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खतरनाक स्तर तक फैला है दिल्ली-NCR में ई-कचरा, लोगों को बना रहा है बीमार

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Published : Jun 5, 2019, 5:11 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 5:35 PM IST

रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में साल 2020 तक ई-कचरे की मात्रा में काफी इजाफा होगा. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही दिल्ली के लिए ये बेहद ही चिंताजनक बात है.

ई-कचरा

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली उन राज्य में सबसे ऊपर शुमार है जहां प्रदूषण सबसे अधिक है. दिल्ली एनसीआर में ई-कचरा और मेडिकल कचरा कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन रहा है. आइए जानते हैं ई- कचरा और मेडिकल कचरे से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में.

क्या कहती है 'एसोचैम' की रिपोर्ट
एसोचैम की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली- एनसीआर में सालाना 85 हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है. वहीं दूसरी ओर मेडिकल कचरे की बात करें तो ये आंकड़ा 5900 टन तक पहुंचता है. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में साल 2020 तक ई-कचरे की मात्रा में काफी इजाफा होगा. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही दिल्ली के लिए ये बेहद की चिंताजनक बात है.

दिल्ली के लिए खतरनाक हो रहा है ई-कचरा



क्या है ई-कचरा और मेडिकल कचरा
अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कंप्यूटर, लैपटॉप, फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन लाइट, वायर सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं. वहीं मेडिकल कचरे में इंजेक्शन, दवाइयां, और सर्जरी के उपकरण शामिल हैं.


कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार
मैक्स अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर मोनिका महाजन ने बताया कि लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उनकी उपयोगिता समाप्त होने के बाद यूं ही फेंक देते हैं. ये सारा उपकरण बाकी कचरे के साथ इधर-उधर फैल जाता है. विभिन्न माध्यमों से होता हुआ ये कचरा सिंचित क्षेत्रों में जाता है और फिर खाद्य पदार्थों के जरिए आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है.

धीरे-धीरे ये लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारियों का शिकार बना लेता है. वहीं मेडिकल कचरा लोगों को संक्रमण जनित बीमारियों का शिकार बनाता है


नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली उन राज्य में सबसे ऊपर शुमार है जहां प्रदूषण सबसे अधिक है. दिल्ली एनसीआर में ई-कचरा और मेडिकल कचरा कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन रहा है. आइए जानते हैं ई- कचरा और मेडिकल कचरे से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में.

क्या कहती है 'एसोचैम' की रिपोर्ट
एसोचैम की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली- एनसीआर में सालाना 85 हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है. वहीं दूसरी ओर मेडिकल कचरे की बात करें तो ये आंकड़ा 5900 टन तक पहुंचता है. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में साल 2020 तक ई-कचरे की मात्रा में काफी इजाफा होगा. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही दिल्ली के लिए ये बेहद की चिंताजनक बात है.

दिल्ली के लिए खतरनाक हो रहा है ई-कचरा



क्या है ई-कचरा और मेडिकल कचरा
अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कंप्यूटर, लैपटॉप, फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन लाइट, वायर सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं. वहीं मेडिकल कचरे में इंजेक्शन, दवाइयां, और सर्जरी के उपकरण शामिल हैं.


कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार
मैक्स अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर मोनिका महाजन ने बताया कि लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उनकी उपयोगिता समाप्त होने के बाद यूं ही फेंक देते हैं. ये सारा उपकरण बाकी कचरे के साथ इधर-उधर फैल जाता है. विभिन्न माध्यमों से होता हुआ ये कचरा सिंचित क्षेत्रों में जाता है और फिर खाद्य पदार्थों के जरिए आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है.

धीरे-धीरे ये लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारियों का शिकार बना लेता है. वहीं मेडिकल कचरा लोगों को संक्रमण जनित बीमारियों का शिकार बनाता है


Intro:दिल्ली-एनसीआर में ई-कचरा और मेडिकल कचरा कर रहा आपको बीमार, जानिए कितना होता है कचरा

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली उन राज्य में सबसे ऊपर शुमार है जहां प्रदूषण की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है. आपको बता दें कि दिल्ली एनसीआर में ई-कचरा और मेडिकल कचरा आप को कैंसर जैसी घातक बीमारियों तक पहुंचा रहा है. शायद आप इस बात से वाकिफ नहीं होंगे लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में आपका इससे प्रतिदिन पाला पड़ता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट और पोलूशन कहीं ना कहीं आप को खोखला कर रहे हैं. आइए जानते हैं ई- कचरा और मेडिकल कचरे से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में.


Body:कितना होता है सालाना ई- कचरा और मेडिकल कचरा
एसोचैम की रिपोर्ट की माने तो दिल्ली- एनसीआर में सालाना इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बात की जाए तो 85 हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा का कचरा पैदा होता है. वहीं दूसरी ओर मेडिकल कचरे की बात करते हैं तो यह आंकड़ा 5900 टन तक पहुंचता है.यह आकड़े दिल्ली के लिए बेहद ही चौंकाने वाले है कि जहां पर पहले से ही प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा है तो वहीं दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक कचरा और मेडिकल कचरे ने भी कहीं ना कहीं लोगों के जीवन पर काफी असर डाला हुआ है.

क्या हैं ई-कचरा और मेडिकल कचरा
इलेक्ट्रॉनिक कचरा और मेडिकल कचरे में किन चीजों को शामिल किया गया है.अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बात करते हैं तो इसमें कंप्यूटर, लैपटॉप, फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन लाइट, वायर सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल है. वहीं मेडिकल कचरे की बात करते हैं तो इसमें इंजेक्शन, दवाइयां सहित तमाम वह उपकरण जो कि मेडिकल के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं शामिल है.

कैंसर जैसी घातक बीमारियों तक होता है इसका असर
मैक्स अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर मोनिका महाजन ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे की अगर बात करते हैं तो यह बेहद ही चिंता का विषय है कि आज के समय में हम जितना ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स का यूज करते हैं. लेकिन उसको हम उपयोगिता के बाद कचरे में फेंक देते हैं.इसके बाद वह नाले और नदी के रास्ते उन इलाकों में जाता है जो कि हमारी जिंदगी पर सीधा प्रभाव डालता है. उन्होंने बताया कि सब्जियों को सींचने के लिए पानी का उपयोग करते हैं उसमें इलेक्ट्रॉनिक कचरे की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है.उन्होंने बताया कि इसका असर सीधे हमारे शरीर पर पड़ता है और यह कैंसर जैसी घातक बीमारी तब्दील हो जाती है.वहीं दूसरी और मेडिकल कचरे की बात करें तो इसमें अस्पतालों से निकलने वाले कचरे के लिए विशेष ध्यान देने योग्य बात है कि जो भी इनफेक्टेड कचरा निकला हुआ होता है उसको डिस्पोज किया जाए. उन्होंने बताया कि कई बार यह भी देखा गया है कि कुछ लोग इन कचरे में से निकलने वाले इंजेक्शन को को दोबारा से पैक कर के रख देते हैं और बाजार में उतार देते हैं जो कि एचआईवी जैसी घातक बीमारी को बढ़ावा देती है.


Conclusion:फिलहाल जिस तरीके से देश की राजधानी दिल्ली में ई-कचरा और मेडिकल कचरे के हालात हैं. वे बेहद चिंतनीय है एसोचैम की रिपोर्ट की मानें तो 2020 तक यह आंकड़ा और ज्यादा बढ़ेगा, जिससे कि लोगों के स्वास्थ्य पर खासा असर पड़ेगा. हालांकि पर्यावरण दिवस के मौके पर जिस तरीके से रिपोर्ट पेश की जाती है लेकिन उसके बावजूद जमीनी स्तर पर बेहतर होते हुए काम दिखाई नहीं देते हैं. जरूरी है कि आगामी दिनों में पर्यावरण को बचाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे.
Last Updated : Jun 5, 2019, 5:35 PM IST
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