नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा के मामले में बृजपुरी के अनिल स्वीट हाउस पर काम करने वाले दिलबर नेगी (Dilbar Negi) की हत्या के मामले के दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं.
सीसीटीवी फुटेज में साफ-साफ दिखे आरोपी
कोर्ट ने इस मामले के दो आरोपियों राशिद और शोएब की जमानत याचिका खारिज किया. कोर्ट ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट और सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद पाया कि दोनों आरोपी साफ-साफ अपने हाथों में रॉड लिए हुए उग्र रूप में दिख रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपियों ने भीड़ को उकसाने का भी काम किया. इस भीड़ ने उस दुकान को आग के हवाले करने की जिम्मेदार थी, जहां दिलबर नेगी ( Dilbar Negi) काम करता था. इस भीड़ का मुख्य उद्देश्य जान और माल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने की थी.
आरोपी को झूठे तरीके से फंसाने का आरोप
आरोपियों की ओर से वकील सलीम मलिक ने कोर्ट से कहा कि दोनों आरोपी घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे और उन्हें झूठे तरीके से फंसाया गया है. 24 फरवरी को काफी तनावपूर्ण माहौल था और दोनों समुदायों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी. आरोपी राशिद घटना के समय अपनी दुकान में मौजूद था और अपनी सुरक्षा के लिए हाथ में लाठी लिए हुए था. उसे सीसीटीवी फुटेज में महज देखने के आधार पर आरोपी बनाया गया है लेकिन उसकी घटना में कोई खास भूमिका नहीं.
ये भी पढ़ें-दिल्ली हिंसा का आरोपी 1 लाख का इनामी लक्खा ने वीडियो जारी कर किया ये एलान
दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया
दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगाइयों ने 24 फरवरी को मेन बृजपुरी रोड के चमन पार्क स्थित अनिल स्वीट शॉप को आग लगा दिया, जिससे वहां काम करने वाले दिलबर नेगी की मौत हो गई.
ये भी पढ़ें-दिल्ली दंगा: उमर खालिद समेत यूएपीए के सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत 8 अप्रैल तक बढ़ी
दिल्ली पुलिस ने कहा कि दंगाइयों की भीड़ में शामिल अभी कई लोगों की पहचान होनी बाकी है. इस दंगे के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा होना बाकी है. दिलबर नेगी (Dilbar Negi) का शव 26 फरवरी को बृजपुरी के अनिल स्वीट हाउस के पास मिला था. पुलिस के मुताबिक दिलबर नेगी उत्तराखंड का रहने वाला था.
ये भी पढ़ें-हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल के परिजनों को एक साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा