नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के खिलाफ डीटीसी बस कर्मचारी यूनियन के लोगों ने गुरुवार को जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की और दिल्ली सरकार पर वादाखिलाफी का गंभीर आरोप लगाया. डीटीसी कर्मचारी यूनियन के लोगों का कहना है कि दिल्ली सरकार बसों में प्राइवेट ड्राइवर रखने जा रही है. यह आंदोलन निजीकरण के खिलाफ है. कर्मचारियों ने कहा कि न हमें पेंशन मिल रही है और न ही हमें नियमित किया जा रहा है.
भेदभाव कर रही सरकार: डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के बैनर तले, इंद्रप्रस्थ स्थित डीटीसी मुख्यालय के बाहर कर्मचारियों ने कहा कि, केजरीवाल सरकार डीटीसी कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है. इस मौके पर यूनियन के सदस्य प्रेम पाल सिंह ने कहा कि, दिल्ली की जनता को पता चलना चाहिए कि दिल्ली सरकार प्राइवेट बसों को बढ़ावा देकर डीटीसी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. 9 सालों से डीटीसी ने एक भी बस नहीं खरीदी है और इसमें अब प्राइवेट क्लस्टर बसों को मौका दिया जा रहा है. साथ ही यह आरोप भी लगाया गया कि डीटीसी की संपत्ति कमीशन के लिए प्राइवेट बस मालिकों और अपने चाहने वालों को बेची जा रही है.
नहीं किया वादा पूरा: इसके अतिरिक्त कर्मचारियों ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने जो हमसे वादे किए थे उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया. दिल्ली सरकार, डीटीसी बसों को प्राइवेट कंपनियों को सौंप रही है और हमें को नौकरी पर रखने के बजाए बाहर के लोगों को रखा जा रहा है. हम लोग पिछले 10-12 सालों से डीटीसी में कार्यरत हैं, लेकिन अभी तक हमें नियमित नहीं किया गया है. सरकार ने सत्ता में आने से पहले सभी डीटीसी बस ड्राइवरों को नियमित करने को कहा था, लेकिन आज सरकार को घमंड हो गया है और हमारी अनदेखी की जा रही है.
करेंगे बड़ा प्रदर्शन: कर्मचारियों ने यह भी कहा कि, एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अलग-अलग राज्यों में जाकर कह रहे हैं कि हमने 22 लाख लोगों को नौकरी दी है. हम पूछना चाहते हैं कि आप ने कितने लोगों को नियमित किया है. कई बस डिपो भी प्राइवेट कंपनियों को सौंप दिए गए हैं. सीएम केजरीवाल सिर्फ बड़े-बड़े वादे दावे कर लोगों के साथ छलावा कर रहे हैं. उन्होंने डीटीसी बस कर्मचारियों के साथ भी धोखा किया है. अभी तो हम छोटा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अगर हमारी मांगे नहीं सुनी जाती हैं, तो हम आगे बड़ा प्रदर्शन करेंगे. जब कोई कर्मचारी इनके खिलाफ प्रदर्शन करता है तो डीटीसी के बड़े अधिकारी उसे नौकरी से निकाल देते हैं और हमें प्रदर्शन में शामिल होने का खामियाजा भुगतना पड़ता है. हमारी बस यही मांग है कि मुख्यमंत्री होश में आएं और हमारी समस्याओं को सुनें.
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बता दें कि दिल्ली परिवहन निगम लंबे समय से आंतरिक संकट से जूझ रहा है, क्योंकि इसके 11,286 संविदा कर्मचारी बेहतर वेतन की मांग कर रहे हैं. सत्ता में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने सभी संविदा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित करने और बेहतर वेतन देने की बात कही थी, लेकिन पिछले नौ साल में उन्होंने डीटीसी कर्मचारियों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं किया गया है.
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