नई दिल्ली: ईडी ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एजेंसी(ईडी) को नोटिस जारी किया है. ईडी ने वीवो से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार वीवो इंडिया के अंतरिम सीईओ हांग शुकुआन ऊर्फ टेरी समेत तीन आरोपियों को रिहा करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. जस्टिस तुषार राव गडेला की वेकेशन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपी रिहा हो चुके हैं इसलिए उनका पक्ष सुने बिना आदेश पारित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 3 जनवरी को रेगुलर बेंच के पास लिस्ट करने का निर्देश दिया.
पटियाला हाउस कोर्ट ने 30 दिसंबर को तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था. इन तीनों आरोपियों को ईडी ने 23 दिसंबर को हिरासत में लिया था. ईडी ने वीवो इंडिया के अंतरिम सीईओ हांग शुकुआन ऊर्फ टेरी के अलावा सीएफओ हरिंदर दहिया और कंसल्टेंट हेमंत मुंजाल को गिरफ्तार किया था.
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बता दें कि 20 दिसंबर को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए मामले के चार आरोपियों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर 19 फरवरी 2024 को पेश होने का आदेश दिया है. एडिशनल सेशंस जज किरण गुप्ता ने हरि ओम राय, नितिन गर्ग , राजन मलिक और गोंगवेन कुआंग को पेश होने का आदेश दिया था. चारों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
ईडी ने 7 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की थी. ईडी ने चार्जशीट में वीवो के मैनेजिंग डायरेक्टर हरि ओम राय समेत उन चार लोगों को आरोपी बनाया है, जिन्हें 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने इस मामले में हरिओम राय के अलावा चीनी नागरिक गोंगवेन कुआंग, सीए नितिन गर्ग और राजन मलिक को गिरफ्तार किया है. ईडी ने इन आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपी बनाया है.
ईडी के मुताबिक वीवो इंडिया ने गलत तरीके से धन हासिल किया जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए खतरा है. ईडी ने वीवो और उससे जुड़े लोगों पर जुलाई 2022 में देश भर के 48 स्थानों पर छापा मारा था. ईडी ने वीवो कंपनी से जुड़ी 23 कंपनियों पर भी छापा मारा था. ईडी का दावा है कि छापे के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ था. ईडी के मुताबिक इस मामले में कई चीनी नागरिक और भारतीय कंपनियां शामिल हैं. ईडी के मुताबिक करीब 62476 करोड़ रुपये की रकम वीवो ने गैरकानूनी रुप से चीन ट्रांसफर किए थे. ये रकम भारत में टैक्स से बचने के लिए चीन ट्रांसफर किए गए थे.
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