नई दिल्ली: दिल्ली स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा "सेक्सुअल हरासमेंट एट वर्कप्लेस" नामक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला को महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आयोजित की गई. कार्यशाला में विवि के कुलपति प्रो वरखेड़ी ने अपने विचार रखे. कुलपति प्रो वरखेड़ी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस जागरूकता अभियान को प्रभावी बनाने हेतु दुनिया की इस आधी आबादी के प्रति मन, चित्त, व्यवहार को शुद्ध रखना आवश्यक है.
स्त्री समाज की भागीदारी: विवि के कुलपति ने कहा कि मौजूदा वक्त में स्त्री समाज की भागीदारी सामूहिक स्थल पर बढ़ रही है. सेना में ही नहीं, अपितु चन्द्रायन की वैश्विक सफलता में भी महिला समाज का उत्तम योगदान रहा है. स्त्री समाज का विश्वास जीत कर ही घर या बाहर में उत्कर्ष, प्रसन्नता तथा सर्जनात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है. हमारी संस्कृति में नारी को पूज्य माना गया है. इस गरिमा को बनाये रखने के लिए हमें दृढ़ संकल्पित होना चाहिए ,ताकि अपने विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थानों में अच्छा वातावरण बना रहे और इस प्रकरण को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकारी को कोई अवसर न मिल सके.
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महिलाओं को मिले सम्मान: शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि रुप में सर्वोच्च न्यायालय की दो अधिवक्ता नीरज और रिचा तिवारी को आमंत्रित किया गया. कार्यक्रम को लेकर प्रसन्नता जताते इसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इसकी जागरूकता के महत्त्व पर प्रकाश डाला. इसमें विशेष कर यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनी प्रावधान तथा अधिनियम से महिलाओं तथा छात्र छात्राओं को रुबरु करवाया. कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सुनीता ने कहा कि अपने विश्वविद्यालय में समय-समय पर ऐसा कार्यक्रम होता रहना चाहिए. यह खुशी की बात है कि इसमें पुरुष समाज भी उपस्थित है, जो अपने विश्वविद्यालय की सौमन्यस्यता का ही प्रेरक है.
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