नई दिल्ली: मुगल सम्राट शाहजहां के बड़े और प्रिय पुत्र दारा शुकोह (शिकोह के नाम से भी मशहूर) की कब्र की पहचान कर लेने का दावा साउथ एमसीडी के एक असिस्टेंट इंजीनियर ने किया है. उस काल के आधिकारिक इतिहास, वक्त के साथ आए भवनों और कब्रों के संरचनात्मक सुधार और भारत भ्रमण के लिए आए लोगों द्वारा बताई गई जानकारी के आधार पर यह खोज की गई है. असिस्टेंट इंजीनियर का कहना है कि वह किसी भी जानकार के साथ उसके द्वारा की गई रिसर्च को साझा करने और इस पर विचार विमर्श के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने शाहजहां के बेटे और औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की कब्र की पहचान के लिए एक कमिटी भी बनाई है. जो दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे में मौजूद सभी कब्रों में दारा की कब्र की पहचान करेगी. उससे पहले हालांकि साउथ एमसीडी के इस असिस्टेंट इंजीनियर के दावों ने सबको हैरत में डाल दिया है. साउथ एमसीडी के इसी असिस्टेंट इंजीनियर संजीव कुमार से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
हुमायूं के मकबरे में दफन है दारा
संजीव कहते हैं कि इस बात में अब कोई शक नहीं है कि दारा शिकोह की कब्र हुमायूं के मकबरे में ही है. भारत भ्रमण के लिए आए लगभग सभी यात्री और औरंगजेब के काल का आधिकारिक इतिहास भी इस बात की पुष्टि करता है. यहां लगभग 150 कब्र हैं जिसमें 24 कब्रों का ताबीज़ ऊपर है. इसमें 7 महिलाओं की और 15 पुरुषों की हैं जबकि 2 कब्र बच्चों की भी हैं. इसमें दारा की कब्र की पहचान के लिए उस वक्त की संरचनाओं और एकाउंट्स का सहारा लिया गया है और अब ये बात शत प्रतिशत सही है कि दारा की कब्र उन 3 कब्रों में एक है जहां अकबर के बेटे दानियाल और मुराद दफन हैं.
आलमगीरनामा में है जिक्र
संजीव बताते हैं कि अगर आलमगीरनामा नामक किताब को देखें जिसे औरंगजेब के जमाने में मिर्जा मोहम्मद काज़िम ने लिखा था, तो उसमें दारा को दफनाने के विषय में जानकारी दी गई है. इसे औरंगजेब के जमाने का आधिकारिक इतिहास है. इसमें कहा गया है कि दारा शिकोह को उस जगह दफनाया गया था जहां अकबर के दो बेटे दानियाल और मुराद दफन किए गए.
अकबर के ज़माने की 2 कब्र
वह बताते हैं कि हुमायूं के मकबरे में जब उन्होंने अलग-अलग कमरों में बनी कब्रों को देखा तो उसमें एक ही ऐसा कमरा था, जिसमें तीन कब्र हैं. यह तीनों ही कब्र पुरुषों की हैं. संजीव बताते हैं कि यहां से उन्होंने इन कब्रों की संरचना को परखने की कोशिश की. इसमें उन्हें पता चला कि दो कब्र अकबर के ज़माने की है जबकि 1 उसके बाद बनाई गई है.
उभरा हुआ फूल और दोहरा चबूतरा पहचान!
इसके लिए उन्होंने कब्रों पर बने हुई फूल, डिजाइन और चबूतरे का सहारा लिया. वह बताते हैं कि इन दोनों कब्रों में वैसी ही चीज़ें देखने को मिली जो अकबर के ज़माने में बनी अन्य चीजों में देखने को मिलती हैं. हालांकि तीसरी कब्र इनसे जुदा है और दरवाजे के बिल्कुल निकट है. यानि इसे बाद में बनवाया गया और ये शाहजहां के वक्त की भी है. ये इशारा करती हैं कि ये कब्र दारा की ही है.
क्या है धड़ और सर की थ्योरी?
संजीव कहते हैं कि जब जब दारा शिकोह की बात आती है तब तब धड़ और सर की अलग-अलग थ्योरी सामने आती हैं. भारत भ्रमण करने आए अलग-अलग यात्रियों के दारा की हत्या के षड्यंत्र को लेकर अलग-अलग मत हैं. कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि दारा शिकोह के सर को कलम कर शाहजहां के पास भेज दिया गया था जबकि धड़ को हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया था. हालांकि, इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है. वहीं भारत भ्रमण करने आए बर्नियर के एकाउंट का जिक्र करते हुए संजीव कहते हैं कि जब दारा शिकोह के सर और धड़ को औरंगजेब के सामने लाया गया तब उसने कहा- इसे ले जाकर हुमायूं के मकबरे में दफन कर दो. अब यहां पर सवाल यही उठता है कि दारा के सर या धड़ किसे ले जाकर हुमायूं के मकबरे में दफन किया गया था?
बर्नियर दिल्ली में ही था
संजीव कहते हैं कि उस वक्त बर्नियर दिल्ली में ही था. शायद यही कारण है कि बर्नियर के अकाउंट को ज्यादा तवज्जो दी जाती है. बर्नियर इसका जिक्र कहीं नहीं करता कि दारा के सर को शाहजहां के पास भेजा गया था. क्योंकि उन्होंने वहां पर सर या धड़ की जगह 'इसको' शब्द का इस्तेमाल किया है. ऐसे में इसका यकीन थोड़ा मुश्किल है.
संजीव कहते हैं कि उन्होंने यह खोज तथ्यों के आधार पर की है. इसके बावजूद अगर किसी इतिहासकार का इसमें संदेह है तो वह इस पर विचार विमर्श के लिए तैयार हैं. वह दावा करते हैं कि उनकी खोज सही है. केंद्र सरकार द्वारा गठित कमेटी को भी उन्होंने अपने रिसर्च के पर भेजे हैं जिस पर आखिरी फैसला इस कमेटी को ही लेना है.