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डीयू: 97वें दीक्षांत समारोह में 1,78,719 छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई

डीयू के 97वें दीक्षांत समारोह में स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएशन के 1,78,719 छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई. 2020 में परीक्षा पास कर निकले छात्रों को दीक्षांत समारोह पर डिग्री मिल सके, इसके लिए डिजिटल डिग्री का विकल्प निकाला है.

Digital degree conferred on students at convocation of Delhi University
दिल्ली विश्वविद्यालय
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Published : Feb 28, 2021, 8:54 AM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल भारत सशक्त भारत' के आवाह्न पर अब इंडिया डिजिटल हो रहा है. जहां लगभग हर क्षेत्र में डिजिटलीकरण का असर दिख रहा है, वहीं शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं हैं. डिजिटल टीचिंग से इसकी झलक देखी जा चुकी है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस पहल में एक कदम और आगे बढ़ते हुए अब छात्रों की डिग्री भी डिजिटल कर दी है

छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई

इसी कड़ी में डीयू के 97वें दीक्षांत समारोह पर स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएशन के 1,78,719 छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई. वहीं ईटीवी भारत से हुई बातचीत में डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रो डीएस रावत ने कहा कि भविष्य में पीएचडी के छात्रों को भी डिजिटल डिग्री देने की योजना है.



क्या रही डिजिटल डिग्री की योजना और क्यों इसकी आवश्यकता महसूस हुई इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की. डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रो. डीएस रावत से जिन्होंने बताया कि 2017 के बाद से ही छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाई है. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी योजना है कि जल्द से जल्द सभी छात्रों की डिग्री का काम पूरा कर लिया जाए.

ये भी पढ़ें:-रोजगार मांगने वाला नहीं, देने वाला बनना होगा: शिक्षा मंत्री निशंक

वहीं उन्होंने कहा कि डिजिटल डिग्री की आवश्यकता इसलिए भी थी क्योंकि पढ़ाई पूरी करने के बाद दीक्षांत समारोह को लेकर छात्रों में खासा उत्साह रहता है. ऐसे में यह 2020 में परीक्षा पास कर निकले छात्रों को दीक्षांत समारोह पर डिग्री मिल सके इसके लिए डिजिटल डिग्री का विकल्प निकाला गया.

डिजिटल डिग्री बनने में लगा एक माह का समय

वहीं प्रो. डीएस रावत ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में डिजिटल डिग्री तैयार करने में करीब एक माह का समय लग गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इस काम में डीयू कंप्यूटर सेंटर के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रो. संजीव सिंह का काफी सहयोग मिला, जिससे यह संभव हो पाया है.जहां तक फिजिकल डिग्री का सवाल है, उसको लेकर प्रो. डीएस रावत ने कहा कि फिजिकल डिग्री लेने के लिए छात्रों को एक फॉर्म भरना होगा और बतौर शुल्क 750 रुपए देने होंगे.

डिजिटल डिग्री रही चुनौती

इतनी बड़ी संख्या में डिग्री का डिजिटलीकरण करना कंप्यूटर विभाग के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा. वहीं डीयू के कंप्यूटर सेंटर के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रो. संजीव सिंह ने कहा कि डिजिटल डिग्री अब समय की जरूरत बन चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि काम चुनौतीपूर्ण जरूर रहा और इसके लिए करीब एक माह का समय लग गया. उन्होंने बताया कि डिग्री के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया कई चरणों मे होती है उसके बाद उसपर अंतिम मोहर लगती है इसलिए इसे तैयार करने में समय लग गया.

अगर नहीं याद ईमेल आईडी तो भी मिलेगी डिग्री

वहीं प्रो. संजीव सिंह ने बताया कि डिजिटल डिग्री उसी ईमेल आईडी पर भेजी जाएगी जिसकी जानकारी छात्र ने दी होगी. साथ ही कहा कि यदि कोई छात्र अपनी आईडी भूल जाता है तो कंप्यूटर डिपार्टमेंट पूरी जांच के बाद उसे उसकी आईडी याद दिलाएगा.


ये भी पढ़ें:-DU: 59 साल में PHD, डिग्री पाने की खुशी तो मां बाप के न होने का गम

बता दें कि डिजिटल डिग्री मिल जाने से छात्रों को काफी सहूलियत होगी. उन्हें न ही विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही डिग्री को संभालने की मशक्कत करनी पड़ेगी बल्कि वह ऑनलाइन बड़ी आसानी से अपनी डिग्री हासिल कर सकेंगे.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल भारत सशक्त भारत' के आवाह्न पर अब इंडिया डिजिटल हो रहा है. जहां लगभग हर क्षेत्र में डिजिटलीकरण का असर दिख रहा है, वहीं शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं हैं. डिजिटल टीचिंग से इसकी झलक देखी जा चुकी है. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने इस पहल में एक कदम और आगे बढ़ते हुए अब छात्रों की डिग्री भी डिजिटल कर दी है

छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई

इसी कड़ी में डीयू के 97वें दीक्षांत समारोह पर स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएशन के 1,78,719 छात्रों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई. वहीं ईटीवी भारत से हुई बातचीत में डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रो डीएस रावत ने कहा कि भविष्य में पीएचडी के छात्रों को भी डिजिटल डिग्री देने की योजना है.



क्या रही डिजिटल डिग्री की योजना और क्यों इसकी आवश्यकता महसूस हुई इसको लेकर ईटीवी भारत ने बात की. डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रो. डीएस रावत से जिन्होंने बताया कि 2017 के बाद से ही छात्रों को डिग्री नहीं मिल पाई है. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी योजना है कि जल्द से जल्द सभी छात्रों की डिग्री का काम पूरा कर लिया जाए.

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वहीं उन्होंने कहा कि डिजिटल डिग्री की आवश्यकता इसलिए भी थी क्योंकि पढ़ाई पूरी करने के बाद दीक्षांत समारोह को लेकर छात्रों में खासा उत्साह रहता है. ऐसे में यह 2020 में परीक्षा पास कर निकले छात्रों को दीक्षांत समारोह पर डिग्री मिल सके इसके लिए डिजिटल डिग्री का विकल्प निकाला गया.

डिजिटल डिग्री बनने में लगा एक माह का समय

वहीं प्रो. डीएस रावत ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में डिजिटल डिग्री तैयार करने में करीब एक माह का समय लग गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इस काम में डीयू कंप्यूटर सेंटर के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रो. संजीव सिंह का काफी सहयोग मिला, जिससे यह संभव हो पाया है.जहां तक फिजिकल डिग्री का सवाल है, उसको लेकर प्रो. डीएस रावत ने कहा कि फिजिकल डिग्री लेने के लिए छात्रों को एक फॉर्म भरना होगा और बतौर शुल्क 750 रुपए देने होंगे.

डिजिटल डिग्री रही चुनौती

इतनी बड़ी संख्या में डिग्री का डिजिटलीकरण करना कंप्यूटर विभाग के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहा. वहीं डीयू के कंप्यूटर सेंटर के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रो. संजीव सिंह ने कहा कि डिजिटल डिग्री अब समय की जरूरत बन चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि काम चुनौतीपूर्ण जरूर रहा और इसके लिए करीब एक माह का समय लग गया. उन्होंने बताया कि डिग्री के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया कई चरणों मे होती है उसके बाद उसपर अंतिम मोहर लगती है इसलिए इसे तैयार करने में समय लग गया.

अगर नहीं याद ईमेल आईडी तो भी मिलेगी डिग्री

वहीं प्रो. संजीव सिंह ने बताया कि डिजिटल डिग्री उसी ईमेल आईडी पर भेजी जाएगी जिसकी जानकारी छात्र ने दी होगी. साथ ही कहा कि यदि कोई छात्र अपनी आईडी भूल जाता है तो कंप्यूटर डिपार्टमेंट पूरी जांच के बाद उसे उसकी आईडी याद दिलाएगा.


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बता दें कि डिजिटल डिग्री मिल जाने से छात्रों को काफी सहूलियत होगी. उन्हें न ही विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ेंगे और न ही डिग्री को संभालने की मशक्कत करनी पड़ेगी बल्कि वह ऑनलाइन बड़ी आसानी से अपनी डिग्री हासिल कर सकेंगे.

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