नई दिल्ली: एक कामकाजी महिला के लिए घर और ऑफिस को संभालना बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण रहता है. शादी के बाद परिवार का ध्यान रखना और नौकरी करना आसान हो सकता है, लेकिन बात अगर उन महिलाओं की करें, जो जॉब के साथ घर और बच्चों का भी ध्यान रखती हैं, तो उनकी चुनौतियों और जिम्मेदारियों का ग्राफ और बढ़ जाता है.
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. ये वो पुराने समाज की उन दकियानूसी सोच वाली बातों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने वाली महिलाएं हैं, जो मां के दायित्व के साथ अन्य चीजें भी बखूभी निभा सकती हैं. वर्तमान की महिलाओं में घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ नौकरी करके अपने करियर को संभालने का भी जुनून है. आज की वर्किंग मदर्स को पता है कि उन्हें कैसे अपने ऑफिस और बच्चों की देखभाल में सामंजस्य बिठाना है? आज मदर्स डे के अवसर पर हम ऐसी ही कुछ कामकाजी महिलाओं के बारे में जानेंगे, जो बच्चों, घर और ऑफिस तीनों की जिम्मेदारी अच्छी तरह से संभाल रही हैं.
इस बारे में पिछले 15 साल से बतौर टीचर काम करने वाली सुचि ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र 11 और 18 साल है. उनका कहना है कि यहां तक का सफर बहुत लंबा रहा, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि उनकी मां उनसे 8 घंटों के लिए दूर है. उन्होंने बताया कि मैंने दोनों बच्चों को बहुत ही मेहनत से पढ़ाया और परिवार भी संभाला. उनका सोचना था कि वह एक आदर्श मां बनें. वे कहती हैं, 'जब आपको एक वर्किंग वीमेन से वर्किंग मदर की उपाधि हासिल होती है तो आपको एक नए बदलाव के साथ खुद को बच्चों को संभालने की नई नीतियां तैयार करनी होती हैं.'
वहीं, 4 वर्षीय बच्चे की मां दिव्या ने बताया कि उन्होंने अपनी गर्भावस्था के दौरान पूरे 9 महीने काम किया और मां बनने के तीन महीने के बाद ही दोबारा काम करना शुरू कर दिया. अपने काम के बावजूद वह अपने बच्चे को पूरा समय देती हैं. उन्होंने कहा, 'एक वर्किंग मदर के लिए संडे एक बड़े त्यौहार की तरह होता है. वह उस दिन सुबह से ही अपने बच्चों के साथ जम कर खेलती है, डांस करती हैं. इसके अलावा वो वह सभी काम करती हैं जो उनके बेटे को पसंद है.' उन्होंने यह भी कहा कि उनको एक सफल वर्किंग वीमेन बनाने के लिए उनकी मदर इन लॉ और मां, दोनों का बड़ा योगदान है. जब वह ऑफिस जाती हैं तो इंटरनेट के जरिए अपने बेटे से आसानी से बात कर लेती हैं.
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उनके अलावा ऑरोनिका के परिवार और काम करने का तरीका, कई महिलाओं के काम आ सकता है. उन्होंने हर चीज के लिए टाइम टेबल बना रखा है. जिस तरह बोर्ड परीक्षार्थी टाइम टेबल के माध्यम से चीजें मैनेज करते हैं, ठीक उसी प्रकार ऑरोनिका को मालूम है कि उन्हें अपने बेटे के साथ बाकी चीजों को कैसे और कितना टाइम देना है. उसको कब पढ़ाना है, कब ट्यूशन भेजना है और कब खेलना है? वे अपने परिवार में अकेली महिला हैं, इसलिए उन्हें ही सभी कामों को मैनेज करना होता है. वे कहती हैं कि अगर आपका बच्चा छोटा है तो उसे हर वक्त मांं की जरूरत होना लाजमी है. शुरुआत के 4-5 साल बच्चों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. इतने काम होने के कारण हर मां को लगता है कि उनकी देखभाल में कहीं कुछ कमी तो नहीं रह गई.
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