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भीलवाड़ा: सड़क हादसे में पिता की मौत के बाद बेटे ने बारहवें में पंडितों को बांटे हेलमेट

पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.

सड़क हादसे में पिता की मौत के बाद बेटे ने बारहवें में पंडितों को बांटे हेलमेट
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Published : Sep 26, 2019, 4:26 PM IST

नई दिल्ली/भीलवाड़ा: पिता की दुर्घटना में हुई मौत से आहत बेटे ने बारहवीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा में हेलमेट देकर की एक अनोखी पहल. बता दें कि राजस्थान के भीलवाड़ा में जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिनके बारहवीं के कार्यक्रम में उनके पुत्र ने सुख सेज की रस्म के तहत पंडितों को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया है की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहें.

सड़क हादसे में पिता की मौत के बाद बेटे ने बारहवें में पंडितों को बांटे हेलमेट

इलाज के दौरान तोड़ा दम

18 जुलाई को बांकरा रोड पर मोटर साइकिल से बाइक टकराने के कारण हुई दुर्घटना में टांक के सिर में चोट लगी थी. पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था. जहां 14 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.

पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.

उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है. आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है. साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है. इसलिए उन्होंने केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए. टांक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण का पंडितों सहित पूरे कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही.

नई दिल्ली/भीलवाड़ा: पिता की दुर्घटना में हुई मौत से आहत बेटे ने बारहवीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा में हेलमेट देकर की एक अनोखी पहल. बता दें कि राजस्थान के भीलवाड़ा में जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिनके बारहवीं के कार्यक्रम में उनके पुत्र ने सुख सेज की रस्म के तहत पंडितों को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया है की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहें.

सड़क हादसे में पिता की मौत के बाद बेटे ने बारहवें में पंडितों को बांटे हेलमेट

इलाज के दौरान तोड़ा दम

18 जुलाई को बांकरा रोड पर मोटर साइकिल से बाइक टकराने के कारण हुई दुर्घटना में टांक के सिर में चोट लगी थी. पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था. जहां 14 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.

पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.

उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है. आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है. साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है. इसलिए उन्होंने केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए. टांक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण का पंडितों सहित पूरे कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही.

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नई दिल्ली/भीलवाड़ा: पिता की दुर्घटना में हुई मौत से आहत बेटे ने बारहवीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा में हेलमेट देकर की एक अनोखी पहल. बता दें कि राजस्थान के भीलवाड़ा में जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिनके बारहवीं के कार्यक्रम में उनके पुत्र ने सुख सेज की रस्म के तहत पंडितों को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया है की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहें.



18 जुलाई को बांकरा रोड पर मोटर साइकिल से बाइक टकराने के कारण हुई दुर्घटना में टांक के सिर में चोट लगी थी. पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था. जहां 14 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.



पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.



उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है. आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है. साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है. इसलिए उन्होंने केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए. टांक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण का पंडितों सहित पूरे कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही.


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