नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय में 27 जनवरी को हुए हंगामे की जांच के लिए गठित एक समिति ने सोमवार को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी. वहीं विस्तृत जांच के तहत समिति अब छात्रों और उनके अभिभावकों से भी पूछताछ करेगी. चीफ प्रॉक्टर रजनी अब्बी की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति यूनिवर्सिटी परिसर में सुरक्षा खामियों की जांच करेगी और सुरक्षा को मजबूत करने के तरीके भी सुझाएगी.
कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि शनिवार को गठित समिति ने सोमवार को अपनी पहली रिपोर्ट सौंप दी है और मामले की आगे की जांच शुरू कर दी है. दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी में शुक्रवार को छात्रों के एक समूह ने 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का प्रयास करने पर हंगामा खड़ा हो गया था, क्योंकि पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी स्क्रीनिंग को रोक दिया था.
इस दौरान एनएसयूआई के 24 छात्रों को हिरासत में लिया गया था. कैंपस में धारा 144 लागू कर दिया गया और भारी सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई थी. वहीं स्क्रीनिंग नहीं किए जाने को लेकर सुरक्षाबलों ने छात्रों को घसीटते हुए बाहर निकाल दिया था. तब विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने दावा किया था कि कुछ बाहरी लोग डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की कोशिश कर रहे थे. इसलिए पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलाया गया था. हालांकि कुलपति ने यह भी कहा कि उसमें से बहुत से छात्र बाहरी नहीं थे.
बता दें, डीयू के वीसी प्रो. योगेश सिंह ने शनिवार को एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति को विशेष रूप से 27 जनवरी 2023 की घटना की जांच करने का जिम्मा था. समिति की अध्यक्षता डीयू की प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी को सौंपी गई थी. इसमें अन्य सदस्य के तौर पर कॉमर्स विभाग के प्रो. अजय कुमार सिंह, ज्वाइंट प्रोक्टर प्रो. मनोज कुमार सिंह, सोशल वर्क विभाग के प्रो. संजय रॉय, हंसराज कॉलेज की प्रिसिंपल प्रो. रमा, किरोड़मल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. दिनेश खट्टर और मुख्य सुरक्षा अधिकारी गजे सिंह शामिल हैं.
ये है मामलाः दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना डीयू के आर्ट्स फैकल्टी के पास पीएम मोदी पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग किए जाने को लेकर छात्र अड़े हुए थे. इस दौरान परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. इस बीच दोनों पक्षों के बीच हंगामा हो गया और इसमें करीब 20 छात्रों को हिरासत में ले लिया गया. वहीं इससे पहले जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अंबेडकर यूनिवर्सिटी में भी इस डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग को लेकर हंगामा हो चुका था.