नई दिल्ली: शिक्षक और कर्मचारी जो दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में काम करते है, उनके ये खबर बेहद अच्छी है. दरअसल, दिल्ली सरकार के जरिए वित्त पोषित 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के नाम की लिस्ट कॉलेजों को भेज दी गई है. बता दें कि पिछले लगभग 15 महीनों से कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी नहीं थी, जिसके चलते प्रिंसिपल और शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति व पदोन्नति का कार्य रुका हुआ था.
बता दें कि फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने डीयू प्रशासन के जरिए दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के नाम की लिस्ट भेजे जाने पर खुशी जताई है. वहीं फोरम के चेयरमैन और अकादमी काउंसिल के पूर्व सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली सरकार के जरिए वित्त पोषित 28 कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल 7 मार्च 2019 को ही पूरा हो चुका था. तब से लेकर अब तक लगभग 15 महीने बीत चुके है और यहां पर ट्रेकेंटिड गवर्निंग बॉडी कार्य कर रही थी, जिसके चलते लंबे समय से कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति का कार्य रुका हुआ था.
स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया थी लंबित
वहीं प्रोफेसर सुमन ने बताया कि पिछले 15 महीनों से इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी के ना रहने से शैक्षिक और गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही थी, जिससे कॉलेज का कार्य प्रभावित हो रहा था. वहीं इन 28 कॉलेजों में से 20 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें स्थाई प्रिंसिपल ही नहीं है. स्थाई प्रिंसिपल के ना होने से स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया भी रुकी हुई थी. यहां तक कि कुछ कॉलेजों ने प्रिंसिपल व शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति के लिए जो विज्ञापन निकाले थे, उनकी समय सीमा भी खत्म हो चुकी है. ऐसे में गवर्निंग बॉडी बनने के बाद नए सिरे से शिक्षकों के पद के लिए विज्ञापन दिए जाएंगे.
लंबे समय से खाली प्रिंसिपल के पद
प्रोफेसर सुमन ने बताया कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल के पद खाली हैं. उन्होंने बताया कि प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन कुछ कॉलेजों के प्रिंसिपल ने ओएसडी/कार्यवाहक के रूप में 5 साल से ज्यादा बिता लिया है. साथ ही 20 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज हैं, जहां पिछले 15 महीनों से बिना गवर्निंग बॉडी के काम चलाया जा रहा है.
नवंबर से शुरू होगी स्थायी नियुक्ति
उन्होंने कहा कि 28 वर्षों में गवर्निंग बॉडी के गठन के बाद जल्दी ही पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों का ग्रांट रिलीज कराने संबंधी मुद्दे का भी समाधान निकाला जा सकता है. साथ ही नए शैक्षणिक सत्र 2020-21 में सितंबर महीने से सहायक प्रोफेसर, लाइब्रेरियन, प्रिंसिपल व नॉन टीचिंग के पदों के विज्ञापन भी जारी की जा सकते हैं. इसके अलावा नवंबर से स्थाई नियुक्ति होने की प्रक्रिया शुरू होने की भी संभावना है. उन्होंने बताया कि प्रशासन के जरिए गवर्निंग बॉडी के नाम दिए जाने के बाद इन कॉलेजों के प्रिंसिपल गवर्निंग बॉडी बनाने की कोशिश करेंगे. बता दें कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले लगभग 20 कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल नहीं हैं.