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लगातार घट रहे दिल्ली में डॉग बाइट के मामले, निगम कर रही कुत्तों को स्टेरलाइज

दिल्ली में आवारा कुत्तों और घरेलू कुत्तों के काटने के मामले आम है. जिसकी वजह से दिल्ली के तीनों निगम आवारा कुत्तों को लगातार स्टेरलाइज कर रही है. जिसके कारण राजधानी में डॉग बाइट के मामले लगातार घट रहें है.

Year wise dog bite cases
वर्षवार डॉग बाइट के मामले
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Published : Aug 12, 2020, 5:31 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में लगातार कमी देखने को मिल रही है. बात पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों की करे तो वर्ष 2015 में जहां डॉग बाइट के 78081 मामले सामने आए थे. तो वहीं वर्ष 2019 में मात्र 11760 डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं.

दिल्ली में साल दर साल घट रहे डॉग बाइट के मामले
आवारा कुत्तों को किया जा रहा है स्टरलाइज

दिल्ली में डॉग बाइट के घटते मामले और निगम के प्रयासों के संबंध में निगम पार्षद और स्वास्थ समिति के सदस्य संदीप कपूर ने बताया कि स्ट्रीट डॉग को स्टरलाइज करने के लिए दिल्ली के तीनों निगमों द्वारा लगातार कैंप लगाया जा रहा है. अगर बात आंकड़ों की करें तो अब तक तीनों नगर निगम द्वारा लगभग 3000 आवारा कुत्तों को स्टरलाइट किया गया है. इसके लिए नगर निगम द्वारा पहले आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है. फिर उन्हें निगम संचालित क्लीनिक में स्टरलाइज किया जाता है और फिर 2 से 3 दिनों के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है.इसके साथ ही घरेलू कुत्तों के टीकाकरण के लिए भी लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं.

How is identity?
कैसे होती है पहचान ?
निगम के अस्पतालों में उपलब्ध है एंटी रेबीज के टीके

संदीप कपूर ने बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके उपलब्ध है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि इनफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल सहित अन्य अस्पतालों में भी एंटी रेबीज के टीके निशुल्क उपलब्ध है. साल 2019 से लेकर 30 जून 2020 तक अकेले पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल में लगभग 2200 लोगों को एंटी रेबीज के टीके लगाए गए हैं.



दो प्रकार से लगाए जाते हैं एंटी रेबीज के टीके

एंटी रेबीज टीके से जुड़े सवाल पर संजीव कपूर ने बताया कि एंटी रेबीज टीके दो प्रकार से लगाए जाते हैं. पहले प्रकार में मरीज को 3 टिके लगाए जाते हैं. यह वैसे मरीज होते हैं जिनको कुत्ते ने काटा होता है लेकिन उस कुत्ते पर निगरानी रखी जा सकती है. अगर 7 दिनों के अंदर कुत्ता बीमार नहीं पड़ता तो मरीज को सिर्फ 3 टीके लगाए जाते हैं. दूसरे प्रकार में मरीज को 5 टीके लगाए जाते हैं. ऐसा मामला तब आता है जब किसी इंसान को आवारा कुत्तों ने काटा हो और उस कुत्ते की पहचान ना की जा सके. तो ऐसे में मरीज को पांच टीका लगाया जाता है और एक महीने बाद एक बूस्टर टीका लगाया जाता है.

What are the types of anti rabies vaccines?
कितने प्रकार के होते हैं एंटी रेबीज के टीके ?
निजी क्लीनिकों का रुख कर रहे मरीज

दिल्ली के सफदरजंग, लेडी हार्डिंग अस्पताल सहित नगर निगम के कई अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके निशुल्क लगाए जाते हैं. लेकिन कोरोना के कारण कई लोग अभी इन अस्पतालों में जाने से बच रहे हैं. ऐसे में मरीज निजी क्लीनिक जाना पसंद कर रहे हैं जहां उनसे एक एंटी रेबीज टीके के 300 से 400 रुपय वसूले जा रहे हैं.




रैबीज से जुड़े मामलों में 38 लोगों ने गंवाई जान

उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित महर्षि वाल्मीकि इनफेक्शियस डिजीज अस्पताल में अब तक 38 लोग रैबीज से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. हालांकि नगर निगम यह दावा करते आया है कि निगम के सभी अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके उपलब्ध हैं. लेकिन इसके बावजूद 38 लोग अब तक रैबीज से होने वाली बीमारियों के कारण अपनी जान गवां चुके हैं.

Year wise dog bite cases
वर्षवार डॉग बाइट के मामले
वर्षवार डॉग बाइट के मामले :
साल मामले
2015 78681
2016 81491
2017 40000
2018 14000
2019 11760
2020 5445 (30 जून तक)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में लगातार कमी देखने को मिल रही है. बात पिछले 5 वर्षों के आंकड़ों की करे तो वर्ष 2015 में जहां डॉग बाइट के 78081 मामले सामने आए थे. तो वहीं वर्ष 2019 में मात्र 11760 डॉग बाइट के मामले सामने आए हैं.

दिल्ली में साल दर साल घट रहे डॉग बाइट के मामले
आवारा कुत्तों को किया जा रहा है स्टरलाइज

दिल्ली में डॉग बाइट के घटते मामले और निगम के प्रयासों के संबंध में निगम पार्षद और स्वास्थ समिति के सदस्य संदीप कपूर ने बताया कि स्ट्रीट डॉग को स्टरलाइज करने के लिए दिल्ली के तीनों निगमों द्वारा लगातार कैंप लगाया जा रहा है. अगर बात आंकड़ों की करें तो अब तक तीनों नगर निगम द्वारा लगभग 3000 आवारा कुत्तों को स्टरलाइट किया गया है. इसके लिए नगर निगम द्वारा पहले आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है. फिर उन्हें निगम संचालित क्लीनिक में स्टरलाइज किया जाता है और फिर 2 से 3 दिनों के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है.इसके साथ ही घरेलू कुत्तों के टीकाकरण के लिए भी लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं.

How is identity?
कैसे होती है पहचान ?
निगम के अस्पतालों में उपलब्ध है एंटी रेबीज के टीके

संदीप कपूर ने बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके उपलब्ध है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि इनफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल सहित अन्य अस्पतालों में भी एंटी रेबीज के टीके निशुल्क उपलब्ध है. साल 2019 से लेकर 30 जून 2020 तक अकेले पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल में लगभग 2200 लोगों को एंटी रेबीज के टीके लगाए गए हैं.



दो प्रकार से लगाए जाते हैं एंटी रेबीज के टीके

एंटी रेबीज टीके से जुड़े सवाल पर संजीव कपूर ने बताया कि एंटी रेबीज टीके दो प्रकार से लगाए जाते हैं. पहले प्रकार में मरीज को 3 टिके लगाए जाते हैं. यह वैसे मरीज होते हैं जिनको कुत्ते ने काटा होता है लेकिन उस कुत्ते पर निगरानी रखी जा सकती है. अगर 7 दिनों के अंदर कुत्ता बीमार नहीं पड़ता तो मरीज को सिर्फ 3 टीके लगाए जाते हैं. दूसरे प्रकार में मरीज को 5 टीके लगाए जाते हैं. ऐसा मामला तब आता है जब किसी इंसान को आवारा कुत्तों ने काटा हो और उस कुत्ते की पहचान ना की जा सके. तो ऐसे में मरीज को पांच टीका लगाया जाता है और एक महीने बाद एक बूस्टर टीका लगाया जाता है.

What are the types of anti rabies vaccines?
कितने प्रकार के होते हैं एंटी रेबीज के टीके ?
निजी क्लीनिकों का रुख कर रहे मरीज

दिल्ली के सफदरजंग, लेडी हार्डिंग अस्पताल सहित नगर निगम के कई अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके निशुल्क लगाए जाते हैं. लेकिन कोरोना के कारण कई लोग अभी इन अस्पतालों में जाने से बच रहे हैं. ऐसे में मरीज निजी क्लीनिक जाना पसंद कर रहे हैं जहां उनसे एक एंटी रेबीज टीके के 300 से 400 रुपय वसूले जा रहे हैं.




रैबीज से जुड़े मामलों में 38 लोगों ने गंवाई जान

उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित महर्षि वाल्मीकि इनफेक्शियस डिजीज अस्पताल में अब तक 38 लोग रैबीज से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. हालांकि नगर निगम यह दावा करते आया है कि निगम के सभी अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके उपलब्ध हैं. लेकिन इसके बावजूद 38 लोग अब तक रैबीज से होने वाली बीमारियों के कारण अपनी जान गवां चुके हैं.

Year wise dog bite cases
वर्षवार डॉग बाइट के मामले
वर्षवार डॉग बाइट के मामले :
साल मामले
2015 78681
2016 81491
2017 40000
2018 14000
2019 11760
2020 5445 (30 जून तक)
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