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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 7 साल बाद भी नहीं शुरू हो सकी तहबाजारी

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Published : Aug 19, 2020, 9:53 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 10:34 PM IST

दिल्ली में फुटपाथ पर रेहड़ी-पटरी लगाकर सामान बेचने के लिए दिल्ली नगर निगम तहबाजारी के तहत लाइसेंस देती है लेकिन पिछले करीब दस साल से यह बंद है. इसे लेकर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था. उसके बाद आदेश को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है.

delhi tehbazari applicants are still waiting
तहबाजारी

नई दिल्लीः भारतीय न्याय व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायलय सबसे बड़ा है और उसके आदेशों का समय से पालन नहीं करने को सर्वोच्च न्यायलय की अवहेलना माना जाता है. जिसके लिए कोर्ट संबंधित व्यक्ति को सजा भी दे सकती है, लेकिन इसके बाद भी तहबाजारी मामले में प्रशासन पिछले सात साल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को फाइलों में घुमा रहा है.

तहबाजारी के आवेदकों को अभी इंतजार!

2013 में सर्वोच्च अदालत ने दिया था आदेश

दिल्ली में फुटपाथ पर रेहड़ी-पटरी लगाकर सामान बेचने के लिए दिल्ली नगर निगम तहबाजारी के तहत लाइसेंस और कुछ मामलों में खोखे देती है. लेकिन पिछले करीब दस साल से यह बंद है. इसे लेकर सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था. लेकिन उस आदेश को आज तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है, जिसकी वजह से आज भी बहुत सारे दिव्यांग ऑफिसों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

सात साल में नहीं हो पाया सर्वे

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा बताते हैं कि इस संबंध में दिल्ली के तीनों नगर निगम केवल मामले को गोल गोल घुमा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर नियम तो बना दिए, मगर बात उससे आगे नहीं बढ़ी. 5 साल के बाद 2018 में टाउन वेंडिंग कमेटी का चुनाव कराया गया लेकिन मामला सर्वे पर आकार अटक गया. साल 2020 में सर्वे का काम शुरू होने को आया तो कोरोना आ गया. अब जाकर इसके सर्वे का काम तो शुरू हुआ है, लेकिन ये काम पूरा होगा और कब जरूरतमंदों को ये सुविधा मिलेगी ये कह पाना अब भी बहुत मुश्किल है.

नई दिल्लीः भारतीय न्याय व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायलय सबसे बड़ा है और उसके आदेशों का समय से पालन नहीं करने को सर्वोच्च न्यायलय की अवहेलना माना जाता है. जिसके लिए कोर्ट संबंधित व्यक्ति को सजा भी दे सकती है, लेकिन इसके बाद भी तहबाजारी मामले में प्रशासन पिछले सात साल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को फाइलों में घुमा रहा है.

तहबाजारी के आवेदकों को अभी इंतजार!

2013 में सर्वोच्च अदालत ने दिया था आदेश

दिल्ली में फुटपाथ पर रेहड़ी-पटरी लगाकर सामान बेचने के लिए दिल्ली नगर निगम तहबाजारी के तहत लाइसेंस और कुछ मामलों में खोखे देती है. लेकिन पिछले करीब दस साल से यह बंद है. इसे लेकर सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था. लेकिन उस आदेश को आज तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है, जिसकी वजह से आज भी बहुत सारे दिव्यांग ऑफिसों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

सात साल में नहीं हो पाया सर्वे

आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा बताते हैं कि इस संबंध में दिल्ली के तीनों नगर निगम केवल मामले को गोल गोल घुमा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर नियम तो बना दिए, मगर बात उससे आगे नहीं बढ़ी. 5 साल के बाद 2018 में टाउन वेंडिंग कमेटी का चुनाव कराया गया लेकिन मामला सर्वे पर आकार अटक गया. साल 2020 में सर्वे का काम शुरू होने को आया तो कोरोना आ गया. अब जाकर इसके सर्वे का काम तो शुरू हुआ है, लेकिन ये काम पूरा होगा और कब जरूरतमंदों को ये सुविधा मिलेगी ये कह पाना अब भी बहुत मुश्किल है.

Last Updated : Aug 19, 2020, 10:34 PM IST
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