नई दिल्ली: दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से 10वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर मूल्यांकन की प्रक्रिया के लिए 1 मई को जारी किए गए दिशा निर्देश पर पुनर्विचार की मांग की है. वहीं शिक्षा निदेशालय का कहना है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कार्यरत ज्यादातर शिक्षकों की कोविड संबंधित अलग-अलग जगह पर ड्यूटी लगी हुई है जबकि दिल्ली के करीब 76 सरकारी स्कूल कोविड-19 वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जा चुके हैं. ऐसे में दिए गए समय में दसवीं के मूल्यांकन कार्य को पूरा करना शिक्षकों के लिए काफी मुश्किल है.
कैसे बनेगा रिजल्ट
बता दें कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक को एक पत्र लिखा गया है. इस पत्र में कहा है कि दिल्ली में कोरोना से स्थिति बहुत भयावह हुई है. लगातार संक्रमण के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है जिसके चलते 10 मई तक लॉकडाउन भी बढ़ा दिया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल के ज्यादातर शिक्षक और डाटा एंट्री ऑपरेटर, आईटी सहित कई स्टाफ भी कोविड-19 संबंधी ड्यूटी पर लगाए गए हैं. संक्रमित इलाकों में घर-घर जाकर सर्वे करने का काम भी स्कूल स्टाफ का है. इसके अलावा कोरोना से अपनी जान गंवा चुके मरीजों के मृत शरीर को लाने ले जाने की गतिविधि का भी लेखा-जोखा शिक्षक ही रख रहे हैं. इसके अलावा कोविड-19 दिशा निर्देशों का पालन हो सके इसमें भी स्कूल स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है. साथ ही एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के काम में भी स्कूल स्टाफ कार्यरत है. इसके अलावा कोविड-19 वैक्सीनेशन संबंधित गतिविधियों में भी स्कूल स्टाफ की नियुक्ति की गई है.
सरकारी स्कूल बने हैं वैक्सीनेशन सेंटर
साथ ही कहा गया है कि दिल्ली सरकार के करीब 76 स्कूलों को वैक्सीनेशन सेंटर बना दिया गया है. वहीं कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां पर शिक्षक या छात्र या उनके परिवार का कोई सदस्य या तो कोरोना से संक्रमित है या अपनी जान गंवा चुका है. इन तमाम परिस्थितियों का हवाला देते हुए शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि इस समय भावनात्मक नजरिया अपनाते हुए सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए अंक तालिका तैयार करने को लेकर 1 मई को जारी किए गए अपने सर्कुलर पर पुनर्विचार करें.
बता दें कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए सीबीएसई द्वारा 10वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई थी.