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फॉरेस्ट विभाग ने पेड़ों से हटवाए QR कोड, NDMC ने कहा- कोई नुकसान नहीं

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में पेड़ों के ऊपर बनाए गए क्यूआर कोड को लेकर विवाद तेज होने के बाद इसमें फॉरेस्ट विभाग ने संज्ञान लिया है और तुरंत पेड़ों से क्यू आर कोड हटाने को कहा है.

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Published : Sep 2, 2019, 8:36 PM IST

फॉरेस्ट विभाग ने पेड़ों से हटवाए QR कोड etv bharat

नई दिल्ली: नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी का कहना है कि पेड़ों पर लगाए गए क्यूआर कोड से पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद इन्हें हटाया जा रहा है.

फॉरेस्ट विभाग ने पेड़ों से हटवाए QR कोड

क्यूआर कोड से पेड़ों को नहीं होगा नुकसान
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में पेड़ों के ऊपर बनाए गए क्यूआर कोड को लेकर विवाद तेज होने के बाद इसमें फॉरेस्ट विभाग ने संज्ञान लिया है और तुरंत पेड़ों से क्यूआर कोड हटाने को कहा है.

जिसके बाद अब सभी पेड़ो से क्यू आर कोड हटाया जा रहा है. इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी एस चिलइया से बात की. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने बॉटनी का अध्ययन किया है.

'QR कोड से नुकसान नहीं'
एस चिलइया ने बताया कि हमें पेड़ पौधों के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी है कि पेड़ों को कितना छीलकर क्यूआर कोड बनाया जा सकता है, वो भी बिना नुकसान पहुंचाए. क्यूआर कोड से पेड़ों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो रहा है.

आप भारत के दूरदराज के गांवों में जाइए वहां पर भी इसी तरह पेड़ों को छीलकर उसके ऊपर पेंट करके नंबर्स लिखे गए हैं. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद पर्यावरण का पूरा ख्याल रखता है और पेड़ों का रखरखाव करता है. साथ ही पर्यावरण को शुद्ध बनाने में जितना हो सके उतना अपना योगदान भी देता है.

क्यूआर कोड बनाने की जरूरत इसलिए थी और यह सब इसलिए किया गया था ताकि लोगों को पेड़ों के बारे में सही जानकारी मिल सके कि कौन सा पेड़ कितने साल पुराना है और उसका क्या इतिहास है. हमारा क्षेत्र ऐसा है कि यहां पर कई पेड़ 100 साल से ज्यादा पुराने हैं और लोग उनके इतिहास के बारे में नहीं जानते इसलिए एक सुविधा की शुरुआत की गई थी लेकिन अब फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद क्यू आर कोड को हटाया जा रहा है.

नई दिल्ली: नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी का कहना है कि पेड़ों पर लगाए गए क्यूआर कोड से पेड़ों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद इन्हें हटाया जा रहा है.

फॉरेस्ट विभाग ने पेड़ों से हटवाए QR कोड

क्यूआर कोड से पेड़ों को नहीं होगा नुकसान
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में पेड़ों के ऊपर बनाए गए क्यूआर कोड को लेकर विवाद तेज होने के बाद इसमें फॉरेस्ट विभाग ने संज्ञान लिया है और तुरंत पेड़ों से क्यूआर कोड हटाने को कहा है.

जिसके बाद अब सभी पेड़ो से क्यू आर कोड हटाया जा रहा है. इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी एस चिलइया से बात की. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने बॉटनी का अध्ययन किया है.

'QR कोड से नुकसान नहीं'
एस चिलइया ने बताया कि हमें पेड़ पौधों के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी है कि पेड़ों को कितना छीलकर क्यूआर कोड बनाया जा सकता है, वो भी बिना नुकसान पहुंचाए. क्यूआर कोड से पेड़ों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो रहा है.

आप भारत के दूरदराज के गांवों में जाइए वहां पर भी इसी तरह पेड़ों को छीलकर उसके ऊपर पेंट करके नंबर्स लिखे गए हैं. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद पर्यावरण का पूरा ख्याल रखता है और पेड़ों का रखरखाव करता है. साथ ही पर्यावरण को शुद्ध बनाने में जितना हो सके उतना अपना योगदान भी देता है.

क्यूआर कोड बनाने की जरूरत इसलिए थी और यह सब इसलिए किया गया था ताकि लोगों को पेड़ों के बारे में सही जानकारी मिल सके कि कौन सा पेड़ कितने साल पुराना है और उसका क्या इतिहास है. हमारा क्षेत्र ऐसा है कि यहां पर कई पेड़ 100 साल से ज्यादा पुराने हैं और लोग उनके इतिहास के बारे में नहीं जानते इसलिए एक सुविधा की शुरुआत की गई थी लेकिन अब फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद क्यू आर कोड को हटाया जा रहा है.

Intro: कनॉट प्लेस नई दिल्ली

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी बोले क्यूआर कोड से नहीं होगा पेड़ों को नुकसान, एनडीएमसी रखता है हमेशा पर्यावरण का ख्याल, हम लोगों ने पेड़-पौधे विज्ञान अर्थात बॉटनी का अध्ययन किया है हमें पता है कि पेड़ों को कहां तक छीलकर बिना उसे नुकसान पहुंचाए क्यूआर कोड बनाया जा सकता है फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद हटाया जा रहा है क्यूआर कोड को


Body:क्यूआर कोड से पेड़ों को नहीं होगा पेड़ों को नुकसान

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के क्षेत्र में पेड़ों के ऊपर बनाए गए क्यूआर कोड को लेकर विवाद तेज होने के बाद इसमें फॉरेस्ट विभाग ने संज्ञान लिया और तुरंत नई दिल्ली नगरपालिका परिषद को तमाम पेड़ों से क्यू आर कोड हटाने को कहा है जिसके बाद अब सभी पेड़ो से क्यू आर कोड को हटाया जा रहा है इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत की टीम ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारी एस चिलइया से बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोगों ने बॉटनी का अध्ययन किया है हमें पेड़ पौधों के बारे में अच्छे तरीके से ज्ञात है कि कितना पेड़ों को छीलकर qr-code बनाया जा सकता वह भी बिना नुकसान पहुंचाए , क्यूआर कोड से पेड़ों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो रहा है

आप भारत के दूरदराज के गांवों में जाइए वहां पर भी इसी तरह पेड़ों को छीलकर उसके ऊपर पेंट करके नंबर्स लिखे गए हैं क्या वहां पेड़ों को नुकसान नहीं होता है नई दिल्ली नगरपालिका परिषद पर्यावरण का पूरा ख्याल रखता है और पेड़ों का रखरखाव करता है साथ ही पर्यावरण को शुद्ध बनाने में जितना हो सके उतना अपना योगदान भी देता है , क्यूआर कोड बनाने की जरूरत इसलिए थी और यह सब इसलिए किया गया था ताकि लोगों को पेड़ों के बारे में सही जानकारी मिल सके कि कौन सा पेड़ कितने साल पुराना है और उसका क्या इतिहास है क्योंकि हमारा क्षेत्र ऐसा है कि यहां पर कई पेड़ 100 साल से ज्यादा पुराने हैं और लोग उनके इतिहास के बारे में नहीं जानते इसलिए यह एक सुविधा की शुरुआत की गई थी लेकिन अब फारेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद क्यू आर कोड को हटाया जा रहा है ।


Conclusion:क्यूआर कोड से नहीं होगा पेड़ों को कोई नुकसान फॉरेस्ट विभाग के ऐतराज के बाद हटाया जा रहा है सभी को क्यू आर कोड्स को ।
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