नई दिल्ली: केंद्र से लेकर राज्य सरकार अलग-अलग वस्तुओं पर सब्सिडी देती है, लेकिन सब्सिडी से सरकार की सेहत यानी आर्थिक तौर पर इसका कितना असर पड़ता है. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) के इकोनॉमिक्स प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार से बात की.
सब्सिडी से विकास कार्यों की गति होती है धीमी
डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार बिजली, पानी, डीटीसी बस में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा सहित कई वस्तुओं पर सब्सिडी देती है. इसका पैसा सरकार की आय से आता है. सरकार की प्राथमिकता स्वास्थ्य और विकास के कार्यों पर होना चाहिए, क्योंकि सब्सिडी से कुछ लोगों को थोड़ी देर के लिए ही राहत दी जा सकती है.
जो हकदार नहीं उन्हें भी मिलती है सब्सिडी
उन्होंने कहा कि सब्सिडी उन लोगों को भी मिल जाती है, जो कि सही मायने में सब्सिडी के हकदार नहीं होते हैं. इस प्रकार का वित्त अनुशासन ठीक नहीं है. क्योंकि आय का स्रोत सीमित होता है और सीमित आय के अंदर ही सरकार को काम करना होता है. सब्सिडी बढ़ाने या जारी रखने से विकास के कार्य की रफ्तार बहुत ही धीमी होती है. डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि जब विकास के कार्य में तेजी होगी तो अधिक लोगों को रोजगार भी मिलेगा. सरकार सब्सिडी देकर कुछ लोगों को हमेशा के लिए खुद पर निर्भर कर लेती है.
सब्सिडी खत्म होने से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि सब्सिडी कुछ समय के लिए वोट को लुभाने के लिए हो सकती है. उन्होंने कहा कि सब्सिडी खत्म होने से पैसा विकास कार्यों में लग सकता है. देश में विकास कार्य होंगे तो देश के विकास दर में भी इजाफा होगा, जिससे कि देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी.