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इहबास में फैकल्टी को 22 की जगह मिल रहा है केवल 5 हजार का अलाउंस - दिल्ली हिंदी न्यूज

इहबास में फैकल्टी के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यहां असिस्टेंट प्रोफेसर को एकेडेमिक अलाउंस के तौर पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिस के मुताबिक साढ़े बाइस हजार रुपए मिलने चाहिए. लेकिन उन्हें छठे वेतन आयोग के सिफारिस के दस हजार से भी आधे यानि केवल पांच हजार ही मिल रहे हैं.

allowance in Ihabas
इहबास में फैकल्टी अलाउंस
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Published : Aug 6, 2020, 8:41 AM IST

Updated : Aug 6, 2020, 11:11 AM IST

नई दिल्ली: इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज यानि इहबास में फैकल्टी का किस कदर शोषण हो रहा है. इसका एक अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां दस साल से फैकल्टी का प्रमोशन रुका हुआ है तो वहीं उन्हें अलाउंस भी चौथाई से भी कम मिल रहा है.

इहबास में फैकल्टी अलाउंस पर विवाद
इहबास में फैकल्टी के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यहां असिस्टेंट प्रोफेसर को एकेडमिक अलाउंस के तौर पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिस के मुताबिक साढ़े बाइस हजार रुपए मिलने चाहिए. लेकिन उन्हें छठे वेतन आयोग के सिफारिस के दस हजार से भी आधे यानि केवल पांच हजार ही मिल रहे हैं. ये तो केवल एक अलाउंस की बात है.


बता दें कि इस अस्पताल में फैकल्टी की संख्या एक चौथाई से भी कम है. यहां 103 फैकल्टी की जगह केवल 25 ही हैं और जो हैं उन्हें भी साल 2010 के बाद से प्रमोशन नहीं मिला. डॉ. रेणु गुप्ता बताती हैं कि 20 साल का करियर होने के बाद भी वे अभी तक असिस्टेंट प्रोफेसर ही हैं. जबकि उनके साथ के ही दूसरे संस्थानों के डॉक्टर प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष तक बन गए, लेकिन उन्हें तो ये भी नहीं पता कि उनका प्रमोशन कब होगा.

नई दिल्ली: इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज यानि इहबास में फैकल्टी का किस कदर शोषण हो रहा है. इसका एक अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां दस साल से फैकल्टी का प्रमोशन रुका हुआ है तो वहीं उन्हें अलाउंस भी चौथाई से भी कम मिल रहा है.

इहबास में फैकल्टी अलाउंस पर विवाद
इहबास में फैकल्टी के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यहां असिस्टेंट प्रोफेसर को एकेडमिक अलाउंस के तौर पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिस के मुताबिक साढ़े बाइस हजार रुपए मिलने चाहिए. लेकिन उन्हें छठे वेतन आयोग के सिफारिस के दस हजार से भी आधे यानि केवल पांच हजार ही मिल रहे हैं. ये तो केवल एक अलाउंस की बात है.


बता दें कि इस अस्पताल में फैकल्टी की संख्या एक चौथाई से भी कम है. यहां 103 फैकल्टी की जगह केवल 25 ही हैं और जो हैं उन्हें भी साल 2010 के बाद से प्रमोशन नहीं मिला. डॉ. रेणु गुप्ता बताती हैं कि 20 साल का करियर होने के बाद भी वे अभी तक असिस्टेंट प्रोफेसर ही हैं. जबकि उनके साथ के ही दूसरे संस्थानों के डॉक्टर प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष तक बन गए, लेकिन उन्हें तो ये भी नहीं पता कि उनका प्रमोशन कब होगा.

Last Updated : Aug 6, 2020, 11:11 AM IST
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