नई दिल्ली: मौजूदा हालात के चलते दिल्ली के बड़े और छोटे सभी बाजार सूने पड़े हुए हैं, जो कभी खरीददारों से गुलजार रहा करते थे. वहां दुकानदार अब ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. दिल्ली की पुरानी और प्रसिद्ध मार्केट में से एक जनपथ मार्केट का भी यही हाल है. जनपथ मार्केट में 50 से 60 साल पुरानी दुकानें हैं जहां पर पारंपरिक और हाथ से बना हुआ सामान लोगों को खास तौर पर अपनी ओर आकर्षित करता है. इन्हीं दुकानों में बेहद ही लोकप्रिय दुकान कोल्हापुरी चप्पलों की है लेकिन वह भी इस वक्त खाली पड़ी हुई है.
यहां के दुकानदारों का कहना है कि कोरोना के चलते लोग अनलॉक हो जाने के बाद भी अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं. अधिकतर लोग work-from-home कर रहे हैं, वही स्कूल कॉलेज भी अभी बंद है, ऐसे में लोगों को जूते चप्पलों की ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ रही है. इसलिए लोग खरीदारी के लिए बाजारों तक नहीं आ रहे. ईटीवी भारत की टीम जब जनपथ मार्केट में स्थित है इन पुरानी कोल्हापुरी चप्पलों की दुकानों पर पहुंची, तो यहां पर एक से एक सुंदर सुंदर चप्पल और जूतियां देखने को मिली, जो महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में तैयार की जाती हैं.
महाराष्ट्र की फेमस कोल्हापुरी चप्पल की दुकान पड़ी है खाली
जनपथ मार्केट में स्थित 50 साल पुरानी कोल्हापुरी चप्पलों की दुकान पर मौजूद दुकानदार विजय ने बताया कि पूरे देश में जो असली कोल्हापुरी चप्पल है, वह केवल महाराष्ट्र में ही बनती है. और जनपद मार्केट में महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सोलापुर, सांगली, सातारा समेत कर्नाटक के कई जिलों से बनकर यहां पर आती है. जिससे ना केवल दिल्ली बल्कि विदेशों तक से खरीदार लेने के लिए आते हैं.
घर से नहीं निकल रहे लोग
इसके अलावा लॉक डाउन के बाद अनलॉक हो जाने पर अब धीरे-धीरे लोग मार्केट में पहुंच रहे हैं. और अपने जरूरत का सामान खरीद रहे हैं. हालाकी लोग अभी ज्यादा शॉपिंग नहीं कर रहे हैं. मार्केट में पहुंचे खरीदारों ने कहा कि पिछले 6 महीने से हम घर पर ही हैं ऐसे में जूते चप्पल या कपड़ों की ज्यादा आवश्यकता नहीं हो रही, घर से नहीं निकल रहे हैं इसलिए जूते चप्पल नहीं घिस रहे. साथ ही कुछ लोगों ने कहा कि जनपद मार्केट में मिलने वाली कोल्हापुरी चप्पल काफी मजबूत और फैशनेबल होती है जो कई दिनों तक चलती है.
देश में हजार साल पुराना है कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास
वहीं अगर कोल्हापुरी चप्पल के इतिहास की बात की जाए तो तकरीबन कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास हजारों साल पुराना है. लेकिन इसे पहचान तब मिली जब कोल्हापुर में साहूजी महाराज ने इस चप्पल को बनाने के लिए कई ट्रेनिंग सेंटर बनाए. जिसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश और विदेशों में इसकी डिमांड बढ़ने लगी. और जो पहले इसे राजा महाराजा पहनते थे वहीं अब इसे हर एक वर्ग के बीच लोकप्रिय है.