नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सबकुछ लॉकडाउन है. इस दौरान सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए सभी शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. जहां ऑनलाइन टीचिंग को क्लासरूम शिक्षा के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं इसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है.
शिक्षकों से बात करने पर पता चला की ऑनलाइन टीचिंग जैसी शिक्षण पद्धति भारत में सफल नहीं हो सकती, क्योंकि तकनीकी रूप से इसमें बहुत खामियां हैं जिससे इन दिनों शिक्षक और छात्र दोनों ही दो-चार हो रहे हैं. ऑनलाइन टीचिंग मेथड में शिक्षकों को किस तरह की परेशानी आ रही है इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय से बात की.
तकनीकी रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं शिक्षक
प्रोफेसर रंजना मुखोपाध्याय बताया कि ऑनलाइन टीचिंग में सबसे बड़ी परेशानी है शिक्षकों का तकनीकी रूप से प्रशिक्षित ना होना. उन्होंने बताया कि इस तरह ऑनलाइन पढ़ाने का अनुभव शिक्षकों को नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले ऑनलाइन टीचिंग का मतलब सिर्फ इतना होता था कि बच्चे अपने असाइनमेंट वगैरह ऑनलाइन भेज देते थे. लेकिन अब पूरी का पूरी चैप्टर ऑनलाइन पढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती है.
पाठ्यसामग्री मुहैया कराना है बड़ी चुनौती
प्रोफेसर ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या जो शिक्षकों को आ रही है वह है पाठ्यसामग्री मुहैया कराना. उन्होंने कहा कि पहले जो विषय पढ़ाया जाता था उसके लिए लाइब्रेरी की पुस्तकें रेफर कर दी जाती थी, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है तो छात्रों को अलग-अलग जगह से विषय से संबंधित लिंक ढूंढ-ढूंढ कर भेजने पड़ रहे हैं, पुस्तकें स्कैन करके पीडीएफ फॉर्म में भेजनी पड़ रही हैं. कई विषय तो ऐसे हैं जिसके बारे में ज्यादा जानकारी गूगल पर भी उपलब्ध नहीं है. उन विषयों की जानकारी देना बहुत मुश्किल हो रहा है.
कनेक्टिविटी की समस्या सबसे ज्यादा है
रंजना मुखोपाध्याय ने बताया कि एक और समस्या जो सबसे ज्यादा फेस कर रहे हैं वह है कनेक्टिविटी की. उन्होंने कहा कि लगभग सभी छात्रों के पास स्मार्टफोन तो है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सबके पास 4G इंटरनेट या वाईफाई उपलब्ध हो. उन्होंने बताया कई बार तो छात्र समय पर क्लास में ही नहीं आते और जब क्लास खत्म होने को होती है तब वह क्लास ज्वाइन करते हैं.
विदेशी शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जा सकता है
प्रोफेसर ने कहा कि जहां यह समय चुनौतीपूर्ण भरा है वही ऑनलाइन टीचिंग का एक फायदा भी है. उन्होंने कहा कि विदेशी शिक्षण संस्थानों में पढ़ा रहे शिक्षकों को भारत के विश्वविद्यालय में बुलाने की बजाए उनसे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दिलाई जा सकती है.