नई दिल्ली: DMRC मेट्रो कार्ड के जरिये बिना यात्रा करवाये भी लाखों रुपये की कमाई कर रही है. दरअसल प्रत्येक महीने में बड़ी संख्या में लोगों के मेट्रो कार्ड खोते या चोरी होते हैं. इनके साथ ही कार्ड में मौजूद यात्री की रकम भी चली जाती है और उनके रुपये भी वापस नहीं मिलते हैं.
इस मुद्दे को लेकर जनहित प्रयास समिति के महासचिव हितेश शर्मा ने DMRC पर जवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि डीएमआरसी इस मुद्दे को लेकर कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है.
DMRC ने जारी कर रखे हैं 25 लाख मेट्रो कार्ड
हितेश शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि डीएमआरसी में रोजाना 27 से 28 लाख यात्री सफर करते हैं. डीएमआरसी की तरफ से लगभग 25 लाख मेट्रो कार्ड जारी हो रखे हैं, उन्होंने कहा कि किसी भी मेट्रो कार्ड में कम से कम 200 रुपये का रिचार्ज होता ही है.
वहीं रोजाना मेट्रो से सफर करने वाले अधिकांश लोग बार-बार रिचार्ज के झंझट से बचने के लिए 500 से दो हजार रुपये तक का रिचार्ज करवाते हैं. ऐसे में अगर किसी यात्री का मेट्रो कार्ड खोता है तो कार्ड के साथ ही उसमें मौजूद रकम भी चली जाती है. इससे मेट्रो को फायदा हो रहा है जबकि यात्रियों को नुकसान हो रहा है.
एटीएम की तरह ब्लॉक क्यों नहीं होता मेट्रो कार्ड
हितेश शर्मा ने इस मुद्दे को लेकर डीएमआरसी से कई बार संपर्क किया, लेकिन वह उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है. हितेश ने बताया कि मेट्रो कार्ड पर एटीएम कार्ड की तरह एक नंबर होता है. एटीएम कार्ड खोने पर हम तुरंत उसके कॉल सेंटर पर फोन कर अपना कार्ड ब्लॉक करवा सकते हैं लेकिन मेट्रो कार्ड खोने पर डीएमआरसी के कॉल सेंटर से अपने कार्ड को ब्लॉक नहीं करवा सकते.
उन्होंने कहा कि नया एटीएम लेने पर आपके खाते में मौजूद रकम इससे जुड़ जाती है लेकिन नया मेट्रो कार्ड लेने पर आपके पुराने रुपये इसमें नहीं आते हैं. इसके चलते प्रत्येक महीने लाखों रुपये का नुकसान यात्री उठाते हैं और यह कमाई सीधे डीएमआरसी की हो रही है.
यात्रियों को वापस मिलनी चाहिए रकम
हितेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने मेट्रो के एमडी डॉ. मंगू सिंह को पत्र लिखकर यह मांग की है कि मेट्रो कार्ड खोने पर यात्री को उसकी बकाया राशि नए कार्ड में लौटाई जाए. उन्होंने बताया कि मेट्रो अगले कई दशकों तक चलने वाली है. ऐसे में डीएमआरसी को नई तकनीक, सुविधाएं एवं सुधार की तरफ ध्यान देना चाहिए.