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अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़ा बिल संसद में पारित, दिल्ली के 40 लाख लोगों को राहत, जानें सब

Delhi unauthorized colonies bill passed: दिल्ली वालों के लिए खुशखबरी. मंगलवार को संसद से अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़ा बिल पारित हो गया. इससे साथ ही 3 साल तक इन कॉलोनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का रास्ता साफ हो गया. 31 दिसंबर को इस कानून की मियाद खत्म हो रही थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 19, 2023, 10:32 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 6:14 AM IST

नई दिल्लीः दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़ा बिल संसद में पारित हो गया. यह बिल अनाधिकृत कॉलोनियों में सीलिंग की कार्रवाई करने से छूट देता है. बिल के पारित होने से करीब 40 लाख लोगों को फायदा होगा. सरकार ने इस बिल के माध्यम से दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ 3 साल का संरक्षण दिया है. यानी अब दिसंबर 2026 तक कार्रवाई नहीं हो सकेगी.

इससे पहले दिन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) अधिनियम, 2023 एक संक्षिप्त चर्चा के बाद लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया, जिसमें तीन सदस्यों ने भाग लिया. राज्यसभा में विधेयक पर बोलते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दिल्ली में समस्याएं मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले से थीं. इसका मेन कारण उपेक्षा था.

उन्होंने कहा, "यह कानून 2019 में अस्तित्व में आया. 2020 की शुरुआत में हम (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे थे. 2020 और 2021 की महामारी में कोई जमीनी स्तर पर काम नहीं किया जा सका. इन अनधिकृत कॉलोनियों में लगभग 40 लाख लोग रह रहे हैं. यदि एक औसत घर में चार सदस्य हैं तो हमें लगभग आठ से 10 लाख घरों को पंजीकृत करना होगा. हम पहले ही चार लाख कर चुके हैं. हमें और अधिक करने की जरूरत है.

यह भी पढ़ेंः कोरोना के बढ़ते मामलों से घबराने की जरूरत नहीं, पहले की तरह बरतें सावधानी: डॉक्टर नीरज निश्चल

पिछली सरकारों ने नहीं दिया ध्यानः मंत्री पुरी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों और देश के अन्य हिस्सों से लोग दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन पिछली सरकारों ने इस समस्या का समाधान नहीं किया. दिल्ली का भूमि क्षेत्र नहीं बदला है, लेकिन जनसंख्या 1947 में सात-आठ लाख से बढ़कर आज लगभग 2.5 करोड़ हो गई है. 20 साल पहले से समस्या दिखाई दे रही थी. दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की कार्रवाई के कारण कांग्रेस सरकार 2006 में अनधिकृत कॉलोनियों को एक साल के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून लेकर आई. इस कानून को हर साल 2011 तक बढ़ाया गया और उसके बाद इसे तीन साल के लिए बढ़ाया गया और आज तक बढ़ाया जा रहा है.

कांग्रेस और AAP पर आरोपः चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस और AAP सदस्यों ने सदन में होने के बावजूद दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण विधेयक का समर्थन नहीं किया. कांग्रेस और आप के सदस्यों के दिल में गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा, "उनकी गरीब विरोधी और पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता हर बार झलकती है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ हैं. यह घमंडिया (अहंकारी) आईएनडीआई गठबंधन का असली चेहरा है."

यह भी पढ़ेंः INDIA गठबंधन की बैठक के बाद CM केजरीवाल बोले- बैठक अच्छी रही, अभियान जल्द शुरू होंगे

राज्यसभा में 8 सदस्यों ने लिया चर्चा में हिस्साः वहीं, राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा में आठ सदस्यों ने हिस्सा लिया. बहस की शुरुआत करते हुए भाजपा सांसद बाबूराम निषाद ने बिल का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि देशभर में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही 'जल से नल' जैसी योजनाएं दिल्ली में लागू की जाएंगी. बीजू जनता दल (बीजद) सांसद अमर पटनायक और भाजपा के अनिल जैन व राकेश सिन्हा ने विधेयक का समर्थन किया.

अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरई ने कहा कि केंद्र को न केवल दिल्ली बल्कि देश के अन्य हिस्सों में झुग्गीवासियों से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद करनी चाहिए. एक विपक्षी सदस्य ने बिल पर वोटिंग की मांग की, लेकिन सदस्य के अपनी सीट पर नहीं होने के कारण आसन ने इसे खारिज कर दिया.

(PTI)

नई दिल्लीः दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़ा बिल संसद में पारित हो गया. यह बिल अनाधिकृत कॉलोनियों में सीलिंग की कार्रवाई करने से छूट देता है. बिल के पारित होने से करीब 40 लाख लोगों को फायदा होगा. सरकार ने इस बिल के माध्यम से दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ 3 साल का संरक्षण दिया है. यानी अब दिसंबर 2026 तक कार्रवाई नहीं हो सकेगी.

इससे पहले दिन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) अधिनियम, 2023 एक संक्षिप्त चर्चा के बाद लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया, जिसमें तीन सदस्यों ने भाग लिया. राज्यसभा में विधेयक पर बोलते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दिल्ली में समस्याएं मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले से थीं. इसका मेन कारण उपेक्षा था.

उन्होंने कहा, "यह कानून 2019 में अस्तित्व में आया. 2020 की शुरुआत में हम (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे थे. 2020 और 2021 की महामारी में कोई जमीनी स्तर पर काम नहीं किया जा सका. इन अनधिकृत कॉलोनियों में लगभग 40 लाख लोग रह रहे हैं. यदि एक औसत घर में चार सदस्य हैं तो हमें लगभग आठ से 10 लाख घरों को पंजीकृत करना होगा. हम पहले ही चार लाख कर चुके हैं. हमें और अधिक करने की जरूरत है.

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पिछली सरकारों ने नहीं दिया ध्यानः मंत्री पुरी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों और देश के अन्य हिस्सों से लोग दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन पिछली सरकारों ने इस समस्या का समाधान नहीं किया. दिल्ली का भूमि क्षेत्र नहीं बदला है, लेकिन जनसंख्या 1947 में सात-आठ लाख से बढ़कर आज लगभग 2.5 करोड़ हो गई है. 20 साल पहले से समस्या दिखाई दे रही थी. दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की कार्रवाई के कारण कांग्रेस सरकार 2006 में अनधिकृत कॉलोनियों को एक साल के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून लेकर आई. इस कानून को हर साल 2011 तक बढ़ाया गया और उसके बाद इसे तीन साल के लिए बढ़ाया गया और आज तक बढ़ाया जा रहा है.

कांग्रेस और AAP पर आरोपः चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस और AAP सदस्यों ने सदन में होने के बावजूद दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण विधेयक का समर्थन नहीं किया. कांग्रेस और आप के सदस्यों के दिल में गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा, "उनकी गरीब विरोधी और पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता हर बार झलकती है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ हैं. यह घमंडिया (अहंकारी) आईएनडीआई गठबंधन का असली चेहरा है."

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राज्यसभा में 8 सदस्यों ने लिया चर्चा में हिस्साः वहीं, राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा में आठ सदस्यों ने हिस्सा लिया. बहस की शुरुआत करते हुए भाजपा सांसद बाबूराम निषाद ने बिल का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि देशभर में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही 'जल से नल' जैसी योजनाएं दिल्ली में लागू की जाएंगी. बीजू जनता दल (बीजद) सांसद अमर पटनायक और भाजपा के अनिल जैन व राकेश सिन्हा ने विधेयक का समर्थन किया.

अन्नाद्रमुक सदस्य एम थंबीदुरई ने कहा कि केंद्र को न केवल दिल्ली बल्कि देश के अन्य हिस्सों में झुग्गीवासियों से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद करनी चाहिए. एक विपक्षी सदस्य ने बिल पर वोटिंग की मांग की, लेकिन सदस्य के अपनी सीट पर नहीं होने के कारण आसन ने इसे खारिज कर दिया.

(PTI)

Last Updated : Dec 20, 2023, 6:14 AM IST
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