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ऑनलाइन लोन देने वाले ऐप्स पर नियंत्रण की मांग पर सुनवाई आज - ऑनलाइन लोन ऐप्स

दिल्ली हाईकोर्ट आज कर्ज देनेवाले आनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर की है.

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Published : Feb 19, 2021, 9:29 AM IST

Updated : Mar 13, 2021, 11:57 AM IST

नई दिल्लीः कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया था. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

यह भी पढ़ेंः-ऑनलाइन लोन ऐप्स पर नियंत्रण की मांग पर केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस

'लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स'

याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से लेनदेन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलनेवाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देनेवाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

यह भी पढ़ेंः-चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा- अच्छे भारतीय एप्स के लिए महान अवसर

'35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं'

याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशानिर्देश जारी करें. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेने वालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

नई दिल्लीः कर्ज देने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर नियंत्रण करने की मांग करने वाली याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किया था. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी.

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'लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं ऐप्स'

याचिका धरिंधर करीमोजी ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर 2020 को सर्कुलर जारी कर आम लोगों को अनाधिकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से लेनदेन करने में सावधानी बरतने की सलाह दी थी. याचिका में मांग की गई है कि लोन देने के लिए चलनेवाले मोबाइल ऐप और दूसरे प्लेटफार्म पर नियंत्रण किया जाए. लोन देनेवाले ऐसे ऐप्स लोगों से काफी ज्यादा ब्याज लेते हैं.

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'35-40 फीसदी तक सर्विस चार्ज लेते हैं'

याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार हर राज्य में ऐसे ऐप्स से लोन लेने वाले लोगों की शिकायत का निवारण करने के लिए मेकानिज्म बनाने का दिशानिर्देश जारी करें. याचिका में कहा गया है कि तुरंत लोन देने वाले ऐसे तीन सौ ऐप्स हैं. ये ऐप डेढ़ हजार रुपये से तीस हजार रुपये तक का लोन एक से दो हफ्ते के लिए देते हैं. ये ऐप्स कर्ज लेने वालों से कर्ज की रकम का 35 से 45 फीसदी सर्विस चार्ज या प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूलते हैं और वो रकम काटकर ही कर्ज लेने वालों के खाते में पैसे ट्रांसफर करते हैं.

Last Updated : Mar 13, 2021, 11:57 AM IST
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