नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है और 9 दिनों बाद देवी मां की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है. शारदीय नवरात्रों में दुर्गा पूजा की धूम होती है. जगह-जगह भव्य पंडाल लगाए जाते हैं और मां दुर्गा की प्रतिमा लगाई जाती है. वहीं नवरात्रों के 9 दिनों बाद उस प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है.
विसर्जन के वक्त श्रद्धालु बेहद भावुक हो जाते हैं क्योंकि कहा जाता है. मां दुर्गा इन दिनों एक बेटी या मां के रूप में श्रद्धालु के घर आती हैं. लोगों का एक सदस्य की तरह ही उनसे लगाव हो जाता है.
53वीं दुर्गा पूजा का आयोजन
मैत्री मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष चंदना मुखर्जी ने बताया कि मैत्री मंदिर में भी हर साल दुर्गा पूजा पंडाल लगाया जाता है और मां दुर्गा की भव्य मूर्ति वहां स्थापित की जाती है. इस साल 53वीं दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है. जिसमें बेहद ही सुंदर मां की प्रतिमा लगाई गई है.
9 दिनों बाद होता है विसर्जन
उन्होंने बताया कि हम पूरे साल इस दिन का इंतजार करते हैं. जब मां दुर्गा हमारे घर आती है और हम उनका एक बेटी या मां के रूप में आदर सत्कार करते हैं. उनसे अपने घर के सदस्य की ही तरह मां से लगाव जुड़ा हो जाता है.
उनका कहना है कि हम अपने सारे दुख मां के सामने रख देते हैं. मां उन सभी दुखों को दूर करती है, लेकिन वहीं मां जब 9 दिनों बाद हमें छोड़कर जाती है. तो हमारी आंखें भर आती हैं और सभी उन्हें एक बेटी की तरह विदा करते हैं.
महिलाओं की टोली करती है मदद
चंदना मुखर्जी ने बताया कि दुर्गा पंडाल के लिए पूरे साल से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं और महिलाओं की एक टोली इसके लिए खास तैयारियां करती है. पूजा और मां के प्रसाद से जुड़े सभी कामों में महिलाएं हाथ बटाती है.
श्रद्धालुओं के लिए बनाया जाता है विशेष प्रसाद
इसके अलावा उन्होंने बताया कि मंदिर में इन 9 दिनों में मां दुर्गा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. वो प्रसाद बेहद ही खास होता है. 1 दिन में तीन बार प्रसाद भोग बनाया जाता है. जिसमें तीन सब्जी, दो मीठे पकवान बनाए जाते हैं.
हर एक श्रद्धालु को वो प्रसाद बांटा जाता है. खास बात ये है कि किसी से कोई चार्ज नहीं लिया जाता है, बल्कि लोग मंदिर में आकर सेवा करते हैं. दान करते हैं और 9 दिनों तक मिल-जुल कर ये त्योहार मनाते हैं.
नहीं इस्तेमाल किया पूजा में प्लास्टिक
इसके अलावा पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि इस बार दुर्गा पूजा में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन को लेकर चलाए जा रहे अभियान का भी बेहद ख्याल रखा गया है. हम पूरी पूजा के दौरान बेहद कम प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
यहां तक की प्रसाद वितरण में जो बर्तन इस्तेमाल होते हैं. उसमें भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, बल्कि सुपारी के पत्तों से जो प्लेटें बनती हैं. उनका इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही पंडाल को बनाने में भी थर्माकोल आदि चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया है.