नई दिल्ली: आमतौर पर इंसान भगवान की शरण में जाता है, लेकिन नील कटरा स्थित हनुमान मंदिर के हनुमान आज स्वयं विस्थापन का दंश झेल रहे हैं. रविवार की सुबह मंदिर को ढाए जाने के बाद से ही लगातार यह सवाल उठ रहे हैं कि वहां स्थापित भगवान हनुमान की मूर्तियां कहां हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम उस जगह पहुंची, जहां नील कटरा हनुमान मंदिर से लाई गई भगवान हनुमान की मूर्तियों को रखा गया है.
निगम का मेंटेनेंस सेंटर बना भगवान की शरणस्थली
भगवान हनुमान की खोज करते हुए ईटीवी भारत की टीम चांदनी चौक इलाके में स्थित निगम के मेंटेनेंस सेंटर पहुंची, जहां भगवान हनुमान की प्रतिमा को अस्थाई तौर पर रखा गया है. वहां मौजूद निगम के कर्मचारियों द्वारा ही उनकी वहां पूजा पाठ की जा रही है. यह मूर्तियां यहां स्थापित नहीं, बल्कि विस्थापित है यानी आसान शब्दों में कहें तो भगवान को वहां शरण दी गई है.
'पुलिस की मौजूदगी में ढाया गया मंदिर'
प्राचीन हनुमान मंदिर समिति ट्रस्ट के सदस्य संजय शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान कहा कि शनिवार रात और रविवार की सुबह पुलिस फोर्स और कॉर्पोरेशन ने अपना काम शुरू किया था. सबसे पहले प्राचीन हनुमान मंदिर के अंदर रखी गई मूर्तियों को निकाला गया और मूर्तियां निकालने के बाद मंदिर को गिरा दिया गया.
एमसीडी के मेंटेनेंस सेंटर में भगवान की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि शरण दिया गया है. भगवान को अपने घर से निकाल कर उन्हें एमसीडी के मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई है. जब कभी वहां मंदिर बनेगा तो इन मूर्तियों को वहां स्थापित किया जाएगा. यहां पर भगवान स्वयं शरणागत हैं.
स्वयं प्रकट हुई थी मूर्ति
संजय शर्मा ने बताया कि यहां पर सबसे बड़ी जो भगवान हनुमान की मूर्ति है वह मुख्य मूर्ति है. इसके अलावा भगवान हनुमान की एक छोटी मूर्ति अपने आप प्रकट हुई थी. इस मूर्ति का कोई निशान नहीं है कि यह कब आई और कैसे आई. यह मूर्ति यहां प्रकट हुई थी और इसका बड़ा स्वरूप यहां स्थापित किया गया था. यह मंदिर 50 से 55 साल पुराना है. भगवान हनुमान की मूर्ति के पीछे जो छोटा मंदिर था उसमें भगवान शंकर का पूरा परिवार स्थापित था उसे भी लाकर यहां रखा गया है.
प्रदर्शन है दिखावा
तमाम राजनीतिक पार्टियों के प्रदर्शन से जुड़े सवाल के जवाब में संजय शर्मा ने कहा कि यहां जो प्रदर्शन हो रहे हैं असल में यह सब दिखावा हो रहा है. जितने लोग अभी यहां प्रदर्शन कर रहे हैं अगर पहले खड़े हो जाते तो मंदिर टूटने से बच सकता था. मंदिर टूटने के बाद लोग आना शुरू हुए. हम 15 लोग शनिवार सुबह से ही मंदिर को बचाने में लगे थे जबकि हमारे सामने 15000 पुलिस फोर्स थी. हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सके और हमारे सामने ही हमारे इष्ट देव को उठाकर यहां शरणागत कर दिया गया.