नई दिल्ली: नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी का कहना है कि पेड़ों पर लगाए गए क्यूआर कोड से पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद इन्हें हटाया जा रहा है.
क्यूआर कोड से पेड़ों को नहीं होगा नुकसान
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में पेड़ों के ऊपर बनाए गए क्यूआर कोड को लेकर विवाद तेज होने के बाद इसमें फॉरेस्ट विभाग ने संज्ञान लिया है और तुरंत पेड़ों से क्यूआर कोड हटाने को कहा है.
जिसके बाद अब सभी पेड़ो से क्यू आर कोड हटाया जा रहा है. इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी एस चिलइया से बात की. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने बॉटनी का अध्ययन किया है.
'QR कोड से नुकसान नहीं'
एस चिलइया ने बताया कि हमें पेड़ पौधों के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी है कि पेड़ों को कितना छीलकर क्यूआर कोड बनाया जा सकता है, वो भी बिना नुकसान पहुंचाए. क्यूआर कोड से पेड़ों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो रहा है.
आप भारत के दूरदराज के गांवों में जाइए वहां पर भी इसी तरह पेड़ों को छीलकर उसके ऊपर पेंट करके नंबर्स लिखे गए हैं. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद पर्यावरण का पूरा ख्याल रखता है और पेड़ों का रखरखाव करता है. साथ ही पर्यावरण को शुद्ध बनाने में जितना हो सके उतना अपना योगदान भी देता है.
क्यूआर कोड बनाने की जरूरत इसलिए थी और यह सब इसलिए किया गया था ताकि लोगों को पेड़ों के बारे में सही जानकारी मिल सके कि कौन सा पेड़ कितने साल पुराना है और उसका क्या इतिहास है. हमारा क्षेत्र ऐसा है कि यहां पर कई पेड़ 100 साल से ज्यादा पुराने हैं और लोग उनके इतिहास के बारे में नहीं जानते इसलिए एक सुविधा की शुरुआत की गई थी लेकिन अब फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद क्यू आर कोड को हटाया जा रहा है.