नई दिल्ली: भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर के तहत आने वाले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन मैनेजमेंट हैदराबाद की तरफ से नेशनल एग्रीकल्चर साइंस कॉम्प्लेक्स में नेशनल एग्रीप्रेन्योरशिप अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में भारत के अनेक राज्यों से आए किसानों को सम्मानित किया गया. इन किसानों को यह अवार्ड कृषि के अलग-अलग क्षेत्र में उनकी सफलता को देखते हुए दिया गया.
कार्यक्रम में मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर में ज्वाइंट सेक्रेटरी शुभा ठाकुर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन मैनेजमेंट हैदराबाद के डीजी डॉक्टर पी चंद्रशेखर, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर के एडिशनल कमिश्नर डॉ संजय कुमार के अलावा कई और गणमान्य लोग शामिल हुए. इस दौरान अलग-अलग राज्यों से काफी संख्या में महिला किसान भी आई हुई थीं. प्रत्येक राज्य से किसानों की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई थी. कृषि के क्षेत्र में उनकी लगातार सफलता के आधार पर उन्हें प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ कैश रिवार्ड भी दिया गया.
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अलग-अलग राज्यों से आए किसान एग्रीकल्चर, सीड्स, डेरी, फिशरी, सूअर पालन, फूलों और फलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती से संबंधित थे. इस फील्ड में ना सिर्फ उन्होंने एक अलग मुकाम हासिल किया बल्कि अन्य किसानों को रोजगार भी उपलब्ध कराए. इनमें से कई किसान ऐसे थे जिनकी सालाना इनकम करोड़ों में थी. महिलाओं के साथ-साथ युवा किसान भी अच्छी खासी तादाद अलग-अलग राज्यों से इस अवार्ड को लेने पहुंचे थे. उनका कहना है कि आज के युवाओं को यह लगता है की खेती में कुछ नहीं रखा, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर वैज्ञानिक तरीके से और पूरी मेहनत व इमानदारी से खेती की जाए तो उसमें भी किसी दूसरे व्यवसाय से कम पैसे नहीं हैं.
वहीं महिला व्यवसायियों का कहना था कि महिलाओं को घर के कामों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. अगर उनमें इच्छाशक्ति है तो काम की कोई कमी नहीं है. वेस्ट बंगाल से आए राहुल साहा कैटल फीड के फील्ड में पिछले 4 साल पहले जुड़े तब उनका व्यवसाय लगभग एक करोड़ रुपए का था. लेकिन 4 सालों में उनका टर्नओवर साढ़े छह करोड़ रुपए हो गया. उन्होंने एक मिसाल पेश की इसके लिए ही उन्हें सम्मानित किया गया. राहुल का कहना है कि उनके परिवार में गायों को पालने की परंपरा शुरू से चली आ रही है. उनके मन में आया कि वह गायों के चारे को ही व्यवसाय के रूप में चुनेंगे. उन्होंने एमबीए भी किया है और इस व्यवसाय को बढ़ाने में लग गए.
उनका कहना है आज उनके साथ वेस्ट बंगाल के अलग-अलग इलाके में रहने वाले 25000 किसान जो हैं, जिन्हें वह गायों के चारे और उनकी बेहतरी को लेकर फ्री ट्रेनिंग प्रोग्राम भी करते हैं और उनसे जुड़े किसान चारा खरीदते हैं, जिससे उनका व्यवसाय लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग कृषि या उससे जुड़े दूसरे क्षेत्र को कम आमदनी वाला क्षेत्र मानते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, अगर व्यावसायिक तरीके से कृषि और कृषि के अन्य क्षेत्रों में काम किया जाए तो यहां पैसे और शोहरत की कोई कमी नहीं है. और सबसे सुकून देने वाली बात यह है कि आपको जहां पैसे के साथ-साथ सम्मान मिलता है, साथ ही आप अन्य लोगों को रोजगार भी देते हैं.
2021 में पिग फार्मिंग की शुरुआत करने वाली असम की गीताश्री ने कभी सोचा नहीं था कि आने वाले समय में उनका व्यवसाय लाखों की कमाई करने वाला बन जाएगा. उनका कहना है कि असम में पिग फार्मिंग को लेकर लोगों की सोच ठीक नहीं थी. उन्होंने जब इस व्यवसाय के बारे में जानकारियां इकट्ठा कीं तो पता चला कि सूअर पालन में काफी अच्छी कमाई है. धीरे-धीरे उन्होंने इस व्यवसाय से महिलाओं को जोड़ना शुरू किया जिसकी बदौलत आज ना सिर्फ वह लाखों की कमाई कर रही हैं बल्कि 200 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को इस व्यवसाय से जोड़ने के लिए वह लगातार अभियान चला रही हैं. शुभा ठाकुर ने किसानों को और बेहतर खेती के लिए प्रेरित किया और उनकी मेहनत पर बधाई दी.
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