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'पीएम ने कहा था किसानों की आय दोगुनी करेंगे, किसान बोलें उन्हें याद दिलाने आए हैं'

दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को देशभर के किसान, यहां आयोजित किसान गर्जना रैली में शामिल (Farmers gathered in Kisan Garjana rally) हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

Farmers gathered in Kisan Garjana rally
Farmers gathered in Kisan Garjana rally
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Published : Dec 19, 2022, 1:48 PM IST

Updated : Dec 19, 2022, 1:55 PM IST

दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से पहुंचे किसान

नई दिल्ली: खेतों में धान की कटाई के बाद गेहूं व दलहन, तिलहन फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. इसी बीच भारतीय किसान संघ के आह्वान पर खेतों में काम छोड़कर हजारों की संख्या में देशभर के किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गर्जना रैली में शामिल हुए. इनकी मांगे तो कई हैं लेकिन इन मांगों का लब्बोलुआब यही है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभाली थी तो कहा था कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन किसान आज भी दुखी हैं.

राजस्थान के जैसलमेर से आए विजय सिंह का कहना है कि खेती की लागत इतनी बढ़ गई है कि किसान दिन प्रतिदिन जमीन को खाली छोड़ सिर्फ गुजर-बसर व अपने परिवार का पेट पालने के लिए खेती करने को मजबूर है. वर्ष 2013 से हमलोग खेती में लागत के आधार पर सरकार के कृषि उपज का मूल्य तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गयी. रामलीला मैदान में आंध्र प्रदेश राजस्थान से आए कुछ किसानों से जब हमने बात की तो उनकी यही मांग थी कि जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने नदी जोड़ो अभियान शुरू किया था, जिससे देश के किसी भी राज्य में किसानों को कम से कम खेती के लिए पानी की जरूरत पूरी हो जाती.

महेंद्रगढ़ से आए किसान महेंद्र विश्नोई कहते हैं कि आज तक वह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाया. खेत में पानी की समुचित व्यवस्था होनी ही चाहिए. जिस तरह लागत बढ़ी है फसलों का मूल्य बढ़ाने पर सरकार को विचार करना चाहिए. सरकार के पास पहले से ही किसान क्रेडिट कार्ड धारकों का डेटा है. इसके आधार पर ही किसानों को कारोबारी बनने के लिए लाइसेंस दिया जाना चाहिए. इसके लिए अलग से कोई सर्टिफिकेट लेने की जरूरत न हो. बीकेएस की कार्यकारी समिति के सदस्य नाना आखरे ने कहा है कि जो किसान देश को अनाज, सब्जियां, फल, दूध आदि प्रदान करते हैं, आज अपनी कृषि उपज पर उचित लाभ नहीं मिलने की वजह से बहुत निराश हैं और इस वजह से आत्महत्या कर रहे हैं.

भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली में शामिल होने के लिए रविवार से ही हज़ारों किसान रामलीला मैदान पहुंचने लगे थे. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान गर्जना रैली के होर्डिंग और पोस्टर लगाए गए हैं. रामलीला मैदान के आसपास भी सैकड़ों की संख्या में होर्डिंग पोस्टर लगाकर किसान अपनी मांग बताने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने बताया कि किसानों से जुड़ी मांगों को दिल्ली में रैली कर अपना विरोध जताने सभी पहुंचे हैं. किसान बाल मुकुंद गुर्जर ने कहा कि हमलोगों की मांग है कि केंद्र सरकार को कृषि उपज पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा संगठन सभी कृषि उपज को जीएसटी से मुक्त करने की मांग भी कर रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि में खेती की बढ़ी लागत के अनुपात में बढ़ोतरी की मांग भी उठाई जा रही है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली में किसान गर्जना रैली को लेकर पुलिस अलर्ट, कई इलाके में लग सकता ट्रैफिक जाम

रैली में शामिल किसान संगठन की मांग है कि सिंचाई और नदी लिंक प्रोजेक्ट्स के लिए भी मदद की जानी चाहिए. इसके लिए अधिक पैसे देने करने की मांग भी की है. केंद्र सरकार से किसानों की मांग है कि जीएम सरसों के बीज को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. देश की निर्यात-आयात नीति लोगों के हित में होनी चाहिए. देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने की मांग सहित कई अन्य मांगें भी की जा रही हैं.

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दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से पहुंचे किसान

नई दिल्ली: खेतों में धान की कटाई के बाद गेहूं व दलहन, तिलहन फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. इसी बीच भारतीय किसान संघ के आह्वान पर खेतों में काम छोड़कर हजारों की संख्या में देशभर के किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गर्जना रैली में शामिल हुए. इनकी मांगे तो कई हैं लेकिन इन मांगों का लब्बोलुआब यही है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सत्ता संभाली थी तो कहा था कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, लेकिन किसान आज भी दुखी हैं.

राजस्थान के जैसलमेर से आए विजय सिंह का कहना है कि खेती की लागत इतनी बढ़ गई है कि किसान दिन प्रतिदिन जमीन को खाली छोड़ सिर्फ गुजर-बसर व अपने परिवार का पेट पालने के लिए खेती करने को मजबूर है. वर्ष 2013 से हमलोग खेती में लागत के आधार पर सरकार के कृषि उपज का मूल्य तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गयी. रामलीला मैदान में आंध्र प्रदेश राजस्थान से आए कुछ किसानों से जब हमने बात की तो उनकी यही मांग थी कि जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने नदी जोड़ो अभियान शुरू किया था, जिससे देश के किसी भी राज्य में किसानों को कम से कम खेती के लिए पानी की जरूरत पूरी हो जाती.

महेंद्रगढ़ से आए किसान महेंद्र विश्नोई कहते हैं कि आज तक वह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाया. खेत में पानी की समुचित व्यवस्था होनी ही चाहिए. जिस तरह लागत बढ़ी है फसलों का मूल्य बढ़ाने पर सरकार को विचार करना चाहिए. सरकार के पास पहले से ही किसान क्रेडिट कार्ड धारकों का डेटा है. इसके आधार पर ही किसानों को कारोबारी बनने के लिए लाइसेंस दिया जाना चाहिए. इसके लिए अलग से कोई सर्टिफिकेट लेने की जरूरत न हो. बीकेएस की कार्यकारी समिति के सदस्य नाना आखरे ने कहा है कि जो किसान देश को अनाज, सब्जियां, फल, दूध आदि प्रदान करते हैं, आज अपनी कृषि उपज पर उचित लाभ नहीं मिलने की वजह से बहुत निराश हैं और इस वजह से आत्महत्या कर रहे हैं.

भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली में शामिल होने के लिए रविवार से ही हज़ारों किसान रामलीला मैदान पहुंचने लगे थे. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान गर्जना रैली के होर्डिंग और पोस्टर लगाए गए हैं. रामलीला मैदान के आसपास भी सैकड़ों की संख्या में होर्डिंग पोस्टर लगाकर किसान अपनी मांग बताने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने बताया कि किसानों से जुड़ी मांगों को दिल्ली में रैली कर अपना विरोध जताने सभी पहुंचे हैं. किसान बाल मुकुंद गुर्जर ने कहा कि हमलोगों की मांग है कि केंद्र सरकार को कृषि उपज पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं लगाना चाहिए. इसके अलावा संगठन सभी कृषि उपज को जीएसटी से मुक्त करने की मांग भी कर रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि में खेती की बढ़ी लागत के अनुपात में बढ़ोतरी की मांग भी उठाई जा रही है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली में किसान गर्जना रैली को लेकर पुलिस अलर्ट, कई इलाके में लग सकता ट्रैफिक जाम

रैली में शामिल किसान संगठन की मांग है कि सिंचाई और नदी लिंक प्रोजेक्ट्स के लिए भी मदद की जानी चाहिए. इसके लिए अधिक पैसे देने करने की मांग भी की है. केंद्र सरकार से किसानों की मांग है कि जीएम सरसों के बीज को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए. देश की निर्यात-आयात नीति लोगों के हित में होनी चाहिए. देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने की मांग सहित कई अन्य मांगें भी की जा रही हैं.

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Last Updated : Dec 19, 2022, 1:55 PM IST
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