दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद सदस्य डॉ राजेश झा ने बताया कि हमने कार्यकारी परिषद मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश की, पर यूनिवर्सिटी प्रशासन के तानाशाही और मनमाने रवैये के चलते ऐसा हो नहीं पाया.
मीटिंग बुलाई गई
बता दें कि शनिवार को आयुर्वेदिक यूनानी और होम्योपैथी के सिलेबस को लेकर तुरंत कार्यकारी परिषद की मीटिंग बुलाई गई थी. सदस्यों का कहना है कि यह काम साल भर पहले किया जा सकता था, जिससे कि छात्रों का नुकसान ना होता. सदस्यों ने अब्सॉर्प्शन, 200 पॉइंट रोस्टर, प्रमोशन और पेंशन पर तुरंत ध्यान देने की भी मांग रखी.
छात्रों की मांगें
दरअसल सदस्य मांग कर रहे थे कि आयुर्वेदिक यूनानी और होम्योपैथी के सिलेबस के मामले में देरी को देखने के लिए एक समिति गठित की जाए और देरी के लिए जवाबदेही तय की जाए. इस कमेटी में वाईएस माथुर, जेएल गुप्ता, राजेश गोगना, राजेश झा, वीएस नेगी को शामिल करने के लिए कहा गया था. मीटिंग में पूछा गया कि इस मामले में अदालत में क्या स्थिति है?
राजेश झा ने बताया कि हमने पूछा कि क्या आयुर्वेद के मुद्दे पर कमेटी गठित की गई और उसकी रिपोर्ट क्या रही? इस दौरान सदस्यों ने शिक्षकों के अब्जॉर्प्शन और 200 पॉइंट रोस्टर का मुद्दा उठाया प्रमोशन पेंशन जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया. बता दें कि फाइनेंस कमेटी की मीटिंग 27 फरवरी को होगी और कार्यकारी परिषद की अगली 6 मार्च को होगी.