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Delhi Liquor Scam: साउथ लॉबी ने अपने फायदे के लिए बदलवाया था नियम, यही सबूत बना सिसोदिया के गले की फांस - सिसोदिया पांच दिन की सीबीआई रिमांड पर

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक 'साउथ लॉबी' का पता लगाया है, जिसका एक्साइज पॉलिसी पर उसके लागू करने के दौरान प्रभाव देखा गया है. साउथ लॉबी में कई राजनीतिज्ञ और शराब कारोबारी शामिल हैं. ये लोग 14 से 17 मार्च 2021 तक दिल्ली के एक होटल में रूके थे.

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Published : Feb 27, 2023, 11:05 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 10:47 AM IST

नयी दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एक होटल के व्यापार केंद्र के सिस्टम से डिजिटल साक्ष्य मिला है, जिसका संबंध हैदराबाद स्थित नेताओं और शराब कारोबारियों से बताया जाता है. इन्हें 'साउथ लॉबी' भी कहा जाता है. इस लॉबी का उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर अधिक प्रभाव बताया जा रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने CBI के अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है.

साउथ लॉबी से संबंध रखने वाले अधिकारी का कहना है कि इस लॉबी के सदस्य दिल्ली की नई एक्साइज पॉलिसी के तहत शराब के ठेके से अधिक मुनाफा कमाना चाहते थे. इसके लिए इन लोगों ने 2021 में 14 से 17 मार्च तक दिल्ली के होटल में ठहरे थे और कुछ दस्तावेजों की फोटोकॉपी के लिए अपने व्यापार केंद्र का इस्तेमाल किया था.

अधिकारी ने बताया कि इस लॉबी का दिल्ली प्रवास के दौरान कथित रूप से संदिग्ध बिचौलिए विजय नायर से मुलाकात हुई थी. यह बिचौलिया उनके पक्ष में नीति बनाने के लिए इन शराब व्यापारियों के साथ सौदा कर रहा था. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पॉलिसी को लेकर दो सुझाव भी बरामद किए हैं, जिन पर साउथ लॉबी के सदस्यों के बीच चैट हुई थी.

फॉरेंसिक जांच के बाद सीबीआई को 15 मार्च, 2021 की तारीख वाला सिसोदिया के कंप्यूटर से मंत्रियों के समूह का एक मसौदा नोट मिला, जिसमें शराब के थोक विक्रेताओं के लिए लाभ मार्जिन को पांच प्रतिशत तक सीमित किया गया था. हालांकि तीन दिन बाद सिसोदिया द्वारा उनके सचिव को दिए गए मंत्रियों के समूह (जीओएम) के अंतिम मसौदे ने लाभ मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था.

आबकारी विभाग संभाल रहे मनीष सिसोदिया 18 मार्च को कथित तौर पर अपने सचिव सी अरविंद को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुलाया, जहां उन्हें एक दस्तावेज दिया गया. यह दस्तावेज आबकारी नीति पर मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट का एक मसौदा था. अधिकारियों ने कहा कि इस दस्तावेज को मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाएगा.

सीबीआई ने पाया कि होटल के व्यापार केंद्र में साउथ लॉबी के सदस्यों ने कथित रूप से फोटोकॉपी किए गए पृष्ठों की संख्या सिसोदिया द्वारा उनके सचिव को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट के समान ही थी. अधिकारियों ने कहा कि मसौदे में थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ के अलावा उनके लिए उच्च टर्नओवर की भी बात कही गई थी, जिसे मंत्रियों के समूह की अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया गया था.

विजय नायर को 100 करोड़ का भुगतान हुआः उन्होंने कहा कि जीओएम की अंतिम रिपोर्ट से करीब दो दिन पहले साउथ लॉबी के सदस्यों की चैट हिस्ट्री में मिले दो सुझावों को भी इसमें शामिल किया गया था. सीबीआई ने पिछले साल 25 नवंबर को दायर अपनी पहली चार्जशीट में आरोप लगाया है कि 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति थोक स्तर पर कार्टेलाइजेशन और एकाधिकार को बढ़ावा देने और थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन प्राप्त करने के लिए तैयार की गई थी. सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा के माध्यम से नायर को 100 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया.

आगे की जांच में सीबीआई ने पाया था कि पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देने के लिए तत्कालीन आबकारी आयुक्त रवि धवन के अधीन एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था. समिति ने 13 अक्टूबर, 2020 को प्रस्तावित परिवर्तनों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रिपोर्ट में न तो खुदरा स्तर पर जोनल लाइसेंस प्रणाली की सिफारिश की गई थी और न ही थोक स्तर पर निजीकरण की सिफारिश की गई थी, जो सिसोदिया को पसंद नहीं आया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि आबकारी नीति में बदलाव का सुझाव देने के लिए मंत्रियों के तीन सदस्यीय समूह का गठन 5 फरवरी, 2021 को किया गया था. अधिकारियों ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को बदलने के लिए जीओएम के विकल्प को कथित तौर पर अपनाया गया था. विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को जनता से टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए 31 दिसंबर, 2020 को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया था.

पॉलिसी पर मंत्रिपरिषद में नहीं हुई चर्चाः अधिकारियों ने कहा कि जब जनता की टिप्पणियों और कानूनी राय के साथ रिपोर्ट को मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा गया तो कथित तौर पर इसे चर्चा के लिए नहीं लिया गया और तब से फाइल का पता नहीं चल रहा है. इसके तुरंत बाद, बिना कानूनी राय के एक संशोधित नोट तैयार किया गया, जिसके आधार पर सिसोदिया के अधीन मंत्रियों के समूह का गठन किया गया. सत्येंद्र जैन और कैलाश गहलोत जीओएम के सदस्य थे.

ये भी पढे़ंः Delhi Liquor Scam : क्या है दिल्ली शराब घोटाला, आसान भाषा में समझें

जीओएम की बैठक फरवरी 2021 में हुई थी, लेकिन शराब व्यापार के लिए थोक मॉडल पर कोई चर्चा नहीं हुई. मार्च के पहले सप्ताह में, नायर ने शराब व्यापारियों और बिचौलियों से कथित रूप से उत्पाद शुल्क नीति के लिए कमीशन की मांग की. शराब व्यापारियों से पैसे लेने के अपने प्रयासों के दौरान नायर ने कथित तौर पर दक्षिण लॉबी के सदस्यों से मुलाकात की. अधिकारियों ने दावा किया कि बरामद किए चैट से पता चलता है कि दक्षिण लॉबी कथित रूप से उत्पाद शुल्क नीति को अपने पक्ष में करने में शामिल थी.

(PTI)

ये भी पढे़ंः Delhi Liquor Scam: मनीष सिसोदिया 5 दिन की CBI रिमांड पर, रिश्वत लेने और सबूत नष्ट करने का आरोप

नयी दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एक होटल के व्यापार केंद्र के सिस्टम से डिजिटल साक्ष्य मिला है, जिसका संबंध हैदराबाद स्थित नेताओं और शराब कारोबारियों से बताया जाता है. इन्हें 'साउथ लॉबी' भी कहा जाता है. इस लॉबी का उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर अधिक प्रभाव बताया जा रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने CBI के अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है.

साउथ लॉबी से संबंध रखने वाले अधिकारी का कहना है कि इस लॉबी के सदस्य दिल्ली की नई एक्साइज पॉलिसी के तहत शराब के ठेके से अधिक मुनाफा कमाना चाहते थे. इसके लिए इन लोगों ने 2021 में 14 से 17 मार्च तक दिल्ली के होटल में ठहरे थे और कुछ दस्तावेजों की फोटोकॉपी के लिए अपने व्यापार केंद्र का इस्तेमाल किया था.

अधिकारी ने बताया कि इस लॉबी का दिल्ली प्रवास के दौरान कथित रूप से संदिग्ध बिचौलिए विजय नायर से मुलाकात हुई थी. यह बिचौलिया उनके पक्ष में नीति बनाने के लिए इन शराब व्यापारियों के साथ सौदा कर रहा था. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पॉलिसी को लेकर दो सुझाव भी बरामद किए हैं, जिन पर साउथ लॉबी के सदस्यों के बीच चैट हुई थी.

फॉरेंसिक जांच के बाद सीबीआई को 15 मार्च, 2021 की तारीख वाला सिसोदिया के कंप्यूटर से मंत्रियों के समूह का एक मसौदा नोट मिला, जिसमें शराब के थोक विक्रेताओं के लिए लाभ मार्जिन को पांच प्रतिशत तक सीमित किया गया था. हालांकि तीन दिन बाद सिसोदिया द्वारा उनके सचिव को दिए गए मंत्रियों के समूह (जीओएम) के अंतिम मसौदे ने लाभ मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया था.

आबकारी विभाग संभाल रहे मनीष सिसोदिया 18 मार्च को कथित तौर पर अपने सचिव सी अरविंद को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुलाया, जहां उन्हें एक दस्तावेज दिया गया. यह दस्तावेज आबकारी नीति पर मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट का एक मसौदा था. अधिकारियों ने कहा कि इस दस्तावेज को मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाएगा.

सीबीआई ने पाया कि होटल के व्यापार केंद्र में साउथ लॉबी के सदस्यों ने कथित रूप से फोटोकॉपी किए गए पृष्ठों की संख्या सिसोदिया द्वारा उनके सचिव को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट के समान ही थी. अधिकारियों ने कहा कि मसौदे में थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ के अलावा उनके लिए उच्च टर्नओवर की भी बात कही गई थी, जिसे मंत्रियों के समूह की अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया गया था.

विजय नायर को 100 करोड़ का भुगतान हुआः उन्होंने कहा कि जीओएम की अंतिम रिपोर्ट से करीब दो दिन पहले साउथ लॉबी के सदस्यों की चैट हिस्ट्री में मिले दो सुझावों को भी इसमें शामिल किया गया था. सीबीआई ने पिछले साल 25 नवंबर को दायर अपनी पहली चार्जशीट में आरोप लगाया है कि 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति थोक स्तर पर कार्टेलाइजेशन और एकाधिकार को बढ़ावा देने और थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन प्राप्त करने के लिए तैयार की गई थी. सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा के माध्यम से नायर को 100 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया.

आगे की जांच में सीबीआई ने पाया था कि पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देने के लिए तत्कालीन आबकारी आयुक्त रवि धवन के अधीन एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था. समिति ने 13 अक्टूबर, 2020 को प्रस्तावित परिवर्तनों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रिपोर्ट में न तो खुदरा स्तर पर जोनल लाइसेंस प्रणाली की सिफारिश की गई थी और न ही थोक स्तर पर निजीकरण की सिफारिश की गई थी, जो सिसोदिया को पसंद नहीं आया.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि आबकारी नीति में बदलाव का सुझाव देने के लिए मंत्रियों के तीन सदस्यीय समूह का गठन 5 फरवरी, 2021 को किया गया था. अधिकारियों ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को बदलने के लिए जीओएम के विकल्प को कथित तौर पर अपनाया गया था. विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को जनता से टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए 31 दिसंबर, 2020 को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया था.

पॉलिसी पर मंत्रिपरिषद में नहीं हुई चर्चाः अधिकारियों ने कहा कि जब जनता की टिप्पणियों और कानूनी राय के साथ रिपोर्ट को मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा गया तो कथित तौर पर इसे चर्चा के लिए नहीं लिया गया और तब से फाइल का पता नहीं चल रहा है. इसके तुरंत बाद, बिना कानूनी राय के एक संशोधित नोट तैयार किया गया, जिसके आधार पर सिसोदिया के अधीन मंत्रियों के समूह का गठन किया गया. सत्येंद्र जैन और कैलाश गहलोत जीओएम के सदस्य थे.

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जीओएम की बैठक फरवरी 2021 में हुई थी, लेकिन शराब व्यापार के लिए थोक मॉडल पर कोई चर्चा नहीं हुई. मार्च के पहले सप्ताह में, नायर ने शराब व्यापारियों और बिचौलियों से कथित रूप से उत्पाद शुल्क नीति के लिए कमीशन की मांग की. शराब व्यापारियों से पैसे लेने के अपने प्रयासों के दौरान नायर ने कथित तौर पर दक्षिण लॉबी के सदस्यों से मुलाकात की. अधिकारियों ने दावा किया कि बरामद किए चैट से पता चलता है कि दक्षिण लॉबी कथित रूप से उत्पाद शुल्क नीति को अपने पक्ष में करने में शामिल थी.

(PTI)

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Last Updated : Feb 28, 2023, 10:47 AM IST
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