नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को सौगात देते हुए प्रधानमंत्री सम्मान किसान निधि योजना की आठवीं किस्त जारी की और इसके अंतर्गत 9.5 करोड़ किसानों के परिवारों को 19000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की गई. इसके अंतर्गत कुछ किसानों को सालाना 6000 की आर्थिक सहायता और कुछ किसानों को हर 4 महीने में दो-दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
गौरतलब है कि दिल्ली के अलग-अलग बॉडर्स पर किसान पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर विरोध जता रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के अंतर्गत जारी की गई इस राशि को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजवीर जादौन ने कहा कि सरकार ने जो हर एक 4 महीने में सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को 2000 की राशि देने का ऐलान किया है वह पर्याप्त नहीं है, इससे ज्यादा किसान का खर्च हो जाता है. इसके साथ ही बहुत से किसानों को अभी तक योजना में जोड़ा नहीं गया है.
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने जैविक खेती की बात कही, लेकिन हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि क्या किसान को जैविक खेती के लिए उसके उत्पादन लागत से ज्यादा मुनाफा मिलेगा. हर एक किसान जैविक खेती करने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार उन्हें यह संतुष्टि देगी कि उत्पादन किया हुआ सामान अच्छे दामों पर खरीदा जाएगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कोरोना के हालातों को लेकर भी सरकार नाकाम साबित हुई है. सरकार की सभी व्यवस्थाएं धराशाई हो गई है. गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान अतुल त्रिपाठी ने कहा कि हम प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना का बहिष्कार करते हैं. 6000 की सालाना आर्थिक सहायता किसी भी किसान के लिए पूर्ण नहीं है.
उन्होंने कहा कि अब तक इस पूरे किसान आंदोलन के दौरान साढ़े तीन सौ से अधिक किसान अलग-अलग बॉर्डर पर अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया है. हमारी यही अपील है कि सरकार इन तीनों कानूनों कों वापस ले और एमएससी पर किसानों को गारंटी दें.