नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड कार्यालय परिसर में स्थित ऐतिहासिक धरोहर को गिराकर उसकी जगह जल बोर्ड के सीईओ के लिए आवास बनाया गया है. अब इस मामले में विजिलेंस डिपार्टमेंट द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब देते हुए दो इंजीनियरों ने इसके ऐतिहासिक धरोहर होने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि जिस इमारत को तोड़ा गया है, वह 1984 तक चीफ इंजीनियर के आवास के रूप में इस्तेमाल की जा रही थी. इसके बाद उसे जल बोर्ड का गेस्ट बना दिया गया था.
इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड के 5 इंजीनियरों को दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जो यह बंगला बनाने में शामिल थे. इस मामले में एक चीफ इंजीनियर, एक एडिशनल चीफ इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर और एक जूनियर इंजीनियर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. आरोप है कि जल बोर्ड परिसर में स्थित एक 15वीं शताब्दी की ऐतिहासिक धरोहर को तोड़कर 700 स्क्वायर मीटर में जल बोर्ड के सीईओ के लिए बंगला बनाया गया था, जिस पर 4 करोड़ रुपए खर्च किए गए.
ये भी पढे़ंः अनुराग ठाकुर के बुलावे पर बातचीत करने पहुंचे बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक
दोनों इंजीनियरों ने यह तर्क दिया है के निर्माण से पहले टेंडर डॉक्यूमेंट के साथ ही पूरी डिटेल दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की गई थी, लेकिन किसी भी एजेंसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई. उन्होंने कहा है कि जनवरी 2021 में दिल्ली सरकार के कला संस्कृति एवं भाषा विभाग से मिले पत्र के अनुसार जो ऐतिहासिक धरोहर थी वह अभी भी है.