नई दिल्ली: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश मंगलवार को संसद में पेश होने के आसार हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़े विधेयक "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक 2023" को पेश कर सकते हैं. एक अगस्त को लोकसभा में होने वाले कामकाज की बिजनेस लिस्ट में इस विधेयक को शामिल किया गया है.
इस विधेयक पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा चलाई गई देशव्यापी मुहिम और कांग्रेस समेत कई विरोधी दलों के साथ आने के बावजूद इसका लोकसभा में पारित होना तय माना जा रहा है. वहीं, राज्यसभा में अधिकांश विपक्षी दलों ने इस बिल के खिलाफ जाने का निर्णय लिया है. इसलिए राज्यसभा में बिल का हश्र क्या होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है.
संसद में पेश होने वाले बिल के मुताबिक दिल्ली सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के सभी ट्रांसफर-पोस्टिंग दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य समिति के फैसले पर करने की बात कही गई है. इस बिल पर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के तमाम सदस्य एकजुट हैं, तो वहीं विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए राज्यसभा में विरोध करने का फैसला लिया है. हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
दिल्ली सरकार के खिलाफ संसद में पेश होने वाले बिल पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ देने का निर्णय लिया है, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद संदीप दीक्षित इस मुद्दे पर अपनी पार्टी से अलग राय रखते हैं. सोमवार को उन्होंने कहा था कि इस बिल का विरोध करना गलत है. इस बिल को संसद से पास होना हो जाना चाहिए. उनका कहना था कि दिल्ली केंद्र शासित राज्य है और इसे एक राज्य का दर्जा कैसे मिल सकता है. केंद्र शासित राज्य की इतनी ही पावर है. यह संघीय ढांचे पर चोट है.
अगर दिल्ली को एक राज्य की तरह पावर चाहिए तो पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बिल लेकर क्यों नहीं आए? चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी या कोई और भी पूर्ण राज्य का बिल लेकर नहीं आई है. यह बिल एनडीए लाई है. दिल्ली का जो स्वरूप है उसके अनुसार से ही अध्यादेश में पावर को बांटा गया है. कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के इस बयान पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता व मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि संदीप दीक्षित तो सांसद भी नहीं है जब कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप ने बिल का विरोध करने का फैसला कर लिया है तो संदीप दीक्षित का बयान कोई मायने नहीं रखता है. बता दें कि दिल्ली से जुड़े बिल सोमवार को संसद में पेश होने वाला था, लेकिन मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई. इसलिए बिल पेश नहीं हो पाया था.
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