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निर्भया को इंसाफ: विजय चौक और राजपथ से उठी थी फांसी की मांग

निर्भया कांड के लेकर दिल्ली ही नहीं देशभर में लोगों के अंदर गुस्सा था. इस कांड के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा देने की मांग दिल्ली के राजपथ और विजय चौक पर एकत्रित होकर लोगों ने की थी. इस जघन्य घटना की वजह से पूरा देश एकजुट हो पीड़ित लड़की निर्भया के समर्थन में सड़कों पर उतरा था.

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Published : Mar 20, 2020, 11:39 AM IST

Nirbhaya convicts
निर्भया को इंसाफ की लड़ाई

नई दिल्ली: आज से ठीक 7 साल 3 महीने और 4 दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने देश का सिर शर्म से नीचा कर दिया था. इस केस को निर्भया केस का नाम दिया गया. दुष्कर्म के दोषी सभी आरोपी 5 दिनों के अंदर पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे. लेकिन कानूनी दांवपेच का ऐसा मामला फंसा रहा कि आज जाकर निर्भया कांड के 4 दोषियों को फांसी दी गई.

उठी थी दोषियों को फांसी देने की मांग




राजपथ और विजय चौक से उठी थी मांग

निर्भया कांड को लेकर दिल्ली ही नहीं देशभर में लोगों के अंदर गुस्सा था. इस कांड के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा देने की मांग दिल्ली के राजपथ और विजय चौक पर एकत्रित होकर लोगों ने की थी. इस जघन्य घटना की वजह से पूरा देश एकजुट हो पीड़ित लड़की निर्भया के समर्थन में सड़कों पर उतरा था. ऐसा विरोध प्रदर्शन किया कि ये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.



10 दिनों तक सड़कों पर होता रहा विरोध प्रदर्शन
वहीं सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता इलाज करा रही थी और यहां दोषियों को फांसी की सजा, मौत की सजा देने की मांग हो रही थी. दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी इंडिया गेट और विजय चौक पर डटे रहे.



तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के घर से हुई थी प्रदर्शन की शुरुआत


16 दिसंबर 2012 को हुई सामूहिक दुष्कर्म की इस नृशंस घटना ने सभी को झकझोर दिया था. सभी के दिल में एक ही बात थी, बस बहुत हुआ, अब रुकना चाहिए. 18 दिसंबर 2012 को इस मामले की गूंज संसद में भी सुनाई दी.

जहां सांसदों ने दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग की. विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत 20 दिसंबर 2012 को दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के सामने से हुई थी. वो मोतीलाल नेहरू मार्ग पर रहती थी.

जो इंडिया गेट से चंद मीटर की दूरी पर ही था. 2 दिन बाद यानी 22 तारीख तक आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया. इंडिया गेट पर आक्रोश का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला था. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार संघर्ष हुए.

जस्टिस वर्मा समिति का गठन किया गया

नतीजा रहा कि केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2012 को जस्टिस वर्मा समिति का गठन किया था. जिसे दुष्कर्म के मामलों में जल्दी निपटाने और सजा बढ़ाने के प्रावधानों पर सिफारिश देने को कहा गया. 24 दिसंबर 2012 को जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टीवी के माध्यम से इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों से घर लौटने की अपील की. उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा मजबूत करने का आश्वासन दिया. तब जाकर प्रदर्शकारी इंडिया गेट और विजय चौक से प्रदर्शनकारी हटे थे.

इस पूरे मामले में न्याय के लिए सबका ध्यान दिल्ली की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर था. तो वहीं दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने की मांग दिल्ली के इंडिया गेट, राजपथ और विजय चौक से उठी तो वो आज जाकर पूरी हुई.

नई दिल्ली: आज से ठीक 7 साल 3 महीने और 4 दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने देश का सिर शर्म से नीचा कर दिया था. इस केस को निर्भया केस का नाम दिया गया. दुष्कर्म के दोषी सभी आरोपी 5 दिनों के अंदर पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे. लेकिन कानूनी दांवपेच का ऐसा मामला फंसा रहा कि आज जाकर निर्भया कांड के 4 दोषियों को फांसी दी गई.

उठी थी दोषियों को फांसी देने की मांग




राजपथ और विजय चौक से उठी थी मांग

निर्भया कांड को लेकर दिल्ली ही नहीं देशभर में लोगों के अंदर गुस्सा था. इस कांड के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा देने की मांग दिल्ली के राजपथ और विजय चौक पर एकत्रित होकर लोगों ने की थी. इस जघन्य घटना की वजह से पूरा देश एकजुट हो पीड़ित लड़की निर्भया के समर्थन में सड़कों पर उतरा था. ऐसा विरोध प्रदर्शन किया कि ये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.



10 दिनों तक सड़कों पर होता रहा विरोध प्रदर्शन
वहीं सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता इलाज करा रही थी और यहां दोषियों को फांसी की सजा, मौत की सजा देने की मांग हो रही थी. दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी इंडिया गेट और विजय चौक पर डटे रहे.



तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के घर से हुई थी प्रदर्शन की शुरुआत


16 दिसंबर 2012 को हुई सामूहिक दुष्कर्म की इस नृशंस घटना ने सभी को झकझोर दिया था. सभी के दिल में एक ही बात थी, बस बहुत हुआ, अब रुकना चाहिए. 18 दिसंबर 2012 को इस मामले की गूंज संसद में भी सुनाई दी.

जहां सांसदों ने दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग की. विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत 20 दिसंबर 2012 को दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के सामने से हुई थी. वो मोतीलाल नेहरू मार्ग पर रहती थी.

जो इंडिया गेट से चंद मीटर की दूरी पर ही था. 2 दिन बाद यानी 22 तारीख तक आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया. इंडिया गेट पर आक्रोश का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला था. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार संघर्ष हुए.

जस्टिस वर्मा समिति का गठन किया गया

नतीजा रहा कि केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2012 को जस्टिस वर्मा समिति का गठन किया था. जिसे दुष्कर्म के मामलों में जल्दी निपटाने और सजा बढ़ाने के प्रावधानों पर सिफारिश देने को कहा गया. 24 दिसंबर 2012 को जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टीवी के माध्यम से इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों से घर लौटने की अपील की. उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा मजबूत करने का आश्वासन दिया. तब जाकर प्रदर्शकारी इंडिया गेट और विजय चौक से प्रदर्शनकारी हटे थे.

इस पूरे मामले में न्याय के लिए सबका ध्यान दिल्ली की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर था. तो वहीं दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने की मांग दिल्ली के इंडिया गेट, राजपथ और विजय चौक से उठी तो वो आज जाकर पूरी हुई.

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