पानीपत में समझौता ब्लास्ट हुए था. जो लोग उसमें मरे थे, उनके मुआवजे का केस उन्होंने लड़ा था.
- पाकिस्तान के ऐसे कई लोग थे जो इस हादसे का शिकार हुए थे. इसलिए मोमिन को पाकिस्तान जाना पड़ा था. इसी दौरान उन्हें गीता के बारे में पता चला.
- पाकिस्तान के सोशल एक्टिविस्ट अंसार बर्नी ने मोमिन को बताया था कि एक भारतीय बच्ची ईधी फाउंडेशन में है, जो बोल नहीं सकती.
गीता को खोजने के लिए क्या किया?
- 22 अक्टूबर, 2012 को अंसार बर्नी के भारत आने पर हमने ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उसी दिन गीता का मामला पहली बार उठा था. इस दौरान पंजाब के सोशल एक्टिविस्ट एचएस पवार भी मौजूद थे.
- मोमिन मलिक ने ऐलान किया था कि जो आदमी भी गीता के बारे में बताएगा उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा. इसके बाद मोमिन मलिक ने पाकिस्तान हाईकमीशन को गीता को लेकर लेटर भेजा था.
- 7 जनवरी, 2015 को हाईकमीशन से मिला और सोशल साइट पर गीता की स्टोरी डाल दी.
कौन है गीता ?
- गीता 14 साल तक पाकिस्तान में रही. गलती से सीमा पार करने के बाद उसे पाकिस्तान के पंजाब में रेंजर्स ने देखा था.
- रेंजर्स पहले उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गए थे.
- बाद में कराची में इसी संगठन के एक शेल्टर होम में उसे भेज दिया गया.
- कराची में ‘मदर ऑफ पाकिस्तान' के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा.