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'मरीज़ों का नहीं हो पा रहा इलाज', ESI अस्पताल के चक्कर लगा रहे परिजन

नई दिल्ली/नोएडा: ESI अस्पताल में मरीज़ों को आए दिन कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है, लेकिन उनकी समस्याओं का हल किसी के पास नहीं है. अस्पताल में 4 काउंटर हैं लेकिन सिर्फ 1 काउंटर पर ही दवा मिलती है. वहीं डॉक्टर की बात करें तो वह भी अस्पताल से नदारद ही दिखते हैं.

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Published : Feb 17, 2019, 5:44 PM IST

'मरीज़ों के लिए सुविधा नहीं'

नोएडा के सेक्टर-12 की ईएसआई डिस्पेंसरी में मरीज़ों का इलाज किसी चुनौती से कम नहीं है. मरीज़ों को रजिस्ट्रेशन के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी तो रजिस्ट्रेशन के लिए सेक्टर 24 जाना पड़ता है. तो कभी दवा के लिए सेक्टर-12 की डिस्पेंसरी. मरीज़ के तीमारदार सेक्टर-12 से सेक्टर-24 के चक्कर लगाते रह जाते हैं लेकिन मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता है.

'ESI में लापरवाह डॉक्टर'
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'मरीज़ों के लिए सुविधा नहीं'
मरीज के तीमारदार (परिजन) ने बताया कि सेक्टर 12 में काउंटर तो चार है लेकिन एक ही खुलता है. बुजुर्गों के लिए यहां पर किसी भी तरीके की की कोई व्यवस्था नहीं है चार लोगों के बाद एक बुजुर्ग का नंबर आता है. महिला और पुरुष को एक ही लाइन में लगकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. आए दिन यहां किसी ना किसी बात पर मरीज़ों के बीच लड़ाई होती है.

'मरीज़ों के लिए सुविधा नहीं'
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'ESI में लापरवाह डॉक्टर'
एक महिला ने बताया कि पहले वह सेक्टर-12 के ESI अस्पताल में पर्ची के लाइन में लगकर पर्ची कटवाई. फिर डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने मरीज़ की तबीयत बहुत खराब है बोलकर सेक्टर- 24 के ESI अस्पताल भेज दिया गया. वहां जाकर महिला को फिर से पर्ची के लिए लाइन में लगना पड़ा. इमरजेंसी के तौर पर एक दवा दी गई. एक पर्चा लिखा गया और फिर सेक्टर-12 की डिस्पेंसरी में दवा लेने के लिए भेज दिया गया. तीमारदारों का एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर ESI अस्पताल का चक्कर लगाते-लगाते पूरा दिन गुज़र जाता है लेकिन मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता है.

नोएडा के सेक्टर-12 की ईएसआई डिस्पेंसरी में मरीज़ों का इलाज किसी चुनौती से कम नहीं है. मरीज़ों को रजिस्ट्रेशन के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी तो रजिस्ट्रेशन के लिए सेक्टर 24 जाना पड़ता है. तो कभी दवा के लिए सेक्टर-12 की डिस्पेंसरी. मरीज़ के तीमारदार सेक्टर-12 से सेक्टर-24 के चक्कर लगाते रह जाते हैं लेकिन मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता है.

'ESI में लापरवाह डॉक्टर'
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'मरीज़ों के लिए सुविधा नहीं'
मरीज के तीमारदार (परिजन) ने बताया कि सेक्टर 12 में काउंटर तो चार है लेकिन एक ही खुलता है. बुजुर्गों के लिए यहां पर किसी भी तरीके की की कोई व्यवस्था नहीं है चार लोगों के बाद एक बुजुर्ग का नंबर आता है. महिला और पुरुष को एक ही लाइन में लगकर रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. आए दिन यहां किसी ना किसी बात पर मरीज़ों के बीच लड़ाई होती है.

'मरीज़ों के लिए सुविधा नहीं'
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'ESI में लापरवाह डॉक्टर'
एक महिला ने बताया कि पहले वह सेक्टर-12 के ESI अस्पताल में पर्ची के लाइन में लगकर पर्ची कटवाई. फिर डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने मरीज़ की तबीयत बहुत खराब है बोलकर सेक्टर- 24 के ESI अस्पताल भेज दिया गया. वहां जाकर महिला को फिर से पर्ची के लिए लाइन में लगना पड़ा. इमरजेंसी के तौर पर एक दवा दी गई. एक पर्चा लिखा गया और फिर सेक्टर-12 की डिस्पेंसरी में दवा लेने के लिए भेज दिया गया. तीमारदारों का एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर ESI अस्पताल का चक्कर लगाते-लगाते पूरा दिन गुज़र जाता है लेकिन मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता है.

Intro:ESI हॉस्पिटल में एक नहीं कई समस्याएं हैं, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं। 4 काउंटर है 1 पर सिर्फ दवा मिलती है। डॉक्टर और दवाई दोनों टाइम पर नहीं मिलती। बुज़ुर्गों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, घंटों लाइन में खड़े होना पड़ता है। महिलाओं और पुरुषों की एक लाइन है आये दिन झगड़ा होता है लेकिन सुरक्षा के लिए कोई भी महिला गॉर्ड नहीं है।


Body:नोएडा के सेक्टर 12 की ईएसआई डिस्पेंसरी मैं रजिस्ट्रेशन को लेकर मरीजों के पसीने छूट रहे हैं। दवाओं के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं लेकिन किसी के कान में जूं नहीं रेंग रहा। मरीजों को यहां इलाज कराने किसी चुनौती से कम नहीं है कभी रजिस्ट्रेशन के लिए सेक्टर 24 जाना पड़ता है तो कभी दबाव के लिए सेक्टर 12 की डिस्पेंसरी।

मरीज की तीमारदार ने बताया की सेक्टर 12 में काउंटर तो चार है लेकिन एक ही खुलता है दिमागदार ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि मेरे ससुर बीमार है खड़े नहीं हो सकते हैं पुणे किनारे बैठाया हुआ है बुजुर्गों के लिए यहां पर किसी भी तरीके की की कोई व्यवस्था नहीं है चार लोगों के बाद एक बुजुर्ग का नंबर आता है ऐसे में काफी समस्या होती है।

भाई नोएडा से आई एक महिला ने बताया कि पहले वह पर्ची की लाइन में लगी उसके बाद डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने फिर 24 ईएसआई भेज दिया और कहा कि मरीज की तबीयत बहुत खराब है फिर मुझे 24:00 के एएसआई जाकर माल लाइन लगानी पड़ी वहां पर मुझे इमरजेंसी के तौर पर एक दवा दी गई फिर एक पर्चा लिखा गया और फिर सेक्टर 12 की डिस्पेंसरी में दवा लेने के लिए भेज दिया। लंबी-लंबी लाइनें हैं उन्होंने बताया क्यों नहीं अभी तक दवा नहीं मिली है महिलाओं के लिए कोई अलग लाइन नहीं है और महिला सुरक्षा के लिए ESI में किसी भी तरीके की कोई भी व्यवस्था नहीं है।


Conclusion:ESI डायरेक्टर से जब इस बारे में जानकारी लेनी चाही तो बताया गया वो हॉस्पिटल में नहीं मिले।
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